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बिज़नेस

कभी भूखे पेट गुजारी रातें, 90 रुपये थी सैलरी, फिर भी नहीं हारी हिम्मत, आज हैं मुंबई के मशहूर अरबपति कारोबारी

DAS ऑफशोर इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड के मालिक अशोक खाड़े के संघर्ष की कहानी लाखों युवा उद्यमियों को प्रेरणा देने वाली है. गरीबी के बीच भी अपनी मेहनत से कमाकर वे पढ़े और जिंदगी में बड़ा मुकाम हासिल किया.

Success Story: सड़क पर सोने वाला, भूखे पेट रहने वाला एक गरीब आदमी अपनी मेहनत की बदौलत देखते-देखते कुछ वर्षों में अरबपति कारोबारी बन गया. ऐसी कहानी फिल्मों में ज्यादा देखने को मिलती है. लेकिन, हम आपको जिस शख्स के बारे में बताने जा रहे हैं उसके संघर्ष की दास्तां भले ही आपको फिल्मी लगे, पर हकीकत में सौलह आने सच है. कभी भूखे पेट सोने वाला और मजदूरी करके महीने के 90 रुपये महीने कमाने वाला एक शख्स आज करोड़ों की कंपनी का मालिक है.

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ये कहानी महाराष्ट्र के सांगली जिले से ताल्लुक रखने वाले अशोक खाड़े की है. बचपन में घर में गरीबी देखने वाले अशोक खाड़े आज मुंबई के जाने-माने उद्योगपतियों में से एक हैं. कभी महीने में 100 रुपये कमाने वाले अशोक खाड़े की कंपनी का सालाना टर्नओवर आज 500 करोड़ रुपये है. आइये जानते हैं आखिर कैसे इस अमीर उद्योगपति ने यह मुकाम हासिल किया.

6 भाई-बहनों के परिवार में देखी गरीबी
अशोक खाड़े और उनके परिवार ने किसी जमाने में खूब गरीबी देखी. आलम यह था कि 6 भाई-बहनों के बीच अक्सर खाने-पीने के लाले रहते थे. इस वजह से अशोक खाड़े को खाली पेट सोना पड़ता था. उन्होंने यह हालात बचपन में देखे थे. इस गरीबी के चलते उनके पिता मुंबई चले गए और काम करने लगे, लेकिन फिर भी परिवार का पेट पालने में ज्यादा समर्थ नहीं रहे.

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पारिवारिक गरीबी के बाद भी अशोक खाड़े ने अपनी पढ़ाई जारी रखी, क्योंकि वह इस बात पर अड़े थे कि घोर गरीबी से बाहर निकलने का एकमात्र रास्ता शिक्षा है. आगे की पढ़ाई के बाद अशोक खाड़े अपने बड़े भाई के पास रहने के लिए मुंबई चले गए. इस बीच, उनके भाई ने मझगांव डॉकयार्ड में प्रशिक्षु वेल्डर के रूप में रोजगार हासिल कर लिया था। उनके भाई ने उनसे कॉलेज में दाखिला लेने का आग्रह किया, जिन्होंने उन्हें आवश्यक वित्तीय सहायता देने का भी वादा किया.

पढ़ाई के खर्च के लिए किया काम
अशोक खाड़े ने कॉलेज की फीस भरने के लिए ट्यूशन देना शुरू कर दिया. डिप्लोमा के बाद वह अपनी पढ़ाई जारी रखना चाहते थे, लेकिन अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए, प्रशिक्षु के तौर पर काम किया, जहां उन्हें 90 रुपये मासिक वजीफा मिलता था. अशोक खाड़े को जहाज डिजाइनिंग और पेंटिंग का प्रशिक्षण दिया गया.

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नौकरी के बाद शुरू किया अपना बिजनेस
इसके बाद उन्होंने जहाज़ों को डिज़ाइन किया और 4 साल बाद उन्हें स्थायी ड्राफ्ट्समैन के रूप में नियुक्त किया गया. उनका मासिक वेतन बढ़कर 300 रुपये हो गया. इस दौरान अशोक खाड़ ने अपनी पढ़ाई जारी रखी और ग्रेजुएशन पूरा किया. 4 साल तक सर्विस करने के बाद अशोक खाड़े का कंपनी के क्वालिटी कंट्रोल डिपार्टमेंट में ट्रांसफर कर दिया गया. इस दौरान उन्हें कंपनी की ओर से जर्मनी की यात्रा करने का मौका मिला और नई टेक्नोलॉजी के बारे में सीखने को मिला.

इसके बाद उन्होंने और उनके भाई ने भारत में अपना खुद का व्यवसाय दास ऑफशोर इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड शुरू किया. शुरुआत में उन्हें कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, लेकिन उनकी मेहनत रंग लाई. आज उनके क्लाइंट्स में ओएनजीसी, ब्रिटिश गैस, हुंडई, एस्सार, एलएंडटी और अन्य शामिल हैं. कंपनी ने अब तक 100 समुद्री परियोजनाएं पूरी कर ली हैं. अशोक खाड़े की कंपनी 4,500 लोगों को नौकरी दे रही है और इसका वार्षिक राजस्व 500 करोड़ रुपये से अधिक है.

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