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शेयर बाजार

आपने शेयर मार्केट में किया है निवेश तो यहां जानें कब हो सकता है एक्जिट करने का सही समय?

अगर आपने शेयर मार्केट में निवेश है और शेयर बेचकर मुनाफा वसूल करके पैसे बनाना चाह रहे हैं तो उसके लिए कई फैक्टर्स पर विचार करने के बाद ही आगे बढ़ें.

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Indian Equity Market: इंडियन इक्विटी मार्केट में किसी शेयर से बाहर निकलने का सबसे अच्छा समय तय करना एक माइक्रो प्रॉसेस है जिसमें कई फैक्टर्स का बहुत सावधानी से मूल्यांकन करना पड़ता है. हालांकि, इसके बारे में कोई यह नहीं कह सकता है कि कब इन्वेस्टर को अपने स्टॉक से निकल जाना चाहिए, क्योंकि मार्केट की परिस्थितियों के बारे में कोई भी यह नहीं कह सकता है कि कल क्या होने वाला है? हां, इतना जरूर है कि इन्वेस्टर अपने स्टॉक से बाहर निकलने के बारे में सही फैसला लेने के लिए कई फैक्टर्स पर विचार कर सकते हैं.

टार्गेट तय करें

मार्केट में एंट्री करने से पहले, इन्वेस्टर्स को क्लियर इन्वेस्टमेंट टार्गेट तय करके और पूर्वनिर्धारित एक्जिट स्ट्रैटेजी बनानी चाहिए. चाहे वह टार्गेट रिटर्न हो, एक खास समय सीमा हो, या रिस्क लिमिट हो, इनका सही समय पर होना फैसला लेना प्रॉसेस को तय कर सकते हैं.

मार्केट की स्थितियां

मार्केट की स्थितियों पर नजर रखना बहुत महत्वपूर्ण है. आर्थिक संकेतक, जियो-पॉलिटिकल घटनाएं और ग्लोबल आर्थिक ट्रेंड स्टॉक की कीमतों पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकते हैं. जब व्यापक आर्थिक कारक संभावित मंदी या अनिश्चितताओं का संकेत दें तो बाहर निकलने पर विचार करना चाहिए.

कंपनी की परफॉरमेंस

जिस कंपनी के शेयरों में निवेश किया है कंपनी के फाइनेंशियल हेल्थ और परफॉरमेंट का रेगुलर तौर आकलन करें. यदि बुनियादी बातों में गिरावट के संकेत हैं, जैसे कि राजस्व में गिरावट, बढ़ता कर्ज, या मैनेजमेंट के इश्यूज, तो स्टॉक से बाहर निकलना समझदारी हो सकती है.

स्टॉक का वैल्यूएशन

स्टॉक के वैल्यूएशन पर ध्यान दें. यदि कोई स्टॉक अपनी अर्निंग्स, इंडस्ट्री के साथियों या ऐतिहासिक वैल्यूएशन के मुकाबले अधिक वैल्यूएबल हो जाता है, तो उसको बेचने पर विचार करने का संकेत हो सकता है.

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प्रॉफिट, टार्गेट और लॉस लिमिट

प्रॉफिट टार्गेट और लॉस लिमिट बनाना इन्वेस्टमेंट का एक अनुशासित आउटलुक है. जब स्टॉक आपके पूर्व निर्धारित प्रॉफिट टार्गेट तक पहुंच जाए या लॉस आपकी पूर्वनिर्धारित लिमिट से बढ़ने लगे, तो बेचने पर विचार करें. हालांकि ऐसे समय में इमोशनल फैसला लेने में दिक्कत आ सकती है.

डायवर्सिफिकेशन

अपने ओवरऑल पोर्टफोलियो की रेगुलर तौर पर रीव्यू करें और यह तय करें कि यह डायवर्सिफाइड बना रहे. यदि कोई स्पेशल स्टॉक आपके पोर्टफोलियो पर हावी होने लगता है, तो कुछ शेयरों को बेचकर और कई तरह की असेट्स में वेल्थ का रीडिस्ट्रीब्यूश करके रीबैलेंस करना बुद्धिमानी हो सकती है.

डिविंडेड पर करें विचार

यदि डिविडेंड इनकम आपकी इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटेजी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, तो उन शेयरों पर विचार करें जो लगातार डिविडेंड देते हैं. ऐसे शेयरों से बाहर निकलने से आपकी इनकम का प्रवाह प्रभावित हो सकता है.

मार्केट सेंटीमेंट्स

मार्केट के सेंटीमेंट्स और इन्वेस्टर मनोविज्ञान से जुड़े रहें. यदि मार्केट अत्यधिक आशावादी या निराशावादी है, तो यह क्रमशः बेचने या बेचने पर विचार करने के लिए एक विपरीत संकेत हो सकता है.

नियमित तौर पर रखें नजर

शेयर मार्केट डायनेमिक है और स्थितियां तेजी से बदल सकती हैं. नियमित तौर पर अपने निवेश की निगरानी करें, कंपनी की खबरों से अवगत रहें और उभरती परिस्थितियों के आधार पर अपनी एक्जिट स्ट्रैटेजी को समायोजित करने के लिए तैयार रहें.

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गौरतलब है कि शेयर मार्केट से बाहर निकलने का सबसे अच्छा समय प्रत्येक इन्वेस्टर के लिए अलग-अलग होता है और यह पर्सनल फाइनेंशियल टार्गेट्स, मार्केट स्थितियों और जिन कंपनियों में निवेश किया है कि खास प्रदर्शन के संयोजन से प्रभावित होता है. इंडियन इक्विटी मार्केट के लगातार बदलते लैंडस्केप को समझने के बारे में सूचित रहना, अपने आउटलुक में अनुशासित रहना और आवश्यकतानुसार अपनी रणनीति को अपनाना आवश्यक है.

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