इमरजेंसी की स्थिति कभी भी और किसी के भी सामने आ सकती है. आमतौर पर लोग इस स्थिति में या तो पर्सनल लोन का विकल्प चुनते हैं या फिर अपनी किसी एफडी वगैरह को तुड़वाकर जरूरत को पूरा करते हैं. लेकिन इमरजेंसी में पैसों की जरूरत को पूरा करने का स्मार्ट तरीका ओवरड्राफ्ट लोन (Overdraft Loan) भी हो सकता है. सरकारी और प्राइवेट दोनों बैंकों में ओवरड्राफ्ट लोन की सुविधा मिलती है. इसके कई फायदे हैं. यहां जानिए-
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क्या है ओवरड्राफ्ट लोन
ओवरड्राफ्ट एक फाइनेंशियल सुविध है. इसके लिए आपको बैंक से मंजूरी लेनी होती है. अगर आपको मंजूरी मिल जाती है तो आप अपने बैंक अकाउंट से मौजूदा बैलेंस से ज्यादा अमाउंट भी निकाल सकते हैं. इस सुविधा को ओवरड्राफ्ट फैसिलिटी और OD भी कहा जाता है. ये एक तरह का लोन होता है. ज्यादातर बैंक करंट अकाउंट, सैलरी अकाउंट और फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) पर ये सुविधा देते हैं. ओवरड्राफ्ट फैसिलिटी के जरिए लिए गए अमाउंट को एक निश्चित अवधि के अंदर चुकाना होता है और इस पर ब्याज भी लगता है. ब्याज डेली बेसिस पर कैलकुलेट होता है.
बैंक तय करते है अमाउंट की लिमिट
ओवरड्राफ्ट फैसिलिटी के तहत मिलने वाले अमाउंट की लिमिट क्या रहेगी, ये बैंक तय करते हैं. आमतौर पर सैलरी अकाउंट पर अगर आप ओवरड्राफ्ट फैसिलिटी लेते हैं, तो आपको सैलरी की दोगुनी या तिगुनी रकम लोन के तौर पर मिल सकती है. लेकिन सैलरी अकाउंट पर ओवरड्राफ्ट की सुविधा वो ही बैंक दे सकता है, जिसमें आपका अकाउंट ओपन हो.
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ओवरड्राफ्ट लोन के फायदे
OD के एक नहीं कई फायदे हैंऋ आमतौर पर जब आप पर्सनल लोन लेते हैं तो जितनी राशि का अप्रूवल मिलता है, उस पूरी राशि पर ब्याज कैलकुलेट किया जाता है. लेकिन ओवरड्राफ्ट लोन में ऐसा नहीं होता. इसमें बैंक से अप्रूव की हुई पूरी राशि पर ब्याज नहीं देना होता. आप अपने अकाउंट से जितना अमाउंट निकालकर यूज करते हैं, सिर्फ उतने अमाउंट पर ही आपको ब्याज चुकाना पड़ता है.
उदाहरण से समझिए- अगर ओवरड्राफ्ट फैसिलिटी के तहत मिलने वाले अमाउंट की लिमिट बैंक की ओर से दो लाख तय की गई है और आपने सिर्फ एक लाख रुपए ही इस्तेमाल किए हैं, तो ब्याज सिर्फ एक लाख पर ही लगेगा.
इसके अलावा जितने समय के लिए अमाउंट आपके पास होता है, ब्याज भी सिर्फ उतने समय तक ही लगता है. मतलब आप जितनी जल्दी लोन चुकाएंगे, उतनी जल्दी किस्त के झंझट से मुक्ति पाएंगे. लोन जल्दी चुकाने के लिए आपको प्रीपेमेंट चार्ज वगैरह नहीं देना होता है. जबकि पर्सनल लोन निश्चित समय से पहले क्लोज नहीं कर सकते. अगर आप ऐसा करते हैं, तो आपको उसके लिए प्रीपेमेंट चार्ज देना पड़ता है. OD में आपको लोन लेने के लिए प्रोसेसिंग फीस वगैरह नहीं देनी होती. जबकि पर्सनल लोन या किसी अन्य लोन में प्रोसेसिंग फीस भी देनी होती है.
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कैसे उठाएं OD की सुविधा का लाभ
ओवरड्राफ्ट फैसिलिटी के लिए आपको अपनी एफडी, शेयर्स, घर, सैलरी, इंश्योरेंस पॉलिसी, बॉन्ड्स आदि को गिरवी रखना पड़ता है. अगर आप अमाउंट को नहीं चुका पाते हैं तो आपकी गिरवी रखी चीज से इसकी भरपाई की जाती है. लेकिन ओवरड्राफ्टेड अमाउंट आपके द्वारा गिरवी रखी गई चीज से ज्यादा है तो गिरवी रखी चीज से भरपाई करने के बाद आपको बाकी के पैसे चुकाने होंगे. हालांकि अगर आपके पास गिरवी रखने के लिए कुछ नहीं है, तो आप क्रेडिट कार्ड से विदड्रॉल के रूप में अनसिक्योर्ड ओवरड्राफ्ट सुविधा भी ले सकते हैं.