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SBI Scheme: ₹1 लाख के बन जाएंगे ₹2 लाख, जानिए कैसे मिलेगा रिस्‍क फ्री स्‍कीम का फायदा

SBI Scheme: बैंकों की FDs आज भी फिक्‍स्‍ड इनकम के लिए निवेश का अच्‍छा ऑप्‍शन हैं. इसमें न्‍यूनतम रिस्‍क या बिना रिस्‍क उठाए पैसा डबल किया जा सकता है. देश का सबसे बड़ा बैंक SBI भी अपने कस्‍टमर्स को अलग-अलग टेन्‍योर की FDs स्‍कीम ऑफर करता है. कस्‍टमर्स को 7 दिन से लेकर 10 साल तक की FDs की सुविधा मिलती है. अलग-अलग मैच्‍योरिटी की एफडी पर SBI रेगुलर कस्‍टमर को 3 फीसदी से 6.5 फीसदी तक और सीनियर सिटीजन को 3.5 फीसदी से 7.5 फीसदी तक सालाना ब्‍याज देता है. 

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SBI Scheme: ₹1 लाख जमा पर 10 साल में ₹2 लाख

मान लीजिए, रेगुलर कस्‍टमर SBI की 10 साल की मेच्‍योरिटी वाली स्‍कीम में 1 लाख एकमुश्‍त जमा करता है. SBI FD Calculator के मुताबिक, निवेशक को 6.5 फीसदी सालाना ब्‍याज दर से मैच्‍योरिटी पर कुल 1,90,555 रुपये मिलेंगे. इसमें ब्‍याज से 90,555 रुपये की फिक्‍स्‍ड इनकम होगी. 

दूसरी ओर,  सीनियर सिटीजन SBI की 10 साल की मेच्‍योरिटी वाली स्‍कीम में 1 लाख एकमुश्‍त जमा करता है. SBI FD Calculator के मुताबिक, सीनियर सिटीजन को 7.5 फीसदी सालाना ब्‍याज दर से मेच्‍योरिटी पर कुल 2,10,234 रुपये मिलेंगे. इसमें ब्‍याज से 1,10,234 रुपये की फिक्‍स्‍ड इनकम होगी.

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SBI FDs: ब्‍याज की इनकम पर टैक्‍स 

बैंकों की FDs को आमतौर पर सेफ माना जाता है. जोखिम नहीं लेने वाले निवेशकों के लिए यह अच्‍छा ऑप्‍शन है. 5 साल की टैक्‍स सेविंग एफडी पर सेक्‍शन 80C में टैक्‍स डिडक्‍शन का लाभ मिलता है. हालांकि, FD से मिलने वाला ब्‍याज टैक्‍सेबल होता है. इनकम टैक्‍स नियमों (IT Rules) के मुताबिक एफडी स्‍कीम पर टैक्‍स डिडक्शन एट सोर्स (TDS) लागू है. यानी, एफडी की मैच्‍योरिटी पर मिलने वाली रकम आपकी इनकम मानी जाएगी और स्‍लैब रेट के मुताबिक आपको टैक्‍स देना होगा.  आईटी नियमों के मुताबिक, टैक्‍स डिडक्‍शन से छूट के लिए जमाकर्ता फॉर्म 15G/15H जमा कर सकता है. 

5 लाख तक डिपॉजिट हैं इश्‍ंयोर्ड

बैंक ग्राहक हैं तो आपको ये जरूर मालूम होना चाहिए कि अगर आपका बैंक डिफॉल्‍ट करता है या डूब जाए तो आपको बैंक में जमा रकम पर 5 लाख रुपए तक का इंश्‍योरेंस कवर मिलता है. यह रकम कस्‍टमर को डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन (DICGC) की ओर से दी जाती है. DICGC रिजर्व बैंक के पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनी है.

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DICGC देश के बैंकों का इंश्योरेंस करता है. पहले इस एक्‍ट के तहत बैंक डूबने या बैंकरप्‍ट होने की स्थिति में 1 लाख रुपए तक की राशि दी जाती थी, लेकिन सरकार ने इस बढ़ाकर 5 लाख कर दिया है. भारत में जिन विदेशी बैंकों की शाखाएं हैं, वो भी इसके दायरे में आती हैं. 

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