All for Joomla All for Webmasters
समाचार

नीट में आरक्षण पर बोला सुप्रीम कोर्ट, मेरिट के खिलाफ नहीं है कोटा; केंद्र का फैसला सही

supreme Court

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने राष्ट्रीय पात्रता एवं प्रवेश परीक्षा-पीजी (NEET-PG) आरक्षण मामले में गुरुवार को कहा कि परीक्षाएं आर्थिक सामाजिक लाभ को नहीं दर्शाती हैं जोकि कुछ वर्गों को मिला है, इसलिए योग्यता को सामाजिक रूप से प्रासंगिक बनाया जाना चाहिए। न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने मेडिकल सिलेबस में पीजी कक्षाओं में दाखिले से संबंधित राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा-2021-22 (नीट-पीजी) मामले की काउंसलिंग एवं नामांकन की प्रक्रिया आगे बढ़ाने की अनुमति देने के संबंध में वस्तिृत आदेश पारित करते हुए कहा कि आरक्षण योग्यता के विपरीत नहीं है।

पीठ ने गत सात जनवरी को दिए अपने अंतरिम आदेश के संदर्भ में वस्तिृत कारण बताते हुए कहा कोरोना महामारी के इस दौर में हमें डॉक्टरों की सख्त आवश्यकता है। ऐसे में किसी भी न्यायिक हस्तक्षेप से इस साल प्रवेश प्रक्रिया में देरी होती, पात्रता योग्यता में कोई बदलाव और दोनों पक्षों की ओर से मुकदमेबाजी आगे बढ़ने से नामांकन में देरी होती।

Read more:12 से 14 साल के बच्चों को कब लगना शुरू होगी वैक्सीन? जानिए सरकार का क्या है फैसला

शीर्ष अदालत ने कहा कि यह तर्क नहीं दिया जा सकता है कि जब परीक्षाओं की तारीखें तय की गईं तो ऐन वक्त पर नियमों में बदलाव किया गया। अदालत ने कहा कि ऑल इंडिया कोटा (एआईक्यू) सीटों में आरक्षण देने से पहले केंद्र को इस अदालत की अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं थी और इस तरह उनका फैसला सही था।

सर्वोच्च अदालत ने कहा कि संवैधानिक व्याख्या के शामिल होने के मामलों में न्यायिक औचत्यि हमें कोटा पर रोक लगाने की अनुमति नहीं देगा, खासकर जब मामला लंबित हो। पीठ ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के कोटे के संबंध में कहा कि हमने कहा है कि याचिकाकर्ताओं की दलीलें सर्फि एआईक्यू में हस्सिेदारी तक सीमित नहीं थी बल्कि मानदंड (परिवार की सालाना आमदनी आठ लाख रुपये तक) भी थी, इसलिए इस मामले पर वस्तिार से सुनवाई की जरूरत है।

Read more:NDA में 400 में से महज 19 महिला उम्मीदवार ही क्यों? सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से मांगा जवाब

अदालत इस मामले में मार्च के तीसरे सप्ताह में विचार करेगा। नील ऑरेलियो नून्स के नेतृत्व में याचिकाकर्ताओं के एक समूह ने मेडिकल सिलेबस के स्नातकोत्तर कक्षाओं में अखिल भारतीय कोटा में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिये 27 प्रतिशत और ईडब्ल्यूएस के लिए 10 फीसदी आरक्षण लागू करने के संबंध में केंद्र की 29 जुलाई की अधिसूचना को चुनौती दी है। अदालत ने सात जनवरी को 27 फीसदी ओबीसी कोटे की वैधता को बरकरार रखा था, लेकिन कहा कि ईडब्ल्यूएस उम्मीदवारों के लिए नर्धिारित आठ लाख रुपये प्रतिवर्ष की आय मानदंड लंबित याचिकाओं के अंतिम परिणाम के अधीन होगा। 

Source :
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

लोकप्रिय

To Top