रितेश अग्रवाल ओडिशा के एक पिछड़े इलाके से आते हैं. उनके परिवार में पहले से बिजनेस ही होता था. हालांकि, उनकी फैमिली उन्हें इंजीनियर बनाना चाहती थी लेकिन अग्रवाल भी खुद का ही कुछ काम करना चाहते थे. अग्रवाल काइली जेनर के बाद दूसरे सबसे कम उम्र के सेल्फ मेड बिलिनेयर हैं.
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नई दिल्ली. ओडिशा के नक्सल प्रभावित क्षेत्र से एक 17 साल का लड़का इंजीनियरिंग की परीक्षा की तैयारी के लिए राजस्थान के कोटा पहुंचता है. यहां आकर उसे लगता है कि वह इंजीनियरिंग नहीं खुद का बिजनेस करना चाहता है. उसने दिल्ली में एक कॉलेज में Bsc. इकोनॉमिक्स में दाखिला लिया. हालांकि, उसने पहले ही साल में कॉलेज से ड्रॉप कर दिया. आज वही कॉलेज ड्रॉपआउट लड़का 10 अरब डॉलर (करीब 83000 करोड़ रुपये) की मार्केट वैल्युशन वाली कंपनी का सीईओ और संस्थापक है. अगर आप अब तक नाम नहीं सोच पाए हैं तो बता दें कि हम OYO के संस्थापक रितेश अग्रवाल की बात कर रहे हैं .
रितेश अग्रवाल का बिजनेस का सफर इतना आसान नहीं था. उन्होंने ओयो से पहले एक और स्टार्टअप किया था. उसका कॉन्सेप्ट भी ओयो से मिलता-जुलता ही था. रितेश ने साल 2013 के आसपास इस स्टार्टअप की स्थापना की थी. इसका नाम ओरेवल स्टे था. यहां से लोगों को सस्ते होटल्स की जानकारी मिलती थी. हालांकि, यह आइडिया ज्यादा कारगर साबित नहीं हुआ. रितेश अग्रवाल खुद कई सस्ते होटलों में जाकर रुके और उन्हें समझ आया कि दिक्कत सस्ते होटल ढूंढने की नहीं है बल्कि उनकी सुविधाओं और स्टैंडर्ड की है. अग्रवाल ने सोचा कि इसे थोड़े-बहुत बदलावों के साथ ठीक किया जा सकता है.
सिम कार्ड बेचा
रितेश अग्रवाल ने जब दिल्ली आकर कॉलेज छोड़ दिया तो उन्होंने घर वालों को यह बात नहीं बताई. वह दिल्ली में रहने व अपना खर्च चलाने के लिए सिम कार्ड तक बेचने लगे.
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वह सड़क पर हाथों में सिम कार्ड बेचा करते थे. लेकिन कॉलेज ड्रॉपआउट करने का एक फायदा यह हुआ कि उन्हें थिएल फेलोशिप के तहत 1 लाख डॉलर की फंडिंग मिल गई. अग्रवाल यह फंडिंग पाने वाले पहले भारतीय थे. यह फंडिंग उन्हीं लोगों को मिलती थी जिन्होंने कॉलेज ड्रॉप किया हो और उनकी उम्र 20 साल से कम हो. बस फिर क्या था, अग्रवाल ने इस पैसे का इस्तेमाल ओयो को खड़ा करने में की.
रिमोर्ट से आया आइडिया
रितेश अग्रवाल ने 2015 में एक इंटरव्यू में कहा था कि वह जब अपने रिश्तेदारों के घर जाते तो टीवी का रिमोट कंट्रोल उनके हाथ में नहीं होता था. वह कार्टून देखना चाहते थे लेकिन देख नहीं पाते थे. उन्होंने कहा कि होटल में रिमोट आपके हाथ में होता है और उन्हें यहीं से सस्ते होटल मुहैया कराने का आइडिया दिमाग में आया. उनका आइडिया बेहद कामयाब रहा. आज चीन में भी ओयो रूम्स काम कर रहा है. यह किसी भारतीय स्टार्टअप के लिए किसी उपलब्धि से कम नहीं है.
30 रुपये से 16000 करोड़ तक
एक समय था जब दिल्ली में रह रहे अग्रवाल के पास बैंक अकाउंट में केवल 30 रुपये बच गए थे. वह वापस घर लौटने वाले थे लेकिन उनकी किस्मत को कुछ और मंजूर था. कहते हैं, ‘जो होता है अच्छे के लिए होता है’, अग्रवाल का कॉलेज ड्रॉप करना इस बात को सही साबित करता है.
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वह कॉलेज ड्रॉप न करते तो उन्हें थिएल फेलोशिप ना मिलती. अगर ऐसा नहीं होता तो अग्रवाल दूसरे सबसे कम उम्र सैल्फमेड बिलिनेयर नहीं बनते. आज रितेश की नेट वर्थ करीब 16000 करोड़ रुपये है और उनकी कंपनी की वैल्यू 80,000 करोड़ रुपये से अधिक.