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राजस्थान

Rajasthan Politics: BJP ने संगठन को आंख दिखाने वालों के कतरे ‘पर’, जारी किया ये बड़ा फरमान, अब…

Rajasthan BJP Politics: पुलवामा शहीदों की वीरांगनाओं की मांगों के समर्थन और राज्यसभा सांसद किरोड़ीलाल मीणा से हुई बदसलूकी के विरोध में बीजेपी के धरना प्रदर्शन के दौरान प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया के साथ हुए घटनाक्रम से पार्टी अलर्ट मोड पर आ गई है. पार्टी ने अब आंदोलन को लेकर अपनी रणनीति बदलते हुए इसके लिए बड़ा फैसला लिया है. अब कोई भी पार्टी नेता अपने स्तर पर आंदोलन नहीं कर सकेगा. इसके लिए उसे पहले संगठन की अनुमति लेनी होगी.

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जयपुर. बीजेपी (BJP) में अब संगठन को दरकिनार कर धरने प्रदर्शन करना पार्टी विरोधी गतिविधियों में माना जाएगा. अब पार्टी नेता संगठन की इजाजत से ही धरना-प्रदर्शन और आंदोलन (Agitation) कर सकेंगे. पार्टी ने उनके लिए सख्त गाइड लाइन बनाई है जो आंदोलन की आजादी को पार्टी का नहीं बल्कि खुद का हक मानकर जनता के बीच जमे रहते हैं. बीजेपी ने यह बड़ा कदम हाल ही में प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया के साथ हुई घटना के बाद उठाया है. पार्टी के इस कदम को संगठन को आंख दिखाने वालों के ‘पर’ कतरने की नजर से देखा जा रहा है. पूनिया के साथ ही हुई घटना की गूंज दिल्ली तक पहुंचने के बाद इस फैसले पर मुहर लगाई गई है.

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दरअसल किरोड़ीलाल मीणा आंदोलन की राजनीति से निकले वो नेता हैं जो जहां चाहे जब चाहे आंदोलन में कूद पड़ते हैं. इसके लिए वे न तो पार्टी की अनुमति लेते हैं और न ही जगह की. कभी किरोड़ी विधानसभा के प्रवेश द्वार पर पहुंच जाते हैं तो कभी मुख्यमंत्री के दरवाजे पर चले जाते हैं. कभी सचिन पायलट के घर के बाहर धरना लगा देते हैं तो कभी हाइवे जाम कर देते हैं. किरोड़ी का बरसों से आंदोलन का यही अंदाज है. लेकिन बीजेपी के लिए इसे बर्दाश्त कर पाना उस वक्त मुश्किल हो गया जब किरोड़ी समर्थकों ने प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया को ही नहीं बख्शा.

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किरोड़ी समर्थकों ने पूनिया के खिलाफ ही ‘हाय हाय’ के नारे लगा दिए
पुलवामा हमले के शहीदों की वीरांगनाओं के समर्थन में किरोड़ीलाल की ओर से किए जा रहे आंदोलन के दौरान उनसे हुई बदसलूकी के विरोध में बीजेपी ने हाल ही में जयपुर में हल्ला बोल प्रदर्शन किया था. इसमें प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया के साथ ऐसी घटना हो गई जो पहले न कभी देखी गई और न सुनी गई. इसमें किरोड़ी समर्थकों ने पूनिया के खिलाफ ही ‘हाय हाय’ के नारे लगा दिए. नारे लगाने वाले वो लोग थे जो पहले पुलिस की गाड़ियों में तोड़फोड़ कर चुके थे. उनके हाथ में डंडे और सरियों के साथ पत्थर भी थे.

आंदोलन के लिए जिला या प्रदेश स्तर पर संगठन की मंजूरी लेनी होगी
गनीमत रही कि मामला पूनिया के घेराव तक ही निपट गया. कुछ अनहोनी हो जाती तो पार्टी के पास बोलने के लिए कुछ नहीं बचता. बीजेपी के प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह ने इसे गंभीरता से लिया. अब पार्टी ने बिना परमिशन के आंदोलन करने वाले नेताओं को दो टूक शब्दों में चेतावनी दे दी है. पार्टी ने कहा है कि अगर वो आंदोलन करेंगे तो पार्टी का इससे कोई लेना देना नहीं रहेगा. अब पार्टी के किसी भी सांसद-विधायक या अन्य जनप्रतिनिधि को आंदोलन करने के लिए जिला या प्रदेश स्तर पर संगठन की मंजूरी लेनी होगी.

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आपसी तालमेल प्रभावित हो रहा है और गुटबाजी भी बढ़ रही है
पार्टी का आपसी तालमेल प्रभावित न हो इसके लिए आंदोलन से पहले मुद्दे और विषय के बारे में प्रदेश संगठन को जानकारी देनी होगी. अगर संगठन की अनुमति नहीं मिलती है तो वह आंदोलन उस नेता का व्यक्तिगत आंदोलन माना जाएगा. पार्टी में पिछले दो तीन साल से प्रदेश में कई ऐसे नेता हैं जो कई मुद्दों पर पार्टी को जानकारी दिए बिना ही आंदोलन कर रहे हैं. इससे न केवल आपसी तालमेल प्रभावित होता है. बल्कि पार्टी में गुटबाजी भी बढ़ रही है. अनुशासनहीनता की भी शिकायतें प्रदेश स्तर पर पहुंच रही हैं.

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बीजेपी अब छाछ को भी फूंक फूंककर पीएगी
अब दूध की जली बीजेपी नई गाइडलाइन के जरिये छाछ को भी फूंक फूंक कर पिएगी. एक पहलू यह भी है कि कार्यकाल पूरा होने के बावजूद भी सतीश पूनिया का अध्यक्ष बने रहना पार्टी का एक धड़ा पचा नहीं पा रहा है. पूनिया विरोधी एकजुट हो रहे हैं. संगठन भी अपनी ताकत का अहसास कराने के लिए अब कड़े कदम उठाकर ये बताना चाहता है कि बीजेपी में संगठन ही सर्वोपरि है. उनकी पार्टी की रीति नीति सिद्धान्तों में आस्था नहीं तो वह भाजपाई नहीं है. ऐसे लोगों को मौका परस्त करार देकर बेनकाब करने की पार्टी के भीतर तैयारियां चल रही है. उल्लेखनीय है कि बीजेपी के राज्यसभा सांसद किरोड़ीलाल मीणा पूर्व में यह कह चुके हैं कि उनके तो काम करने का तरीका यही है. किसी को बुरा लगे तो लगे.

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