1 अप्रैल से बिना हॉलमार्किंग सोने की बिक्री पर पाबंदी लगा दी गई है. अब कोई भी ज्वेलर बिना हॉलमार्क सोने-चांदी और उससे बनी ज्वेलरी की बिक्री नहीं कर पाएंगे. हालांकि, इससे आपकी पुरानी ज्वेलरी की वैल्यू पर कोई असर नहीं होगा.
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नई दिल्ली. देश भर में 1 अप्रैल से बिना हॉलमार्किंग के फिजिकल गोल्ड बेचने पर पूरी तरह से पाबंदी लगा दी गई है. अब मार्केट में कोई भी ज्वेलर बिना हॉलमार्किंग के सोना नहीं बेच पाएंगे. हालांकि, ज्वेलर्स के लिए गोल्ड ज्वेलरी पर हॉलमार्किंग पहले ही अनिवार्य कर दिया था. लेकिन अब तक व्यापारी पुराने स्टॉक के नाम पर बिना हॉलमार्क के ही सोना और उससे बनी ज्वेलरी बेच रहे थे.
ऐसे में आपके दिमाग में यह सवाल उठना वाजिब है कि जब मार्केट में बिना हॉलमार्क सोना बेचने पर पाबंदी लग गई है तो क्या आपके घर में रखी बिना हॉलमार्क वाली ज्वेलरी को अब आप नहीं बेच पाएंगे. इस आर्टिकल में हम आपके इसी सवाल पर बात करेंगे. आइए जानते हैं कि बिना हॉलमार्क वाली ज्वेलरी को अब कैसे बेच सकते हैं.
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क्या होता है हॉलमार्क?
हॉलमार्क सोने की शुद्धता का एक पैमाना है. यह इस बात की गारंटी देता है कि आप जो सोना खरीद रहे हैं वह असली है. इसे BIS यानी ब्यूरो ऑफ़ इंडियन स्टैंडर्ड्स प्रमाणित करता है. इसके तहत सोने, चांदी और उनसे बनी ज्वेलरी पर कुछ निशान लगाए जाते हैं जिससे इनकी शुद्धता के बारे पता लगाया जा सकता है. हॉलमार्किंग के तहत सोने या चांदी की लैब टेस्टिंग के बाद उस पर निशान लगाए जाते हैं. इस पर कैरेट और शुद्धता के अनुसार हॉलमार्किंग सेंटर के निशान होते हैं. जैसे 22K 916 यानी 91.6 फीसदी शुद्धता वाला 22 कैरेट सोना और 18K 750 यानी 75 फीसदी शुद्धता वाला 18 कैरेट सोना आदि.
कस्टमर्स को क्या होगा फायदा?
हॉलमार्क की वजह से अब कस्टमर्स खुद सोने या गोल्ड की क्वालिटी चेक कर सकेंगे. इसका मतलब यह है कि हॉलमार्किंग देखते ही कस्टमर को यह पता चल जाएगा कि वह सोना या चांदी कितनी असली है और उसमें कितनी मिलावट है. बता दें कि हॉलमार्किंग की वजह से मिलावटी, कम गुणवत्ता वाले और नकली सोने पर अंकुश लगाया जा सकेगा. इससे ज्वेलर्स अब असली सोने के नाम पर कस्टमर्स को उल्लू नहीं बना पाएंगे.
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बिना हॉलमार्क वाली ज्वेलरी का क्या होगा?
अब आपके सवाल पर आते हैं कि आपके घर में रखी हुई बिना हॉलमार्क वाली ज्वेलरी का अब क्या होगा. आपको बता दें कि आपकी पुरानी ज्वेलरी की वैल्यू पर इसका कोई असर नहीं होगा. अगर आप उसे बेचना चाहते हैं तो उस दिन के सोने के भाव के हिसाब से ही आपको उसकी कीमत मिलेगी. हालांकि, ज्वेलर्स के लिए यह जरूरी है कि पुरानी ज्वेलरी की क्वालिटी चेक करने के बाद उस पर हॉलमार्किंग करके ही उसे फिर से बेचें. इसका सीधा सा मतलब यह है कि आप बिना हॉलमार्क वाली ज्वेलरी मार्केट में बेच सकते हैं लेकिन ज्वेलर उस सोने का इस्तेमाल बिना हॉलमार्क नहीं कर सकेंगे. इसके लिए उन्हें सोने को पिघलाकर उसे नए डिजाइन में हॉलमार्किंग के साथ बेचना होगा.