SEBI Consultation Paper On FPI: सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने हाल ही में एक कंसल्टेशन पेपर जारी किया. इस पेपर में सेबी इंडिया (SEBI India) ने विदेश से आने वाले पैसों पर भी कंट्रोल बढ़ाने की बात कही. सेबी ने जो कंसल्टेशन पेपर जारी किया है, उसमें ज़ी बिजनेस के मैनेजिंग एडिटर अनिल सिंघवी को कुछ बातें काफी अहम लगी हैं. अनिल सिंघवी (Anil Singhvi) ने कहा कि अब विदेशी निवेशकों को भी लोकल फंड्स की तरह वर्गीकृत किया जाएगा. अनिल सिंघवी ने बताया कि जैसे घरेलू निवेशकों की लिस्ट है, जिसमें हाई रिस्क, मीडियम रिस्क और लो रिस्क जैसी कैटेगरी होती है, ठीक वैसे ही विदेशी निवेशकों के साथ किया जाएगा. सेबी ने जो कंसल्टेशन पेपर जारी किया है, उसमें अनिल सिंघवी ने कुछ चुनिंदा मुद्दों को चर्चा के लिए चुना है.
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25000 करोड़ से ज्यादा निवेश पर डिस्क्लोजर जरूरी
अनिल सिंघवी ने कहा कि 25 हजार करोड़ से ज्यादा निवेश वाले विदेशी निवेशकों को ज्यादा डिस्क्लोजर देने होंगे. जितना ज्यादा निवेश, सेबी के पास उतनी ज्यादा जानकारी देनी जरूरी है. अनिल सिंघवी का कहना है कि इस कदम से ज्यादा अमाउंट वाले विदेशी निवेशकों के पीछे कौन है, किन संस्थाओं का निवेश है, उन पर ज्यादा नजर रखनी पड़ेगी.
‘क्यों लाया गया कंसल्टेशन पेपर
इसके अलावा एक ग्रुप में AUM का 50 फीसदी से ज्यादा निवेश होने पर अतिरिक्त डिस्क्लोजर देना जरूरी है. कंसल्टेशन पेपर में विदेशी निवेशकों के लिए अतिरिक्त ट्रांसपैरेंसी बढ़ाने की मांग है. ये कंसल्टेशन पेपर इसलिए भी जारी किया गया है ताकि रिस्क को लिमिटेड किया जा सके.
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अनिल सिंघवी ने बताया कि ये सेबी ने कंसल्टेशन पेपर इसलिए जारी किया ताकि ज्यादा निवेश करने वाले विदेशी निवेशकों की ज्यादा जानकारी मिल सके. इसके अलावा सेबी के पास ज्यादा पावर हो, जिससे फंड में निवेशक और मैनेजमेंट की जानकारी पता चल सके. MPS नियमों के उल्लंघन करने पर रोक लगाने के लिए कंसल्टेशन पेपर जारी किए गए हैं.
बाजार में पैसा लगाने के लिए नहीं किया मना
अनिल सिंघवी ने कहा कि ये देखना होगा कि ये कंसल्टेशन पेपर कब नई गाइडलाइन्स के तौर पर बनकर आता है. हालांकि आमतौर पर कंसल्टेशन पेपर ही गाइडलाइन बन जाते हैं. लेकिन मोटे तौर पर मुद्दा यही है कि बाहर से आने वाले पैसे पर सेबी (SEBI) ज्यादा नजर रख सके, इसके लिए ही कंसल्टेशन पेपर को जारी किया गया है.
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हालांकि सेबी ने अपने कंसल्टेशन पेपर में साफ लिखा है कि इस बात का ध्यान रखा जाएगा कि विदेशी निवेशकों को ज्यादा परेशानी ना हो. वहीं पैसा लगाने के लिए मना नहीं किया गया है. किसी भी विदेशी निवेशक को दूसरे विदेशी निवेशक पर कोई शक ना हो या कोई सवाल ना उठाए.