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ड्रैगन की नई चाल, G-20 समिट से पहले जारी किया नया मैप, फिर अरुणाचल से ताइवान तक को बताया अपना हिस्सा

China Releases New Map: चीन की सरकार ने 28 अगस्त को चीन के स्टैंडर्ड मैप का 2023 का एडिशन जारी किया है. जिसमें पूरे अरुणाचल प्रदेश और अक्साई चिन इलाके को चीन की सीमाओं के भीतर दिखा गया है. इतना ही नहीं इस नक्शे में चीन ने पूरे दक्षिण चीन सागर और ताइवान को भी अपना इलाका बताया है. चीन ने कुछ समय पहले ही अरुणाचल प्रदेश में 11 जगहों के नामों को बदला था. जिस पर भारत ने साफ कहा था कि ऐसा करने से हकीकत नहीं बदल जाएगी कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न हिस्सा है.

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बीजिंग. नई दिल्ली में होने जा रही G-20 समिट से कुछ ही दिन पहले चीन ने सोमवार को आधिकारिक तौर पर अपने ‘मानक मानचित्र’ के 2023 एडिशन (China New Map) को जारी किया, जिसमें अरुणाचल प्रदेश, अक्साई चिन इलाके, ताइवान और विवादित दक्षिण चीन सागर को कम्युनिस्ट देश का हिस्सा दिखाया गया है. इस मानचित्र के जरिये चीन इन इलाकों पर अपने दावों को मजबूत करने की मंशा रखता है. जबकि भारत ने बार-बार कहा है कि अरुणाचल प्रदेश उसका अभिन्न अंग है और हमेशा रहेगा. चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने एक्स (पहले में टि्वटर) पर चीन के 2023 के मानक मानचित्र को शेयर किया है.

ग्लोबल टाइम्स ने कहा कि चीन के प्राकृतिक संसाधन मंत्रालय के स्वामित्व वाली मानक मानचित्र सेवा की वेबसाइट पर इसे जारी किया गया. जिसका दावा है कि यह मानचित्र चीन और दुनिया के विभिन्न देशों की राष्ट्रीय सीमाओं की रेखांकन विधि के आधार पर बनाया गया है. जोहान्सबर्ग में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी नेता शी जिनपिंग के एक-दूसरे के साथ बैठक करने के एक हफ्ते से भी कम समय के बाद बीजिंग ने ‘मानक मानचित्र’ के नाम पर नया मैप लॉन्च किया. जिसमें गलत तरीके से भारत के कुछ हिस्सों को चीनी क्षेत्रों के रूप में दिखाया गया था.

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G-20 समिट से पहले चीन की चाल
नई दिल्ली में G-20 शिखर सम्मेलन में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की संभावित भारत यात्रा से ठीक पहले इस मैप को जारी किया गया है. इसमें चीन के सीमा दावों के लिए दुनिया भर में मशहूर 9- डैश लाइन को फिर से बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया गया है. 9-डैश लाइन को 1940 के दशक में एक चीनी भूगोलवेत्ता ने मैप पर खींचा था. यह यू-आकार की रेखा है जो दक्षिण चीन सागर के 90 प्रतिशत हिस्से पर दावा करती है, जिसे फिलीपींस उत्तरी फिलीपींस सागर कहता है. चीन का यह कदम अंतरराष्ट्रीय कानूनों, विशेष रूप से समुद्र के कानूनों पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन (UNCLOS) के खिलाफ है.

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चीन लगातार करता है ऐसी हरकतें
चीन हमेशा से ही अरुणाचल प्रदेश पर परोक्ष तौर पर अपना अधिकार जताता रहा है. भारत के किसी भी राजनेता के अरुणाचल में दौरे पर विरोध जताता रहा है. इसी साल चीन ने अपने नक्शे में अरुणाचल प्रदेश के 11 जगहों के नाम बदले थे. इसके बाद भारतीय विदेश मंत्रालय की तरफ से चीन को दो टूक जवाब देते हुए ये साफ कर दिया गया था कि हम इसे सिरे से खारिज करते हैं. अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न अंग है और रहेगा. इस तरह की कोशिश से वास्तविकता को नहीं बदला जा सकेगा. बहरहाल नए नक्शे की टाइमिंग को लेकर भी बड़ा सवाल है. मैप के जरिये आक्रामकता दिखाने का रवैया 1949 से चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के विस्तारवादी अभियान को दर्शाता है, जो भारत के अरुणाचल प्रदेश राज्य और लद्दाख के कुछ हिस्सों को चीन के मैप के अंदर दिखाता है.

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