The Gig Economy: गिग इकोनॉमी ग्लोबल लेबर मार्केट का एक खास हिस्सा बन गई है, जो लेबर्स और बिजनेस के लिए समान अवसर और चुनौतियां दोनों पेश करती है.
The Gig Economy: Function, and India’s Role: हाल के वर्षों में गिग इकोनॉमी एक महत्वपूर्ण आर्थिक घटना के रूप में उभरी है, जिसने लोगों के काम करने के तरीके में क्रांति ला दी है और पारंपरिक रोजगार स्ट्रक्चर्स के लिए परेशानी पैदा कर दी है.
आइए, यहां पर जानते हैं कि गिग इकोनॉमी क्या है, यह कैसे काम करती है और इसमें भारत की क्या भूमिका है?
गिग इकोनॉमी क्या है?
गिग इकोनॉमी एक ऐसा लेबर मार्केट है, जिसकी खासियत शॉर्टटर्म और फ्रीलांस कार्य व्यवस्था है. ऐसी इकोनॉमी में लोगों को अक्सर “गिग लेबर” या “स्वतंत्र ठेकेदार” के तौर पर जाना जाता है, जो प्रोजेक्ट-दर-प्रोजेक्ट आधार पर काम करते हैं या सेवाएं देते हैं. ट्रेडिशनल फुलटाइम इंप्लॉयमेंट के विपरीत, गिग लेबर लॉन्ग टर्म कांट्रैक्ट्स से बंधे नहीं होते हैं, और वे यह चुनने के लिए स्वतंत्र होते हैं कि कब, कहां और कितना काम करेंगे?
गिग इकोनॉमी कैसे काम करती है?
गिग इकॉनमी डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म और ऑनलाइन मार्केटप्लेस से संचालित होती है जो गिग लेबर्स को खास तरह की सेवाओं की तलाश करने वाले कस्टमर्स से जोड़ती है. ये प्लेटफ़ॉर्म ब्रोकर्स के तौर पर काम करते हैं. बायर्स और सेलर्स के बीच ट्रांजैक्शन को सुविधाजनक बनाते हैं. कुछ सबसे लोकप्रिय गिग इकॉनमी प्लेटफ़ॉर्म में Uber, Lyft, Airbnb, Upwork, Fiverr और TaskRabbit शामिल हैं.
उदाहरण के तौर पर, ट्रांसपोर्टेशन सेक्टर में, उबर और लिफ़्ट जैसी राइड-हेलिंग कंपनियां लोगों को ड्राइवर के रूप में साइन अप करने और ऑन-डिमांड आधार पर यात्रियों को ट्रांसपोर्टेशन सर्विसेज प्रदान करने के लिए अपने स्वयं के वेहिकल्स का उपयोग करने के लिए देती हैं. इसी तरह, अपवर्क और फाइवर जैसे फ्रीलांस प्लेटफॉर्म बिजनेसेज और ग्राफिक डिजाइन, लेखन, प्रोग्रामिंग और दूसरे कार्यों के लिए टैलेंटेड प्रोफेशनल्स के लिए रोजगार मुहैया कराने में मदद कराते हैं.
गिग इकोनॉमी के क्या बेनिफिट्स हैं?
फ्लेक्जिबिलिटी
गिग लेबर्स को अपना शेड्यूल तय करने की स्वतंत्रता है, जिससे वे काम और पर्सनल कमिटमेंट्स को सही तरीके से बैलेंस कर सकते हैं.
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डायवर्स अपॉर्चुनिटी
गिग इकॉनमी अलग-अलग तरह के एक्सपर्ट लोगों के लिए अवसर लेकर आती है. जिससे वे अपनी शर्तों पर अपने टैलेंट को मोनेटाइज कर सकते हैं.
ग्लोबल टैलेंट पूल तक पहुंच
बिजनेस दुनिया भर में टैलेंट के इतने बड़े पूल का बेनिफिट ले सकते हैं, जिससे उन्हें स्पेशल स्किल और एक्सपर्टाइज तक पहुंच मिल सके.
कॉस्ट एफिशिएंसी
कंपनियां फुल टाइम इंप्लॉयमेंट से जुड़े एक्सपेंसेज से बचते हुए, स्पेशल प्रोजेक्ट्स के लिए फ्रीलांसरों को काम पर रखकर कॉस्ट को कम कर सकती हैं.
गिग इकोनॉमी का सबसे बड़ा उदाहरण
गिग इकोनॉमी के सबसे प्रमुख उदाहरणों में से एक राइड-हेलिंग इंडस्ट्री है, जिसमें उबर और लिफ़्ट जैसी कंपनियां ट्रांसपोर्टेशन सेक्टर में क्रांति ला रही हैं. इन प्लेटफार्मों ने अधिक सुविधाजनक, टेक्निक-ऑपरेटेड ऑप्शन का ऑफर करके ट्रेडिशनल टैक्सी इंडस्ट्री को खत्म करती जा रही है.
गिग इकोनॉमी में भारत की क्या भूमिका है?
ग्लोबल गिग इकोनॉमी में भारत तेजी से उभरा है. यहां की बड़ी आबादी, हायर स्मार्टफोन पहुंच और बढ़ती इंटरनेट कनेक्टिविटी के साथ, देश में गिग वर्कफोर्स में बड़ी ग्रोथ देखी गई है. गिग इकोनॉमी में भारत की प्रमुखता में कई कारक योगदान करते हैं:
टेक्नोलॉजी और डिजिटल बेसिक इन्फ्रास्ट्रक्चर
भारत के मजबूत डिजिटल बेसिक इन्फ्रास्ट्रक्चर और स्मार्टफोन की बड़े पामाने पर उपलब्धता ने गिग प्लेटफार्मों को तेजी से अपनाने की सुविधा दी है.
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युवा वर्कफोर्स
भारत एक बड़े और कुशल युवा वर्कफोर्स के लिए क्लेम करता रहा है, जो इसे डायवर्स टैलेंट की तलाश करने वाले गिग प्लेटफार्मों के लिए एक अट्रैक्टिव मार्केट बनाता है.
आंत्रप्रेन्योरशिप की भावना
भारत में कई व्यक्ति आंत्रप्रेन्योरशिप के साधन के रूप में गिग वर्क की ओर रुख कर रहे हैं, स्मॉल बिजनेसेज या फ्रीलांसिंग करियर शुरू करने के लिए अपने स्किल का लाभ उठा रहे हैं.
रोजगार के अवसर
गिग इकॉनमी ने कई भारतीयों को वर्कफोर्स में भाग लेने के अवसर प्रदान किया है. खासकर राइड-हेलिंग, फूड डिलीवरी और फ्रीलांस सर्विसेज जैसे सेक्टर्स में.
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गौरतलब है कि गिग इकोनॉमी ग्लोबल लेबर मार्केट का एक खास हिस्सा बन गई है, जो लेबर्स और बिजनेस के लिए समान अवसर और चुनौतियां दोनों पेश करती है. अपने फ्लेक्जिबल और डेवलपमेंट की कैपेसिटी के साथ, गिग इकोनॉमी दुनिया भर में काम के भविष्य को शेप देना जारी रखेगी. जैसे-जैसे टेक्नोलॉजी और कनेक्टिविटी में सुधार होगा, गिग इकोनॉमी में भारत की भूमिका का विस्तार होने की उम्मीद है, जो देश के आर्थिक विकास में योगदान देगा.