किसानों को गोदामों में जमा अपनी उपज पर और आसानी के साथ कर्ज (Crop Loan) उपलब्ध होगा. भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के इस योजन से जुड़ने से बड़ी संख्या में गोदाम रजिस्ट्रेशन के लिए आगे आएंगे.
नई दिल्ली. किसानों को लोन (Farm Loan) लेने के लिए अपनी जमीन को बैंकों के पास गिरवी रखना पड़ता है. किसान क्रेडिट कार्ड बनवाने के लिए भी किसान के पास जमीन का होना अनिवार्य है. लेकिन, अब किसान गोदाम में रखी अपनी फसल पर भी कर्ज ले सकेंगे. किसानों को खेती के खर्चों के लिए सस्ता लोन देने के लिए भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने वेयरहाउसिंग एंड रेगुलेटरी अथॉरिटी (WDRA) के साथ एमओयू किया है. इस एमओयू की मदद से डब्लूडीआरए के साथ रजिस्टर्ड गोदामों से जारी इलेक्ट्रॉनिक निगोशिएबल वेयरहाउस रिसीट पर किसानों को कर्ज दिया जाएगा.
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hindi.cnbctv18.com की एक रिपोर्ट के अनुसार, एसबीआई के चेयरमैन दिनेश खारा ने बताया कि डब्ल्यूडीआरए के साथ भागीदारी से किसानों को उनकी पैसों से जुड़ी जरूरतों को पूरा करने के लिए बैंक वित्त का अतिरिक्त विकल्प देगा. ई-एनडब्लूआर पर फाइनेंसिंग की सुविधा और बेहतर होगी. इससे किसानों को आसानी से कर्ज मिल सकेगा. यह सुविधा शुरू होने से ज्यादा से ज्यादा वेयरहाउस डब्लूडीआर में रजिस्ट्रेशन कराएंगे जिससे किसानों, वेयरहाउस और कर्ज के विकल्पों को ज्यादा व्यवस्थित किया जा सकेगा.
क्या होगा फायदा?
बहुत से किसान अपनी फसल को निकालते ही बेचते नहीं है. वे उसका भंडारण कर लेते हैं. कई बार फसल का रेट बढ़ने की उम्मीद में अपनी फसल रोकते हैं तो कई बार सीजन में भाव कम होने के कारण भंडारण किया जाता है. फसल न बेचने के कारण कई बार किसानों को अपनी जरूरतों का पूरा करने के लिए धन की कमी का सामना करना पड़ता है. लेकिन, अब एसबीआई द्वारा भंडारगृहों में भंडारित फसल पर भी लोन देने से किसानों को पैसों की तंगी से नहीं गुजरना होगा.
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किसे मिलेगा लाभ?
उन किसानों को ही भंडारित फसल पर कर्ज लेने की सुविधा मिलेगी, जो अपनी फसल को डब्लूडीआर से पंजीकृत भंडारगृहों में रखेंगे. घर में रखी फसल पर कर्ज नहीं दिया जाएगा. और न ही अपंजीकृत भंडारगृह में रखी फसल पर ऋण मिलेगा.
आरबीआई ने बढ़ाई कर्ज की सीमा
हाल ही में रिजर्व बैंक ने प्राथमिकता वाले सेक्टर को कर्ज के अंतर्गत ई-एनडब्लूआर पर किसी कर्जदार के लिए कर्ज की सीमा 50 लाख से बढ़ाकर 75 लाख कर दिया है. यानि अब किसान पहले से ज्यादा कर्ज उठा सकते हैं. इस योजना के तहत बैंक अधिकृत गोदामों के द्वारा जारी रिसीट के आधार पर किसानों को बेहद आसानी के साथ कर्ज मुहैया कराते हैं. जिससे किसानों की जरूरत पूरी हो सके और साथ ही वे समय आने पर गोदामों में रखी फसल को बेहतर कीमतों पर भी बेच सकें.