इस्लामाबाद: पाकिस्तान बेहद खराब आर्थिक स्थिति से जूझ रहा है, ये जगजाहिर है। उसकी लगातार गिरती इकॉनमी की स्थिति को ऐसे समझा जा सकता है कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) और विश्व बैंक जैसे वैश्विक ऋणदाता भी उसे कर्ज देने से कन्नी काट रहे हैं।
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इसकी वजह पाक की खराब क्रेडिट रेटिंग, उच्च ऋण जोखिम और कमजोर आर्थिक स्थिति है। इसे देखते हुए इन ऋणदाताओं ने स्पष्ट रूप से सुधारों के लिए अपनी वित्तीय क्रेडिट लाइनों को पूर्वनिर्धारित किया है। कर्जदाताओं ने ये भी तर्क दिया है कि पाकिस्तान को दिया गया धन भ्रष्टाचार के चलते खुर्दबुर्द हो जाता है और जरूरत की जगह पहुंच ही नहीं पाता है।
पाकिस्तान के आर्थिक संकट के पीछे सबसे अहम वजह उसका चौंका देने वाला ऋण स्तर है। 2023 तक पाकिस्तान पर करीब 125 बिलियन अमेरिकी डॉलर बकाया हो गया है। इसमें करीब एक तिहाई कर्ज चीन का है। इसने कर्ज चीन की चर्चित ‘कर्ज ट्रैप कूटनीति” पर फिर से ध्यान केंद्रित कर दिया है। चीन पर नई औपनिवेशिक महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए पूरे एशिया और अफ्रीका में अपनी ये खास किस्म की कर्ज नीति चलाने का आरोप लगातार लग रहा है। पाकिस्तान का चीन के साथ चल रहा सीपीईसी प्रोजेक्ट भी चीन की कर्ज ट्रैप की नीति से अछूता नहीं दिख रहा है।
सीपीईसी प्रोजेक्ट बन रहा पाकिस्तान के लिए मुश्किलचीन किस तरह से कर्ज के जाल में फंसे देशों की संपत्तियों का इस्तेमाल करता है।
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इसका सबूत पाकिस्तान, श्रीलंका जैसे पड़ोसी देशों के अलावा अफ्रीकी देशों में ढांचागत संपत्तियों पर उसका प्रभाव होना है। श्रीलंका की ही बात करें तो उसने हंबनटोटा बंदरगाह को 99 साल की लीज पर लिया हुआ है। पाकिस्तान के लिए चीन पाकिस्तान इकॉनमिक कॉरिडोर, सीपीईसी के लिए लिया गया कर्ज परेशानी बन रहा है।
सीपीईसी के पाकिस्तान घटक की परियोजना लागत करीब 25 बिलियन अमेरिकी डॉलर से ज्यादा है। साफ है कि पाकिस्तकान को चीनी लेनदारों को इतनी वित्तीय पूंजी देनी है, जिससे यह पाकिस्तान के विदेशी ऋण संचय में सबसे बड़ा बन गया है। जिस बात ने इसे और अधिक चिंताजनक बना दिया है, वह फ्लैट वाणिज्यिक दरें हैं जिस पर पाकिस्तान ने ऋण लिए थे। ब्याज की ये दरें ज्यादातर मामलों में 7 प्रतिशत से अधिक हैं। जो आईएमएफ जैसे उधारदाताओं की तुलना में कहीं अधिक है। आईएमएफ 2 प्रतिशत पर कर्ज देता है।
ऊंची ब्याज दरों में उलझता ही जा रहा पाकिस्तानपाकिस्तान बार-बार चीन को अपना सबसे अच्छा दोस्त कहता रहा है लेकिन इस दोस्त की ओर से दिए गए कर्ज की ऊंची ब्याज दरों ने पाकिस्तान को कर्ज के जाल में फंसा दिया है, जिससे इस्लामाबाद के लिए कर्ज चुकाना मुश्किल हो गया है। दिलचस्प बात यह है कि पाकिस्तान के लिए कर्ज चुकाना तो दूर ब्याज चुकाने में भी उसकी हालात खराब हो रही है। स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2023 के लिए देश की कुल विदेशी ऋण सेवा देनदारियां 20.81 बिलियन अमेरिकी डॉलर (पाकिस्तान के 792 लाख करोड़ रुपए) हैं।
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पाकिस्तान को चीन केर पुराने ऋणों को चुकाने के लिए नए ऋण लेने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। ये नए कर्ज भी चीनी बैंक ही दे रहे हैं, जो इस कर्ज के जाल को और ज्यादा उलझा दे रहा है। उदाहरण के लिए, 8 नवंबर को यह पता चला कि पाकिस्तान इंडस्ट्रियल एंड कमर्शियल बैंक ऑफ चाइना ने बैंक ऑफ चाइना से 600 मिलियन अमेरिकी डॉलर कर्ज मांगा है। ये सिलसिला भी 2017 से जारी है जब पाकिस्तान ने सीपीईसी के तहत लिए कर्जों को चुकाने के लिए बीजिंग से बचाव ऋण लेना शुरू किया था। साफ है कि पाकिस्तान की इस समय बनी खराब आर्थिक स्थिति, मुख्य रूप से चीनी के भारी कर्ज की वजह से है। पाकिस्तान पूरी तरह से चीन के बिछाए कर्ज के जाल में फंसा हुआ है।