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ITR Filing: न्यू टैक्स रिजीम के मुकाबले अब भी पॉपुलर है ओल्ड टैक्स रिजीम, रिपोर्ट बताती है चौंकाने वाला आंकड़ा

TAX RETURN

टैक्स फाइलिंग डेटा के हिसाब से लगभग 10 फीसदी टैक्सपेयर्स ने सेक्शन 80C डिडक्शन का कोई बेनेफिट नहीं लिया. केवल 55 फीसदी टैक्स पेयर्स ने 1.5 लाख रुपये की डिडक्शन लिमिट का पूरा इस्तेमाल किया, इसके अलावा 10 फीसदी ने 1 से 1.5 लाख रुपये के बीच कटौती का दावा किया.

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ITR Filing: ऑनलाइन टैक्स फाइलिंग प्लेटफॉर्म क्लियर (ClearTax) की एक ट्रेंडिंग रिपोर्ट के हिसाब से 85 फीसदी से ज्यादा टैक्सपेयर्स अब भी न्यू टैक्स रिज़ीम के बजाय ओल्ड टैक्स रिज़ीम को ही चुन रहे हैं. ज्यादातर टैक्सपेयर्स अब भी टैक्स छूट के लिए ओल्ड टैक्स रिजीम चुनते हैं. हालांकि, कम टैक्स के चलते काफी लोग न्यू रिजीम की तरफ शिफ्ट हो रहे हैं. ये ट्रेंड रिपोर्ट प्लेटफॉर्म के 5 मिलियन रजिस्टर टैक्सपेयर्स और 1 मिलियन से ज्यादा प्रोफेशनल्स के इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइलिंग डेटा पर बेस्ड थी.

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के डाटा से पता चला है कि 31 जुलाई, 2023 तक असेसमेंट ईयर 2023-24 के लिए टोटल 6.77 करोड़ ITR फाइल किए गए थे, जो FY 2022-2023 से मेल खाती है. रिटर्न की साल-दर-साल टोटल 16.1 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है.

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पॉपुलर डिडक्शन

क्लियर की रिपोर्ट से इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के अलग-अलग सेक्शन के तहत कटौती से रिलेटेड कुछ दिलचस्प ट्रेंड भी सामने आए. लगभग 10 फीसदी टैक्सपेयर्स ने सेक्शन 80C कटौती का कोई फायदा नहीं उठाया. केवल 55 फीसदी टैक्सपेयर्स ने 1.5 लाख रुपए की कटौती लिमिट को यूज़ किया, इसके अलावा 10 फीसदी ने 1 से 1.5 लाख रुपये के बीच कटौती का क्लेम किया. क्लियर ITR फाइलिंग एनालिसिस के हिसाब से, दूसरे 17 फीसदी टैक्सपेयर्स ने सेक्शन 80C के तहत 50,000 रुपये तक की कटौती का क्लेम किया. 

लगभग 50 फीसदी क्लियर के यूज़र्स ने सेक्शन 80D के तहत मेडिकल इंश्योरेंस के लिए कटौती का इस्तेमाल किया और बाकी 20 फीसदी यूज़र्स ने 80Ccd(1B) के तहत नेशनल पेंशन स्कीम के लिए सेल्फ कॉन्ट्रिब्यूशन का फायदा उठाया, जिसने 50,000 रुपये तक की एडीशनल कटौती दी. 

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डेमोग्राफिक स्प्लिट

ट्रेंड रिपोर्ट की माने तो, लगभग 50 फीसदी टैक्सपेयर्स 31 से 40 साल के बीच के थे. दूसरा सबसे बड़ा डेमोग्राफिक 28 फीसदी, 30 साल की उम्र तक के लोग थे. रिपोर्ट में बताया गया है कि टैक्सपेयर्स में 41 से 50 साल की उम्र वाले 16 फीसदी और 50 साल से ज्यादा उम्र वाले 7 फीसदी लोग शामिल हैं. जेंडर रेशो के हिसाब से, 70 फीसदी से ज्यादा टैक्स पेयर्स आदमी थे.

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