Radha Ashtami 2023: कृष्ण जन्माष्टमी के 15 दिन के बाद राधा अष्टमी मनाई जाती है. इस दिन व्रत रखकर राधा रानी और भगवान कृष्ण की पूजा-अर्चना की जाती है. इस दिन पूजा करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है.
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Radha Ashtami 2023 Puja Vidhi : पंचांग के अनुसार राधा अष्टमी का पर्व 23 सितंबर 2023 दिन शनिवार को यानी आज मनाई जा रही है. हर वर्ष जन्माष्टमी के 15 दिन बाद ही राधा अष्टमी का पर्व मनाया जाता है. इस दिन व्रत रखकर भगवान कृष्ण और राधा रानी की विशेष पूजा अर्चना की जाती है. मान्यता है कि राधा अष्टमी का व्रत सभी प्रकार के पापों को नष्ट करता है और राधा रानी की पूजा करने से सभी दुखों का अंत भी होता है. भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा बता रहे हैं राधा अष्टमी की पूजा विधि, शुभ योग और इसका महत्व.
राधा अष्टमी पर्व का महत्व
राधा अष्टमी पर्व का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व है. शास्त्रों में इस दिन किये जाने वाले व्रत-पूजन को विशेष पुण्य प्रदान करने वाला बताया गया है. राधा अष्टमी पर सुहागिन स्त्रियां व्रत रखकर राधा रानी की विशेष पूजा-अर्चना, भोग और आरती करती हैं. माना जाता है कि इस दिन पूजा करने से जहां अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है, तो वहीं जीवन में आने वाली धन की समस्या भी दूर होती है. इस दिन राधा रानी की पूजा करने से भगवान कृष्ण भी बेहद प्रसन्न होते हैं और उनका आशीर्वाद भी प्राप्त होता है. राधा अष्टमी का व्रत रखने से जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है और सभी तरह के दुख मिट जाते हैं.
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राधा अष्टमी तिथि
पंचांग के अनुसार, वर्ष भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 22 सितंबर दोपहर 01:35 बजे से शुरू हो चुकी है जिसका समापन 23 सितंबर यानी आज दोपहर 12:17 बजे हो रहा है. उदया तिथि के कारण राधा अष्टमी पर्व 23 सितंबर 2023, शनिवार के दिन मनाया जा रहा है.
राधा अष्टमी शुभ योग
राधा अष्टमी पर तीन अत्यंत शुभ योगों का निर्माण हो रहा है.
पहला सौभाग्य योग जो रात 09:31 बजे तक रहेगा.
इसके बाद दूसरा शोभन योग शुरू होगा.
तीसरा रवि योग का निर्माण हो रहा है. जो दोपहर 02:56 बजे से 24 सितंबर सुबह 06:10 बजे तक रहेगा.
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राधा अष्टमी पूजा विधि
राधा अष्टमी के दिन प्रातः काल स्नान आदि से निवृत होकर आप स्वच्छ वस्त्र धारण करें. फिर राधा रानी व श्रीकृष्ण जी के समक्ष व्रत का संकल्प करें. इसके बाद पूजा विधि प्रारम्भ करें. इस क्रम में सबसे पहले राधारानी और श्रीकृष्ण की मूर्ति को पंचामृत से स्नान कराकर वस्त्र पहनाएं व उनका श्रृंगार करें. फिर मंडप के नीचे मंडल बनाकर उसके मध्यभाग में मिट्टी या तांबे का कलश स्थापित करें. कलश पर तांबे का पात्र रखें और इस पर मूर्ति स्थापित करें. इसके बाद राधा रानी और श्री कृष्ण जी का षोडशोपचार से पूजन-अर्चन करें. इस क्रम में धूप, दीप, अक्षत, पुष्प, फल, नैवेद्य और दक्षिणा आदि अर्पित करें. श्रीराधा कृपाकटाक्ष स्तोत्र का पाठ करें. श्रीकृष्ण और राधा की स्तुति और आरती करें. फिर विधि-विधान से पूजन करके पूरा दिन उपवास रखें और श्रद्धापूर्वक दान भी करें.