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हेल्थ

डायपर बच्‍चे को कर सकता है बीमार, मम्मियां अक्‍सर करती हैं ये गलतियां, डॉ. से जानें नैपी पहनाने का सही तरीका

Diaper Use Side Effects: डायपर का इस्‍तेमाल नवजात शिशुओं से लेकर छोटे बच्‍चों के लिए तेजी से बढ़ गया है. आरएमएल अस्‍पताल दिल्‍ली (RML Hospital Delhi) के डॉ. राजीव सूद कहते हैं कि माएं बच्‍चे की हाईजीन और अपनी सहूलियत को देखते हुए डिस्‍पोजेबल डायपर्स या नैपी (Nappy) पहनाती हैं, हालांकि डायपर पहनाते वक्‍त की जाने वाली कुछ गलतियां (Mistakes) बच्‍चों को बीमार भी कर सकती हैं.

Diaper-Nappy: जब से बाजार में बेबी डायपर्स (Baby Diapers) आने लगे हैं मम्मियों की मुश्किल बहुत आसान हो गई है. छोटे बच्‍चे के बार-बार सूसू-पॉटी करने से के चलते दिन भर पानी में हाथ देने वाली माएं अब डायपर लगाकर चैन की नींद ले पाती हैं. बच्‍चे को नैपी (Nappy) पहनाकर कहीं भी बाहर ले जाना भी सुविधाजनक हो गया है. सिर्फ मम्मियां ही नहीं छोटे बच्‍चे भी इन नैपी पैड्स (Nappy Pads) के चलते न खुद भीगते हैं और न ही बिस्‍तर को भिगाते हैं. ऐसे में नवजात शिशु ही नहीं यूरिन और स्‍टूल की जानकारी न दे सकने वाले सभी बच्‍चों के लिए इसका इस्‍तेमाल धड़ल्‍ले से हो रहा है. हालांकि डायपर या नैपी बच्‍चों और मां के लिए जितना सुविधाजनक है, अगर इसे पहनाने का सही तरीका न पता हो तो इसके कई नुकसान भी हो सकते हैं.

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दिल्‍ली के राम मनोहर लोहिया अस्‍पताल (Ram Manohar Lohia Hospital, Delhi) में डिपार्टमेंट ऑफ यूरोलॉजी के हेड प्रोफेसर डॉ. राजीव सूद कहते हैं कि बच्‍चे को डायपर पहनाना हाइजनिक है. इससे न केवल बच्‍चा साफ-सुथरा रहता है, बल्कि उसके आसपास का एरिया, बिस्‍तर, कपड़े आदि भी साफ रहते हैं. इसके अलावा यह मांओं के लिए कंफर्टेबल भी है, क्‍योंकि बाजार से आने वाले नैपीज को साफ नहीं करना पड़ता, सीधे डिस्‍पोज कर दिया जाता है. आज डायपर पर ही एक बड़ा अमाउंट खर्च हो जाता है. ये बहुत छोटी-छोटी बातें हैं लेकिन इनकी जानकारी हर मां-बाप को होना जरूरी है.

काफी समय पहले डायपर (Diaper) घर पर ही बनाए जाते थे जिन्‍हें हम लंगोट (Langot) या तिकोनी बोलते हैं. कुछ जगहों पर अभी ऐसा होता होगा. ये कॉटन के साफ कपड़े के बने होते थे. बच्‍चा जब भी सूसू या पॉटी करता था तो इन्‍हें साफ किया जाता था और फिर से बच्‍चे को पहनाया जाता था. हालांकि इनमें से बच्‍चे का यूरिन (Urine) या स्‍टूल (Stool) की नमी बाहर आ जाती थी.

डायपर पहनाते समय ये करते हैं गलतियां (Mistakes using Diapers)
. डॉ. सूद कहते हैं चूंकि अभी एक यूज के बाद फेंकने वाले डायपर हैं तो मां हो या पिता जो भी बच्‍चे को नैपी पहनाते हैं, वे ऐसी गलतियां करते हैं कि बच्‍चे को कई परेशानियां हो जाती हैं.. डायपर या नैपी पहनाकर बच्‍चे को कई-कई घंटे तक छोड़ देना.
. डायपर भरने के बाद भी न उतारना या बदलना.
. 2-3 साल के बड़े बच्‍चों को भी डायपर (Diaper) पहनाकर रखना.
. बच्‍चे के डायपर में पॉटी करने के बाद तुरंत सफाई नहीं करना.
. बच्‍चे के सूसू या पॉटी (Potty) डायपर में करने के बाद उन जगहों को पानी कॉटन से साफ न करना.
. नैपी पहनाने से पहले तेल या मॉइश्‍चराइजर न लगाना.

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डायपर पहनाने से बीमारियां (Side Effects of Diaper Use)
. खासतौर पर छोटी बच्चियों को डायपर पहनाने के बाद यूरिनरी ट्रैक्‍ट इंफेक्‍शन के चांसेज बढ़ जाते हैं. ऐसा इसलिए होता है कि डायपर में ही सूसू या पॉटी कर लेने और थोड़ी देर भी ऐसा ही रहने पर एसिडिक और एल्‍केलाइन वाले बैक्‍टीरिया मिल जाते हैं और संक्रमण फैला देते हैं.
. डायपर से बच्‍चों के पार्टिकुलर हिस्‍से की त्‍वचा भी खराब हो जाती है.
. ज्‍यादा देर तक डायपर पहनाए रखने से रैशेज हो जाते हैं, कई बार ये इतने बढ़ जाते हैं कि बिना डॉक्‍टरी सलाह के ठीक नहीं हो पाते.
. नैपी पहनने से बच्‍चा असहज महसूस करता है और वह चिड़चिड़ा हो जाता है. ज्‍यादा रोता है.
. लंबे समय तक डायपर पहनने वाले बच्‍चे सूसू-पॉटी की जानकारी देना देरी से सीखते हैं, ऐसे बच्‍चों को अगर डायपर न पहनाया जाए तो वे बिना बताए कहीं भी स्‍टूल या यूरिन पास कर देते हैं.
. अगर बच्‍चा चलना सीख गया है तो उसको डायपर पहनाने से उसे चलने में कठिनाई हो सकती है. वह बार-बार गिर सकता है. उसकी चाल में भी अंतर आ सकता है.

ये है डायपर पहनाने का सही तरीका 
. डॉ. राजीव सूद कहते हैं कि सिर्फ बहुत छोटे बच्‍चों को ही डायपर पहनाएं, क्‍योंकि नवजात बच्‍चे कई-कई बार सूसू-पॉटी करते हैं.
. कभी भी दो या तीन बार और सूसू करने का इंतजार न करें अगर डायपर गीला हो गया है या भरने लगा है तो तो डायपर को बदल दें.
. नैपी में पॉटी होने पर तत्‍काल डायपर बदलें. बच्‍चे के शौच वाले हिस्‍से को कॉटन को गीला करके अच्‍छी तरह से आगे से पीछे की ओर साफ भी करें.
. डायपर पहनाने से पहले कोई तेल या मॉइश्‍चराइजर जरूर लगाएं.
. 24 घंटे डायपर न पहनाएं, बच्‍चे को खुला भी रहने दें.
. बच्‍चे की मां अगर घर पर रहकर केयर कर रही है तो बच्‍चे को डायपर के सहारे छोड़ने के बजाय शुरू से ही सूसू और पॉटी के प्रति ट्रेन्‍ड करने की कोशिश करें. उसे समय-समय पर सूसू-पॉटी कराएं.
.हाईजीन पर ध्‍यान दें लेकिन डायपर पर डिपेंड न हों. अगर बिना इसके भी काम चल सकता है तो और बेहतर है.

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