ITR Filing: आयकर विभाग ने AY 2023-24 के लिए आईटीआर फॉर्म 1 और 4 जारी कर दिए हैं. इसके जरिए नौकरीपेशा और छोटे व्यापारी आयकर रिटर्न भर सकेंगे.
ITR Filing: अगर आप नौकरीपेशा हैं तो आपके लिए यह जरूरी खबर है. आयकर विभाग ने व्यक्तियों, पेशेवरों और छोटे कारोबारियों के लिये वित्त वर्ष 2022-23 के आयकर रिटर्न (आईटीआर) भरने के लिए फॉर्म 1 और 4 की सुविधा शुरू कर दी है. विभाग ने ट्विटर पर लिखा है कि अन्य आयकर रिटर्न/फॉर्म के लिये सुविधाएं जल्द शुरू की जाएगी. विभाग ने एक व्यक्ति के ट्वीट के जवाब में कहा, “ई-फाइलिंग पोर्टल पर आकलन वर्ष (AY) 2023-24 के लिये ऑनलाइन आईटीआर एक और चार भरने की सुविधा शुरू कर दी गयी है.”
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वित्त वर्ष 2022-23 के लिये जिन लोगों के खातों के ऑडिट की जरूरत नहीं है, उनके मामले में आयकर रिटर्न भरने की अंतिम तिथि 31 जुलाई है. आईटीआर 1 वेतनभोगी और वरिष्ठ नागरिक समेत अन्य व्यक्ति भरते हैं. वहीं, आईटआर 2 कंपनियां और पेशेवर भरते हैं. यह उन इकाइयों के लिये है जिन्होंने अनुमानित कराधान का विकल्प चुना है और जिनकी सालाना आय 50 लाख रुपये से अधिक नहीं है.
डिफॉल्ट होगी न्यू टैक्स रिजीम
आईटीआर फाइल करते वक्त याद रखें कि इस बार न्यू टैक्स रिजीम को डिफॉल्ट में रखा गया है. मतलब वह खुद-ब-खुद सलेक्ट होगी. अगर आपको ओल्ड टैक्स रिजीम के तहत आईटीआर भरना है तो आपको इसे खुद से बदलना होगा. गौरतलब है कि नई टैक्स रिजीम में टैक्स में छूट प्राप्त करने के लिए बहुत सीमित विकल्प हैं. हालांकि, 7 लाख तक की आय को प्रभावी रूप से टैक्स फ्री कर दिया गया है. वहीं ओल्ड टैक्स रिजीम में टैक्स छूट की सीमा को नहीं बढ़ाया गया है. लेकिन वहां आप विभिन्न सरकारी स्कीमों निवेश व अन्य तरीकों से टैक्स में छूट का दावा कर सकते हैं.
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कौन सी रिजीम चुनने में फायदा
इनकम टैक्स पोर्टल क्लीअर के संस्थापक अर्चित गुप्ता के अनुसार, आयकरदाता के लिए नई टैक्स प्रणाली बेहतर है या पुरानी कर व्यवस्था सही है, इसका एक सामान्य जवाब नहीं दिया जा सकता है. उन्होंने कहा कि इसका जवाब टैक्सपेयर की आमदनी, निवेश की आदत और खर्च पर निर्भर करता है. उनका कहना है कि किसी को नई टैक्स रिजीम से फायदा मिलेगा तो किसी को पुरानी प्रणाली से.
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तो फिर क्या करें
अगर आपका सालाना वेतन 7.50 लाख रुपये के अंदर है तो आपके लिए नई टैक्स रिजीम बेस्ट होगी. ऐसा इसलिए क्योंकि 7 लाख रुपये तक की आय पर तो टैक्स रीबेट मिल रहा है. इसका साथ ही 50,000 रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन मिल जा रहा है. यानी कुल मिलाकर आपकी 7.5 लाख रुपये तक की आय पर कोई टैक्स नहीं देना होगा. अगर आयकरदाता पुरानी टैक्स प्रणाली चुनता है तो उसे टैक्स छूट प्राप्त करने के लिए अलग-अलग जगह निवेश दिखाना होगा. वरना उसका करीब 52000 रुपये का टैक्स कट जाएगा.