2008 में जिम्बाब्वे ने ब्लैक मार्केट में 100 ट्रिलियन डॉलर का बैंक नोट जारी किया था. इस नोट की कीमत भारतीय रुपयों में 100 लाख करोड़ थी. हैरानी की बात है कि इस नोट की कीमत पाकिस्तान समेत कई देशों की अर्थव्यवस्था से कई गुना ज्यादा है.
नई दिल्ली. महंगाई और खाद्य संकट के चलते कई देशों में लोग बेहाल हैं. श्रीलंका, पाकिस्तान, तुर्की और अर्जेंटीना समेत कई देश हैं जहां आर्थिक हालात बिगड़ते जा रहे हैं. अफ्रीकी देश जिम्बाब्वे की हालत भी कुछ ऐसी है. आपको जानकार हैरानी होगी कि कभी इस देश में महंगाई और आर्थिक चुनौती से निपटने के लिए 100 ट्रिलियन डॉलर का बैंक नोट जारी किया गया था.
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साल 2008 में जिम्बाब्वे ने ब्लैक मार्केट में 100 ट्रिलियन डॉलर का बैंक नोट जारी किया था. इस नोट की कीमत भारतीय रुपयों में 100 लाख करोड़ थी. हैरानी की बात है कि इस नोट की कीमत पाकिस्तान समेत कई देशों की अर्थव्यवस्था से कई गुना ज्यादा है. ऐसे में सवाल उठता है कि आर्थिक रूप से बदहाल देश में इतनी बड़ी करेंसी कैसे जारी हो गई थी.
महंगाई से मुकाबले के लिए छापा था नोट
दरअसल 2008 में आर्थिक संकट के कारण जिम्बाब्वे का विदेशी मुद्रा भंडार समाप्त हो गया था और उसकी करेंसी की वैल्यू रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गई थी. उस वक्त जिम्बाब्वे में महंगाई की दर जबरदस्त तरीके से बढ़ी थी. इस वजह से रिजर्व बैंक ऑफ जिम्बाब्वे को ट्रिलियन यूनिट की करेंसी लाने की जरूरत पड़ गई थी. एक बार फिर यही हाल 2023 में बन रहे हैं. जब जिम्बाब्वे को यह कदम उठाना पड़ रहा है. उस समय केंद्रीय बैंक, जो अति-मुद्रास्फीति से जूझ रहा है Z$10tn, Z$20tn और Z$50tn नोट पेश करने की भी योजना बना रहा था.
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उस समय जिम्बाब्वे में भोजन और ईंधन की आपूर्ति में कमी के साथ इनकी कीमतें हर दिन दोगुनी हो रही थीं. केंद्रीय बैंक ने पहले बैंक नोट जारी करके मुद्रास्फीति के साथ गति बनाए रखने का प्रयास किया, जिसका प्रभाव बहुत कम रहा था. उस वक्त जिम्बाब्वे में आर्थिक और राजनीतिक उथल-पुथल भी तेज थी. अभी फिर से जिम्बाब्वे में महंगाई तेजी से बढ़ने लगी है. कोरोना महामारी और रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद इस अफ्रीकी देश में हालात बिगड़ने लगे हैं.