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इन्वेस्टर्स की बिना क्लेम वाली राशि को लौटाने के लिये नियम जारी कर सकता है SEBI, जानें- क्या है बिना दावे वाली रकम?

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SEBI Rules For Unclaimed Fund: इन्वेस्टर्स की बिना क्लेम वाली राशि को लौटाने के लिये SEBI नियम जारी कर सकता है. इसके तहत ऐसे कारोबारी सदस्य पैसा लौटाने के लिये संबंधित इन्वेस्टर्स का पता लगाने का प्रयास करेंगे.

SEBI Rules For Unclaimed Fund: मार्केट रेगुलेटर SEBI इन्वेस्टर्स की शेयर ब्रोकर के पास पड़ी बिना दावे (Claim) वाली राशि के निपटान (Settlement) को लेकर नियम जारी करने की योजना बना रहा है. इसके तहत ऐसे कारोबारी सदस्य पैसा लौटाने के लिये संबंधित इन्वेस्टर्स का पता लगाने का प्रयास करेंगे.

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भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) ने 2022-23 की अपनी रिपोर्ट में कहा है कि यदि कारोबारी सदस्य के प्रयासों के बावजूद संबंधित ग्राहक/इन्वेस्टर का पता नहीं चल पाता है, तो बिना दावे वाली राशि (Unclaimed Amount) को समय-समय पर शेयर मार्केट्स के इन्वेस्टर सेक्योरिटी फंड में ट्रांसफर कर दिया जाएगा.

इससे यह सुनिश्चित होगा कि कारोबारी सदस्य के पास पड़ी बिना दावे वाली राशि (Unclaimed Amount) संबंधित इन्वेस्टर्स को समय पर लौटा दी जाए.

SEBI ने कहा, ‘‘कारोबारी सदस्य के पास पड़े कस्टमर्स के बिना दावे वाले धन (Unclaimed Amount) को लौटाने के लिये एक डीटेल्ड प्रॉसेस का प्रस्ताव है. इसके तहत कारोबारी सदस्य ऐसी राशि की वापसी को लेकर कस्टमर्स के ठिकाने का पता लगाने का प्रयास करेंगे.’’

बता दें, मार्केट नियामक ने सितंबर, 2022 में गैर-परिवर्तनीय सेक्योरिटीड को लिस्ट करने वाली सभी यूनिट्स को बिना दावे वाली राशि (Unclaimed Amount) और डिविडेंड के बारे में जानकारी देने का निर्देश दिया था.

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लिस्टेड कंपनियों द्वारा पेश किए गए प्रस्तावों पर मतदान में भाग लेने के लिए रीटेल इन्वेस्टर्स को प्रोत्साहित करने और प्रॉसेस को आसान बनाने के लिए, SEBI भागीदारी के लिए ब्रोकर और डिपॉजिटरी पार्टनर की वेबसाइट या ऐप जैसे विभिन्न चैनलों की सुविधा प्रदान करना चाहता है.

इसके अलावा, यह इन्वेस्टर्स को सही निर्णय लेने के लिए प्रॉक्सी सलाहकारों की रिपोर्ट तक आसानी से पहुंच प्रदान करने की संभावना तलाश रहा है.

निवेशकों की अमक्लेम्ड रकम से क्या मतलब है?

जब कोई निवेशक किसी रीडेंप्शन या डिविडेंड चेक को अमान्य होने से पहले इनकैश कराने में विफल रहता है, तो राशि को अनक्लेम्ड अमाउंट के तौर पर माना जाता है.

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यह कई कारणों से हो सकता है

निवेशक के पते में बदलाव, बैंक खाते और एसेट मैनेजमेंट कंपनी (AMC) के रिकॉर्ड में नाम मिसमैच होना या समय के भीतर क्लियरिंग के लिए बैंक को चेक नहीं भेजना, आदि.

दिलचस्प यह है कि निवेशक की मृत्यु के मामले में भी, यदि कोई दावेदार नहीं है और/या यूनिट होल्डर की मृत्यु के बारे में एएमसी को कोई सूचित नहीं करता है, तो निवेश फोलियो में जारी रहेगा और इसे लावारिस के रूप में वर्गीकृत नहीं किया जाएगा.

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