MVA के भविष्य को लेकर शरद पवार ने बयान दिया है.
पुणे: महाराष्ट्र की सियासत में उठापटक थमी नहीं है. उद्धव ठाकरे की पार्टी की एकनाथ शिंदे के साथ ही बीजेपी से भी तनातनी ज़ाहिर है. इस बीच MVA यानी कांग्रेस, एनसीपी और उद्धव ठाकरे के साथ पर भी सवाल उठते हैं. क्या ये दल साथ रहेंगे? इसे लेकर शरद पवार ने बयान दिया है. शरद पवार ने कहा कि हम सुनिश्चित करेंगे कि ये तीनों दल साथ रहें क्योंकि महाराष्ट्र के लोग बदलाव चाहते हैं. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के प्रमुख शरद पवार ने कहा कि महाराष्ट्र के लोग बदलाव चाह रहे हैं और वह यह सुनिश्चित करेंगे कि महा विकास आघाड़ी (MVA) के घटक दल राज्य का अगला विधानसभा चुनाव तथा 2024 का लोकसभा चुनाव साथ मिलकर लड़ें.
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शरद पवार ने पुणे शहर के कस्बा पेठ विधानसभा क्षेत्र से नवनिर्वाचित कांग्रेस विधायक रवींद्र धंगेकर से मुलाकात के बाद पत्रकारों से बातचीत में यह टिप्पणी की. धंगेकर राकांपा प्रमुख से मिलने के लिए पुणे स्थित उनके आवास पहुंचे थे. पवार ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) के गढ़ कस्बा पेठ में हुए विधानसभा उपचुनाव में आम लोगों ने धंगेकर को चुना, क्योंकि वह पिछले कई वर्षों से उनके लिए काम कर रहे हैं. यह पूछे जाने पर कि क्या आगामी निकाय चुनावों में एमवीए के घटक दल साथ लड़ने का फॉर्मूला दोहराएंगे, पवार ने कहा कि राकांपा में उनके सहयोगी इस पहलू पर गौर कर रहे हैं. उन्होंने कहा, “हालांकि, मेरा प्रयास यह सुनिश्चित करना होगा कि एमवीए के घटक दल एक साथ रहें, संयुक्त फैसले लें और राज्य विधानसभा एवं लोकसभा चुनावों का मिलकर सामना करें.”
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पूर्व केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि महाराष्ट्र के लोग बदलाव चाह रहे हैं. उन्होंने कहा, “मैं राज्य में घूम रहा हूं और इस दौरान लोग मुझसे कह रहे हैं कि वे बदलाव चाहते हैं. वे चाहते हैं कि हम (विपक्ष) साथ आएं. यह लोगों की भावना है.” एमवीए का गठन 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद हुआ था, जब उद्धव ठाकरे और उनकी पुरानी सहयोगी भाजपा की राहें जुदा हो गई थीं. इसमें शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे), राकांपा और कांग्रेस शामिल हैं. कस्बा पेठ विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस-एमवीए उम्मीदवार रवींद्र धंगेकर ने भाजपा प्रत्याशी हेमंत रासने पर 10,800 से अधिक वोटों से जीत हासिल की थी.
पवार ने शुरुआत में कहा था कि कस्बा पेठ में जीत मुश्किल नजर आ रही है, क्योंकि भाजपा सांसद गिरीश बापट वहां के मतदाताओं के बीच मजबूत पकड़ रखते हैं. उन्होंने कहा, “बापट की खूबी यह है कि उनके पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ तो मजबूत संबंध थे ही, साथ ही गैर-भाजपा दलों के साथ भी उनके रिश्ते बेहद सौहार्दपूर्ण थे. इसलिए हमारा आकलन था कि कस्बा पेठ में जीत हमारे लिए मुश्किल होगी, क्योंकि निर्वाचन क्षेत्र में बापट की पकड़ मजबूत थी.” पवार ने आगे कहा, “लेकिन अंत में हमने महसूस किया कि इस बात को लेकर सुगबुगाहट थी कि क्या भाजपा उम्मीदवार का चयन करते समय बापट के सुझावों पर विचार किया गया था.” उन्होंने कस्बा पेठ में जीत का श्रेय धंगेकर द्वारा किए गए कार्यों और एमवीए के घटकों की कड़ी मेहनत को दिया. भाजपा द्वारा चुनाव के अंतिम चरण में कथित रूप से हिंदुत्व फैक्टर लाने की कोशिशों के बारे में पूछे जाने पर पवार ने कहा कि उन्होंने लोगों को उद्धव ठाकरे के बारे में बहुत बातें कहते हुए सुना है, जिन्होंने पिछली एमवीए सरकार का नेतृत्व किया था.
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चुनाव से पहले भाजपा द्वारा धन बांटे जाने के आरोपों पर राकांपा प्रमुख ने कहा कि उन्हें नोटों के बंडलों की कुछ तस्वीरें दिखाई गईं, लेकिन वह मामले की गहराई में नहीं गए. पवार ने कहा, “ये तस्वीरें मुझे उन लोगों ने दिखाई थीं, जो राजनीति में नहीं हैं. उन्होंने मुझे बताया कि वे एक खास विचारधारा को वोट देते रहे हैं, लेकिन कहा कि जब उन्होंने धन बंटते हुए देखा तो इन लोगों से दूर जाने का फैसला किया.” राकांपा प्रमुख ने कहा, “पारंपरिक मतदाता को धन बांटना पसंद नहीं आया. उन्होंने चुनाव में यह साबित कर दिया कि वे इन बातों को स्वीकार नहीं करेंगे.”
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भाजपा ने मतदाताओं को धन के कथित वितरण से किसी भी तरह का संबंध होने के आरोपों से इनकार किया था. प्याज की कीमतों में गिरावट और नेफेड द्वारा खरीद के बारे में किसानों की शिकायतों पर बोलते हुए पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि नासिक के कुछ किसानों ने उन्हें बताया कि प्याज की खरीद ठीक से नहीं हो रही है. पवार ने कहा, “प्याज के दाम कम हो गए हैं, लेकिन उनके भंडारण पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है. राज्य और केंद्र सरकार ने कोई फैसला नहीं लिया है. किसानों का कहना है कि सरकार ने जो भी फैसले लिए हैं, वो उचित नहीं हैं.”