भारत में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (Artificial Intelligence AI) और अन्य उभरती प्रौद्योगिकियों के इस्तेमाल को बढ़ावा देकर कृषि क्षेत्र की तस्वीर बदली जा सकती है.
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नई दिल्ली. भारत में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (Artificial Intelligence AI) और अन्य उभरती प्रौद्योगिकियों के इस्तेमाल को बढ़ावा देकर कृषि क्षेत्र की तस्वीर बदली जा सकती है. विश्व आर्थिक मंच (WEF) की एक रिपोर्ट में यह संभावना जताई गई है. तेलंगाना सरकार के सहयोग से क्रियान्वित की जा रही ‘सागु बागू’ (तेलुगू भाषा में कृषि उन्नति) योजना के पहले चरण की रिपोर्ट डब्ल्यूईएफ ने जारी की. इसके मुताबिक, उसकी ‘कृषि में नवोन्मेष के लिये आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस’ (AI4AI) पहल ने पहले चरण में मिर्ची की खेती करने वाले 7,000 से अधिक किसानों की कृषि प्रौद्योगिकी सेवाओं तक पहुंच संभव बनाने में मदद की.
कृषि प्रौद्योगिकी सेवाओं में एआई आधारित परामर्श, मृदा परीक्षण, उत्पादन गुणवत्ता परीक्षण और ई कॉमर्स शामिल है. ये सभी परियोजना के प्रारंभिक चरण में हैं.
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राज्य सरकार की इस योजना के दूसरे चरण में (2023 से) तीन जिलों में 20,000 मिर्च और मूंगफली के किसानों तक मौजूदा तथा अतिरिक्त कृषि तकनीक सेवाओं को पहुंचाना है.
छोटे किसानों को होगा फायदा
यह परियोजना 2022 में शुरू की गई थी और इसे ‘बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन’ के समर्थन से डिजिटल ग्रीन (तीन कृषि प्रौद्योगिकी स्टार्टअप के साथ मिलकर) क्रियान्वित कर रहा है. डब्ल्यूईएफ ने कहा कि यह रिपोर्ट सरकारों को उनके स्थानीय कृषि प्रौद्योगिकी परिवेश को सक्षम बनाने और छोटे किसानों का उत्थान करने में अहम भूमिका निभाने में सहायता प्रदान सकती है.
आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस से क्सान बनेंगे सशक्त
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डब्लयूईएफ ने इस परियोजना को कृषि मूल्य श्रृंखला में बदलाव के लिए मिसाल बताते हुए कहा कि प्रशासनिक एवं नीतिगत समर्थन और डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे के जरिये किसानों के लिये कृषि प्रौद्योगिकी आपूर्ति सेवाओं को सुगम बनाकर कृषि मूल्य श्रृंखला में महत्वपूर्ण बदलाव लाया जा सकता है. तेलंगाना के सूचना प्रौद्योगिकी एवं इलेक्ट्रॉनिक्स और संचार, उद्योग एवं वाणिज्य और शहरी विकास मंत्री के. टी. रामा राव ने कहा कि वह ‘सागु बागू’ योजना के पहले चरण की रिपोर्ट देखकर खुश हैं. उन्होंने कहा, ‘हम आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के जरिए हम किसानों को सशक्त बना सकते हैं