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Indian Railway: ट्रेन टिकट बुक करते समय सभी सीटें बुक हो जाने के बाद भी वेटिंग का ऑप्शन क्यों आता है? जानें-यहां

Indian Railway: ट्रेन टिकट बुक करते समय सभी सीटें बुक हो जाने के बाद भी वेटिंग का ऑप्शन आता है? यह यात्रियों को हैरान कर देता है. लेकिन इसके पीछे कई वजहें होती हैं.

Waiting Option While Booking Train Tickets: ट्रेन टिकट बुक (Train Ticket Book) करते समय, सभी उपलब्ध सीटें बुक होने के बाद भी “वेटिंग” (Waiting) का ऑप्शन आने लगता है. यह यात्रियों को निराश करने वाला लग सकता है. इससे बहुत से यात्री (Passenger) हैरान भी होने लगते हैं और इसके पीछे की वजह पर सवाल उठाए जाते हैं. हालांकि, यह बात लोगों के गले नहीं उतरती है कि “वेटिंग” (Waiting) ऑप्शन के पीछे कई वजहें होती हैं.

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आइए, यहां पर जानते हैं कि ट्रेन टिकट बुक (Train Ticket Book) करते समय सभी सीटें बुक हो जाने के बाद भी वेटिंग का ऑप्शन क्यों आता है?

डायनेमिक सीट एलोकेशन

“वेटिंग” (Waiting) ऑप्शन का पहला कारण सीट एलोकेशन के डायनेमिक नेचर की वजह से होता है. ट्रेन (Train) सिस्टम अक्सर सॉफिस्टिकेटेड एल्गोरिदम लागू करते हैं जो कैंसिलेशन, रिजर्वेशन मॉडिफिकेशन और संभावित रूप से ओवरबुकिंग जैसे कारकों के आधार पर सीट असाइनमेंट को मैनेज किया जाता है. जिसकी वजह से जिन सीटों को शुरू में बुक किया गया जाता है वे यात्रा योजनाओं में अंतिम समय में बदलाव के कारण उपलब्ध हो सकती हैं. अगर ऐसी स्थिति आती है तो “वेटिंग” (Waiting) ऑप्शन सीट सुरक्षित करने के साधन के रूप में कार्य करता है.

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कैंसिलेशन और मॉडिफिकेशन

यात्री (Passenger) अक्सर अपने यात्रा कार्यक्रम में बदलाव करते हैं या अपना रिजर्वेशन कैंसिल करते हैं. ये बदलाव पहले से रिजर्व सीटों को खाली कर सकते हैं, जिससे वे नई बुकिंग के लिए उपलब्ध हो सकेंगी. ट्रेन (Train) ऑपरेटर इन रिक्तियों को तेजी से भरने के लिए “वेटिंग” (Waiting) यात्रियों का एक बफर बनाए रखते हैं. यह एक्सरसाइज सीट के इस्तेमाल और रेवेन्यू क्रिएट करने में मदद करता है.

ओवरबुकिंग स्ट्रैटेजी

कुछ मामलों में, ट्रेन (Train) ऑपरेटर कैंसिलेशन और नो-शो को ध्यान में रखते हुए जानबूझकर सीटों की अधिक बुकिंग करते हैं. हालांकि ओवरबुकिंग से हर कोई खुस नहीं हो सकता है. यह खाली सीटों के प्रभाव को कम करते हुए रेवेन्यू को अधिकतम करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली एक सामान्य स्ट्रैटेजी है. जब यात्री (Passenger) अपनी आरक्षित सीटों के लिए नहीं आते हैं, तो ये “वेटिंग” (Waiting) वाले यात्रियों के लिए उपलब्ध हो जाती हैं.

रीयल टाइम अपडेट

टेक्निकल लिमिट्स या डेटा सिंक्रनाइज़ेशन में देरी के कारण ट्रेन (Train) रिजर्वेशन सिस्टम यूजर्स को सीट की उपलब्धता पर रीयल टाइम पर अपडेट प्रदान नहीं कर सकती हैं. जिसकी वजह से उपलब्धता की स्थिति वर्तमान सीट की स्थिति को सही तरीके से नहीं दिखा सकती है. बुकिंग प्रक्रिया पूरी होने से पहले सीट खुलने की स्थिति में “वेटिंग” (Waiting) ऑप्शन एक फ़ॉलबैक के रूप में रहता है.

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गौरतलब है कि जब सभी सीटें बुक हो जाती हैं तो “वेटिंग” (Waiting) ऑप्शन हैरान करने वाला लग सकता है. यह ट्रेन सीट (Train Seat) एलोकेशन सिस्टम (Allocation System) की कम आसान और डायनेमिक नेचर की वजह से होता है. कैंसिलेशन, मॉडिफिकेशन, ओवरबुकिंग स्ट्रैटेजीज और रीयल टाइम अपडेट जैसे कारक इसमें अहम भूमिका निभाते हैं. “वेटिंग” (Waiting) ऑप्शन एक सुरक्षा उपाय के रूप में कार्य करता है, जिससे अप्रत्याशित रिक्तियां उत्पन्न होने पर यात्रियों के लिए सीटें रिजर्व हो जाएं.

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