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जम्मू और कश्मीर

Jammu Kashmir: 30 साल में पहली बार कश्मीर में पंडितों के नाम पर सड़क और कालेज

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श्रीनगर, राज्य ब्यूरो : ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर में जीरो ब्रिज से बख्शी स्टेडियम तक जाने वाली सड़क को अब जिंदा कौल मार्ग नाम से जाना जाएगा। जम्मू कश्मीर सरकार ने साहित्य अकादमी पुरस्कार पाने वाले पहले कश्मीरी कवि जिंदा कौल के सम्मान में इस सड़क का नाम बदलने का फैसला किया है।

जिंदा कौल को आम कश्मीरी मास्टरजी के नाम से जानता है। यही नहीं, कुछ कालेजों और स्कूलों के नाम भी कश्मीर के नामी साहित्यकारों और शिक्षाविदों के नाम पर रखे जाने की तैयारी हो चुकी है। इनमें स्वर्गीय मोती लाल केमू, स्वर्गीय प्रो. हामिद कश्मीरी और स्वर्गीय प्रो रियाज पंजाबी शामिल हैं। बीते 30 सालों में यह पहला अवसर है, जब कश्मीर में किसी कश्मीरी पंडित के नाम पर किसी कालेज या मार्ग का नाम रखा जा रहा है।

कश्मीरी पंडित समुदाय से संबंधित साहित्यकारों के नाम पर सड़कों और शिक्षण संस्थानों के नामकरण को वादी में कश्मीरी पंडितों की वापसी और कश्मीर के सामाजिक-सांस्कृतिक जीवन में उनके योगदान से कश्मीर की युवा पीढ़ी को अवगत कराने की प्रशासनिक कवायद के साथ जोड़कर देखा जा रहा है। प्रदेश प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि फिलहाल श्रीनगर में ही चार साहित्यकारों व शिक्षाविदों के नाम पर सड़कों और शिक्षण संस्थानों का नामकरण किए जाने का प्रस्ताव है। यह वह शख्सियत हैं, जिन्होंने कश्मीर में शिक्षा, साहित्य, संस्कृति के क्षेत्र में योगदान करते हुए राष्ट्रवाद को मजबूत बनाने में उल्लेखनीय भूमिका निभाई है।

पांच भाषाओं के जानकार थे जिंदा कौल : श्रीनगर के हब्बाकदल में 1884 में पैदा हुए जिंदा कौल न सिर्फ स्कूल में पढ़ाते थे, बल्कि अगर उनके घर में कोई उनसे पढऩे की इ’छा के साथ पहुंचता था तो वह उसे भी निराश नहीं करते थे। इसलिए उन्हेंं मास्टरजी पुकारा जाता था। वह फारसी, हिंदी, उर्दू, कश्मीरी और अंग्रेजी में लिखते थे। उन्होने अपनी पहली कविता 12 साल की उम्र में लिखी थी और श्रीनगर में सनातन धर्म सभा की बैठक में उन्होंने उसका पाठ किया था। उन्हेंं 1956 में साहित्य अकादमी ने पुरस्कृत किया था।

अभिनेता कुणाल खेमू के दादा मोती लाल के नाम पर हैदरपोरा का डिग्री कालेज : थियेटर और साहित्य में अहम योगदान करने वाले पद्मश्री मोती लाल केमू के सम्मान में हैदरपोरा स्थित डिग्री कालेज का नाम रखे जाने का प्रस्ताव है। यह डिग्री कालेज कट्टरपंथी सैयद अली शाह गिलानी के घर से कुछ ही दूरी पर स्थित है। मोती लाल केमू ने नगर उदास, तीन असनगाती एकांकी, लल दरयास लोल रे, तरुनोवे, त्शाई जैसे नाटक लिखे हैं। वह बालीवुड अभिनेता कुणाल केमू के दादा हैं। उन्हेंं 2012 में केंद्र सरकार ने पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया था। उनका निधन अप्रैल, 2018 में जम्मू में हुआ था।

रियाज पंजाबी के नाम होगा महाविद्यालय : कश्मीर विश्वविद्यालय के पूर्व उपकुलपति पद्मश्री स्वर्गीय रियाज पंजाबी के कश्मीर में साहित्य, शिक्षा और राष्ट्रवादी विचाराधारा के प्रचार प्रसार में उनके योगदान को देखते हुए महिला राजकीय महाविद्यालय का नाम प्रो रियाज पंजाबी महिला राजकीय महाविद्यालय रखा जा रहा है।

प्रो कश्मीरी के नाम पर होगा स्कूल : गालिब और साहित्य अकादमी के पुरस्कार से सम्मानित कश्मीर विश्वविद्यालय के पूर्व उपकुलपति पद्मश्री प्रो हामिद कश्मीरी के नाम पर राजबाग स्थित ब्वायज हायर सेकेंडरी स्कूल का नाम रखा जाएगा। बोहरीकदल श्रीनगर में 1932 में पैदा हुए प्रो हामिद कश्मीरी ने कश्मीर मे उर्दू शायरी और साहित्य को एक नई दिशा दी। उन्होंने कश्मीर विश्वविद्यालय में उर्दू पत्रकारिता का भी पाठ्यक्रम शुरू कराया। लगभग 50 किताबों के लेखक प्रो हामिद कश्मीर को 2010 में पद्मश्री पुरस्कार मिला था। उनका निधन 27 दिसंबर 2018 को हुआ।

ह गर्व की बात : कश्मीरी साहित्यकार अग्निशेखर ने जिंदा कौल और मोती लाल केमू के नाम पर श्रीनगर में सड़क और कालेज का नाम रखे जाने की सूचना पर कहा कि यह हमारे लिए बहुत गर्व की बात है। एक कश्मीरी पंडित होने के नाते, एक कश्मीर विस्थापित होने के नाते जम्मू कश्मीर सरकार को मैं इस कार्य के लिए बधाई देता हूं। कश्मीरी पंडित समुदाय ने कश्मीर के सामाजिक, साहित्यिक और सांस्कृतिक क्षेत्र में जो योगदान किया है, यह उसका सम्मान है। 

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