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गेम इंडस्‍ट्री के साथ हो गया ‘खेल’, चुकाना पड़ेगा 45 हजार करोड़ का टैक्‍स, क्‍या खेलने वालों से भी होगी वसूली

ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री को तगड़ा झटका लग सकता है. एक खबर के मुताबिक, उन्हें 45,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त टैक्स भरना पड़ सकता है. बताया जा रहा है कि उन्होंने कम दर के जीएसटी का भुगतान किया है.

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नई दिल्ली. ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म्स को टैक्स के रूप में 45,000 करोड़ रुपये का भुगतान करना पड़ सकता है. टैक्स की ये मार उन गेमिंग प्लेटफॉर्म्स पर पड़ेगी जो ऐसे गेम्स खिलाते हैं जिन्हें कौशल का खेल (Skill Games) के रूप में वर्गीकृत किया जाता है. दरअसल, इन प्लेटफॉर्म्स ने 28 फीसदी जीएसटी की बजाय 18 फीसदी की दर से टैक्स भरा है. अब केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) इनसे अतिरिक्त टैक्स वसूलने की तैयारी में है. गौरतलब है कि इस पर अभी CBIC की कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं है और न्यूज18 स्वतंत्र रूप से इस दावे की पुष्टि नहीं करता है.

एक अखबार में छपी रिपोर्ट के अनुसार, CBIC ने ऐसी कंपनियों की देनदारियों की समीक्षा की है जिन्होंने 28 फीसदी की बजाय 18 फीसदी के टैक्स का भुगतान किया है. फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि कंपनियों पर 1 जुलाई, 2017 से 28 प्रतिशत कर लगाया जाएगा या 11 जुलाई, 2023 से, जब कौशल वाले खेलों और चांस वाले खेलों के बीच टैक्स की दर को एकसमान यानी 28 फीसदी कर दिया गया था.

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CBIC के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि उनके आंतरिक मूल्यांकन के हिसाब से अकेले गेमिंग उद्योग ने जीएसटी लागू होने के बाद से 45,000 करोड़ रुपये कम टैक्स का भुगतान किया है.

केवल 5,000 करोड़ टैक्स भरा
इन ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म्स ने 2017 से अब तक केवल 5000 करोड़ रुपये का टैक्स भरा है. जबकि इन पर कुल टैक्स की देनदारी 50,000 करोड़ रुपये की बनती है. इनमें वह कंपनी भी शामिल हैं जो इस देश की नहीं हैं. इन कंपनियों ने भी 12,000 करोड़ रुपये का कम टैक्स भरा है. जीएसटी इंटेलिजेंस महानिदेशालय (डीजीजीआई) जल्द ही इन कंपनियों को नोटिस जारी कर सकता है.

गेम्सक्राफ्ट से 21,000 करोड़ की देनदारी मांगी

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सरकार ने अकेले गेम्सक्राफ्ट से 21,000 करोड़ रुपये की देनदारी की मांग की है. यह मामला फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में है. दरअसल, सरकार की इस डिमांड के खिलाफ कंपनी ने कर्नाटक हाईकोर्ट का रुख किया था. कर्नाटक हाईकोर्ट ने टैक्स डिमांड के नोटिस को निरस्त कर दिया था. इसके बाद केंद्र सरकार ने इस निरस्ती ऑर्डर के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. संभव है कि इस आदेश का असर गेम खेलने वालों पर हो उनके लिए ऑनलाइन गेम खेलना और मुश्किल हो जाए.

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