पुरुषों की तुलना में बैंक महिलाओं को आसानी से लोन देते हैं और उन्हें एडिशनल ऑफर भी दिए जाते हैं.
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Bank Loan To Women: हाल के वर्षों में यह धारणा बनती जा रही है कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं को आसानी से बैंक लोन मिल जाते हैं और साथ में एडिशनल बेनिफिट्स भी दिए जाते हैं. हालांकि, इस पर गहनता से विचार करना और अलग-अलग फैक्टर्स पर विचार करना जरूरी है. बैंकिंग सेक्टर में महसूस की गई इस असमानता के पीछे क्या कारण हैं?
आइए, यहां पर समझते हैं कि महिलाओं को अक्सर बैंक आसानी से लोन दे देते हैं. साथ में एडिशनल बेनिफिट्स भी दिए जाते हैं. ऐसा क्यों होता है?
फाइनेंशियल इंक्लूजन
महिलाओं को बैंकों के आसानी से लोन और एढिशनल बेनिफिट्स दिए जाने का पहला कारण महिलाओं में फाइनेंशियल इंक्लूजन को बढ़ावा देने के लिए बैंकों और सरकारों द्वारा किया गया ठोस प्रयास है. महिलाओं को आर्थिक रूप से इंपॉवर करने के लिए अलग-अलग प्रोग्राम एवं पॉलिसीज लागू की गई हैं. इन पहलों में तरजीही लोन शर्तें, कम ब्याज दरें और महिलाओं की जरूरतों को पूरा करने के लिए डिज़ाइन किए गए स्पेशल फाइनेंशियल एजुकेशनल प्रोग्राम्स शामिल हैं.
क्रेडिट एलिजिबिलिटी और रिस्क वैल्यूएशन
बैंक बारोअर्स का मूल्यांकन उनकी क्रेडिट और रिस्क प्रोफ़ाइल के आधार पर करते हैं. स्टडीज से पता चला है कि महिलाएं अधिक सतर्क बारोअर होती हैं, जिसकी वजह से अक्सर बेहतर क्रेडिट स्कोर और कम रिस्क प्रोफाइल होती है. जिसकी नतीजा यह होता है कि उन्हें आसानी से और अनुकूल शर्तों पर लोन मिल जाता है.
आंत्रप्रेन्योरशिप और बिजनेस ग्रोथ
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दुनियाभर में महिला आंत्रप्रेन्योर्स की संख्या बढ़ रही है. बैंक महिलाओं की लीडरशिप वाले एंटरप्राइजेज में बिजनेस वृद्धि की संभावना को पहचानते हैं और महिला आंत्रप्रेन्योर्स को फाइनेंशियल सहायता मुहैया कराने के इच्छुक हैं. इस प्रवृत्ति से न केवल महिलाओं को लाभ होता है बल्कि आर्थिक विकास में भी योगदान मिलता है.
सरकारी गारंटी और सहायता
कई देशों में, सरकारें खासकरके महिलाओं के स्वामित्व वाले बिजनेस पर टार्गेटेड लोन गारंटी और सहायता कार्यक्रम पेश करती हैं. ये गारंटियां बैंकों के लिए रिस्क को कम करती हैं, जिससे वे महिलाओं को लोन देने के लिए अधिक इच्छुक हो जाते हैं.
मल्टीपल बैंकिंग प्रोडक्ट्स
महिलाओं की खास फाइनेंशियल जरूरतों को पूरा करने के लिए बैंक अपने प्रोडक्ट्स की पेशकश में डायवर्सिफिकेशन ला रहे हैं. इसमें स्पेशल सेविंग अकाउंट्स, इन्वेस्टमेंट प्रोडक्ट्स और इंश्योरेंस पॉलिसीज शामिल हैं. इस तरह के ऑफर्स महिलाओं के लिए बैंकिंग को अधिक आकर्षक बना सकती हैं और फाइनेंशियल सिस्टम में उनकी भागीदारी को प्रोत्साहित कर सकती हैं.
सोशल और कल्चरल चेंजेज
लैंगिक समानता पर समाज के बदलते विचारों ने फाइनेंशियल सेक्टर में बदलाव लाये हैं. बैंक डायवर्सिफिकेशन को बढ़ावा देने और फाइनेंशियल सोर्सेज तक समान पहुंच सुनिश्चित करने के प्रति अधिक जागरूक हो रहे हैं. जिसकी वजह से वे जानबूझकर महिलाओं को अधिक अनुकूल शर्तें प्रदान कर सकते हैं.
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गौरतलब है कि लोन और बैंकिंग बेनिफिट्स में लैंगिक असमानता कई फैक्टर्स की वजह से एक जटिल इश्यू है. महिलाओं को बैंकों से आसानी से लोन और लाभ मिलते हैं, लेकिन यह समझना जरूरी है कि इसका मकसद असंतुलन को कम करना और फाइनेंशियल सेक्टर में लैंगिक समानता को बढ़ावा देना है.