सुप्रीम कोर्ट ने 2000 के नोट को बिना किसी आईडी प्रूफ के बदलने के खिलाफ लगाई गई याचिका पर अर्जेंट सुनवाई की मांग को एक बार फिर से खारिज कर दिया है.
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नई दिल्ली : रिजर्व बैंक ने हाल ही में 2000 रुपये के नोट को चलन से बाहर कर दिया. हालांकि, केंद्रीय बैंक ने इसे बदलने के लिए 30 सितंबर तक का समय दिया है, इस बीच कोई भी 2000 का नोट लेने इनकार नहीं कर सकता. रिजर्व बैंक ने 2000 के नोटों को बिना किसी आईडी प्रूफ और रिक्विजिशन स्लीप के बदलने की सुविधा दी है. लेकिन रिजर्व बैंक के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है और इस पर जल्द सुनवाई की मांग भी की गई है. इधर सुप्रीम कोर्ट ने आज इस मामले पर एक बार फिर से जल्द सुनवाई से इनकार कर दिया.
जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस राजेश बिंदाल की वेकेशन बेंच ने कहा, ‘एक दूसरी बेंच पहले पहले ही आदेश दे चुकी है कि इस मामले को समर वेकेशन के बाद मुख्य न्यायाधीश के समक्ष सुनवाई के लिए रखा जाए.’
याचिका दायर करने वाले एडवोकेट अश्विनी उपाध्याय ने कहा, ‘रिजर्व बैंक गवर्नर ने हाल में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की और बताया कि सिर्फ 10 दिन में ही 1.8 लाख करोड़ के नोट बदले गए. इतनी बड़ी मुद्रा के नोट बिना किसी आईडी प्रूफ के बदल दिए गए.’ उन्होंने कहा वेकेशन बेंच इस मामले पर सुनवाई नहीं करता चाहती है. जुलाई में जब तक कोर्ट दोबारा खुलेगा, तब तक अपराधियों, नक्सलियों और माफियाओं का पूरा काला धन सफेद हो चुका होगा.
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पिछले हफ्ते भी उपाध्याय ने इस मामले पर जल्द सुनवाई की मांग की थी. लेकिन उस समय भी कोर्ट ने उनकी इस मांग को नकार दिया था. कोर्ट ने उस समय कहा था कि यह मामला अर्जेंट सुनवाई के लायक नहीं है और इस पर जुलाई में जब कोर्ट दोबारा खुलेगी, तब सुनवाई होगी.