ईपीएफओ (EPFO) की कर्मचारी पेंशन योजना (EPS) के बारे में तो आप जानते ही होंगे. ज्यादा पेंशन का विकल्प (Higher Pension) मिलने के बाद पिछले कुछ महीने में इसकी खूब चर्चा हुई है. इसी तरह आपको ईपीएफओ की ईपीएफ स्कीम यानी प्रोविडेंट फंड के बारे में भी अच्छे से जानकारी होगी. यह फंड प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों के लिए सबसे बड़ी सामाजिक सुरक्षा का काम करता है. लेकिन क्या आपको यह बात पता है कि ईपीएफओ इंश्योरेंस का भी फायदा देता है, जिसमें 7 लाख रुपये का कवरेज मिलता है?
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ईपीएफओ की 3 स्कीम
आज हम आपको ईपीएफओ की इस बीमा योजना के बारे में सारी बातें बताने वाले हैं. सबसे पहले तो आप यह जान लीजिए कि ईपीएफओ की तीन मुख्य योजनाएं हैं. सबसे पहले आता है ईपीएफ स्कीम (EPF Scheme, 1952), जिसके तहत प्रोविडेंट फंड का लाभ मिलता है. उसके बाद ईपीएफओ की पेंशन योजना (Pension Scheme, 1995) यानी ईपीएस (EPS) है. इनके अलावा एक और स्कीम है, जो कर्मचारियों के जमा से जुड़ी बीमा योजना (Employees’ Deposit-Linked Insurance Scheme) यानी ईडीएलआई (EDLI) है.
बहुत काम की है ये स्कीम
ईडीएलआई का लाभ हर उस वेतनभोगी इंसान को मिलती है, जिसकी सैलरी से पीएफ कटता है. यह योजना बड़े काम की है. इस कारण ईडीएलआई को अच्छे से समझ लेना बहुत जरूरी है. ईडीएलआई के तहत हर उस सैलरीड पर्सन को 7 लाख रुपये तक का इंश्योरेंस कवर मिलता है, जिसका पीएफ जमा होता है. अगर संबंधित व्यक्ति की अचानक मौत हो जाती है, तो ऐसी स्थिति में उसके परिजनों को ईपीएफओ से इस बीमा के तहत 7 लाख रुपये तक की मदद मिल जाती है. इसका लाभ संबंधित व्यक्ति के नॉमिनी को मिलता है.
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ईडीएलआई में कंट्रीब्यूशन
ईडीएलआई की एक और बात बहुत खास है. आपने अपनी सैलरी में देखा होगा कि उसमें से ईपीएफ और ईपीएस के पैसे कटते हैं, ईडीएलआई के नहीं. यही कारण है कि बहुत सारे लोगों को ईडीएलआई और इसके फायदों के बारे में नहीं पता होता है. ईपीएफ और ईपीएस के तहत एम्पलॉई भी कंट्रीब्यूशन देता है, जबकि ईडीएलआई का कंट्रीब्यूशन सिर्फ एम्पलॉयर यानी आपकी कंपनी से लिया जाता है.
कितना होता है अंशदान?
अब यह जानते हैं कि ईडीएलआई में कितना कंट्रीब्यूशन जाता है और उसे कैसे कैलकुलेट किया जाता है. ईडीएलआई स्कीम के तहत एम्पलॉई की बेसिक सैलरी और डीए के 0.5 फीसदी के बराबर योगदान दिया जाता है और यह अधिकतम 75 रुपये होता है. आप अगर नौकरी बदलते भी हैं तो भी इस स्कीम का लाभ आपको मिलता रहता है. बस शर्त यह है कि आपने कम से कम पिछले एक साल के दौरान लगातार काम किया हो और आपका पीएफ जमा होता रहा हो.
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कैसे कैलकुलेट होता है कवरेज?
अब सबसे जरूरी बात यह है कि कवरेज कैसे कैलकुलेट होता है. पिछले 12 महीने के दौरान कर्मचारी की औसत मासिक सैलरी क्या रही, उसी हिसाब से कवरेज का दायरा होता है. ईपीएफओ उस औसत के 35 गुणे के बराबर का कवर प्रदान करता है. हालांकि इसमें औसत मासिक सैलरी की अधिकतम लिमिट 15 हजार रुपये है. इस तरह 15 हजार के 35 गुणे यानी 5.25 लाख रुपये का कवरेज खुद ब खुद मिल जाता है. उसके ऊपर से 1.75 लाख रुपये तक का बोनस ऑर्गेनाइजेशन की ओर से दिया जाता है, जिससे टोटल कवरेज 7 लाख रुपये पर पहुंच जाता है.
कैसे क्लेम करते हैं बीमा?
इसका लाभ उठाने यानी क्लेम करने का प्रोसेस आसान है. अगर आपके परिवार के वेतनभोगी व्यक्ति की अचानक मौत हो जाती है, ऐसी स्थिति में नॉमिनी बीमा का क्लेम कर सकता है. नॉमिनी को कम्पोजिट क्लेम फॉर्म के जरिए पीएफ, पेंशन और ईडीएलआई का क्लेम करना होगा. इस प्रक्रिया में मृतक प्रमाणपत्र, उत्तराधिकार प्रमाणपत्र जैसे दस्तावेजों की जरूरत होती है. आपको जिस अकाउंट में भुगतान चाहिए, उसका कैंसल्ड चेक भी देना होता है.