Holi Festival Banned Notification Withdraws: गत 12 जून को पाकिस्तान की कायद-ए-आजम यूनिवर्सिटी में होली का त्योहार मनाया गया था. इस दौरान होली के रंगों में सराबोर होकर छात्रों के मस्ती करने के वीडियो पाकिस्तान के सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुए थे. इसे इस्लाम के लिए खतरा मानते हुए पाकिस्तान की सरकार ने यूनिवर्सिटी में इस तरह की गतिविधियों पर बैन लगा दिया था. लेकिन पाकिस्तान की कड़ी आलोचना होने के बाद अब उसने होली फेस्टिवल मनाने पर लगाए बैन को हटा दिया है.
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नई दिल्ली. पाकिस्तान (Pakistan) के हायर एजुकेशन कमीशन (HEC) ने यूनिवर्सिटी में होली फेस्टिवल मनाने पर प्रतिबंध लगा दिया था. गत 12 जून को पाकिस्तान की कायद-ए-आजम यूनिवर्सिटी (Quaid-e-Azam University) में होली का त्योहार (Holi Festival Banned) मनाया गया था. इस दौरान होली के रंगों में सराबोर होकर छात्रों के मस्ती करने के वीडियो पाकिस्तान के सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुए थे. इसे इस्लाम के लिए खतरा मानते हुए पाकिस्तान की सरकार (Pakistan Government) ने यूनिवर्सिटी में इस तरह की गतिविधियों पर बैन लगा दिया था. लेकिन पाकिस्तान ने कड़ी आलोचना होने के बाद अब होली फेस्टिवल मनाने पर लगाए बैन को हटा दिया है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यूनिवर्सिटीज में होली का त्योहार मनाने पर पाकिस्तान द्वारा लगाए गए प्रतिबंध को लेकर खूब शोर शराबा और कड़ा विरोध किया गया. इसके बाद पाकिस्तान को अपने इस 20 जून के आदेश पर यूटर्न लेते हुए वापस (Holi Festival Banned Notification Withdraws) लेने को मजबूर होना पड़ा है. पाकिस्तान के उच्च शिक्षा आयोग (Higher Education Commission) ने अब अपने पूर्व आदेश को वापस लेने संबंधी पत्र को जारी कर दिया है. आयोग की एग्जीक्यूटिव डॉयरेक्टर डॉ. शाइस्ता सोहेल की ओर से 22 जून गुरुवार को नया आदेश पत्र जारी किया गया है.
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HEC की ED डॉ. शाइस्ता सोहेल की ओर से 22 जून गुरुवार को नया आदेश पत्र जारी किया गया है. (Social Media)
होली पर बैन लगाने वाला 20 जून का आदेश पत्र. (Social Media)
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बताते चलें कि होली के त्योहार पर बैन लगाने के लिए कमीशन की तरफ से जारी किए गए नोटिफिकेशन में कहा गया था कि यूनिवर्सिटी में होली के त्योहार को मनाए जाने पर रोक लगाई जाती है ताकि सामाजिक-सांस्कृतिक मूल्यों को बचाया जा सके. इस तरह की गतिविधि देश के सामाजिक-सांस्कृतिक मूल्यों से पूरी तरह से हमें अलग करती है. ऐसा करने से देश की इस्लामिक पहचान पर असर पड़ता है.
वहीं, आगे कहा गया था कि सांस्कृतिक और धार्मिक विविधता समाज को एक दूसरे के प्रति सहनशीन बनाती है. इससे अन्य धर्मों के लोगों के प्रति सम्मान बढ़ता है. इसे हद से ज्यादा आगे ले जाए बिना एक नापे तोले तरीके से करने की आवश्यकता है. छात्रों को विदेशी हितों के बारे में जागरूक होने की आवश्यकता है जो उन्हें अपने स्वार्थ के लिए इस्तेमाल करते हैं.