नई दिल्ली: इंफोसिस के को-फाउंडर एनआर नारायण मूर्ति (NR Narayana Murthy) ने सलाह दी है कि देश के युवा हर सप्ताह 70 घंटे काम करें। इसे लेकर सोशल मीडिया पर बहस छिड़ी हुई है।
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इस बीच बैंक कर्मचारियों को खुशखबरी मिल सकती है। दरअसल बैंक कर्मचारियों की सैलरी में 15 फीसदी इंक्रीमेंट को प्रस्तावित किया गया है। इसी के साथ फाइव डे वीक लागू करने के बारे में भी चर्चा की जा रही है। बैंक कर्मचारियों को जल्द ही इसका फायदा मिल सकता है। इंडियन बैंक्स एसोसिएशन की ओर से 15% बढ़ोतरी का प्रस्ताव रखा है, लेकिन कहा जा रहा है कि यूनियनें अन्य बदलावों के साथ ज्यादा बढ़ोतरी की मांग कर रही हैं। पीएनबी जैसे कुछ बैंकों ने वेतन वृद्धि के लिए प्रावधान करना शुरू कर दिया है।
ज्यादा इंक्रीमेंट की मांग
कर्मचारी और यूनियन तर्क दे रहे हैं कि बैंकों ने हाल के वर्षों में मुनाफे में अच्छी बढ़ोतरी देखी है। कर्मचारियों ने कोविड के दौरान काम करने और सरकार की योजनाओं को आगे बढ़ाने के अलावा लैंडर्स को पटरी पर लाने के लिए जो प्रयास किए हैं, उन्हें देखते हुए, वे बेहतर मुआवजे के हकदार हैं।
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वहीं वित्त मंत्रालय द्वारा बातचीत पर कड़ी नजर रखी जा रही है। अगले साल आम चुनाव होने वाले हैं, उम्मीद है कि वेतन समझौते को उससे पहले अंतिम रूप दे दिया जाएगा क्योंकि बैंक कर्मचारियों की संख्या एक बड़ी संख्या है। तीन साल की बातचीत के बाद 2020 में आखिरी वेतन समझौता संपन्न हुआ था।
सोशल मीडिया पर चल रही बहस
इधर काम के घंटों को लेकर सोशल मीडिया पर बहस छिड़ी हुई है। इंफोसिस के को-फाउंडर एनआर नारायण मूर्ति के 70 घंटे काम करने की बात पर लोग चर्चा कर रहे हैं। एक सोशल मीडिया यूजर ने फेसबुक पर लिखा कि एक आदमी 18-18 घंटे काम कर रहा है। फिर भी उसकी आर्थिक स्थिति नहीं सुधर रही है। तो क्या सिर्फ काम के घंटे बढ़ा लेना आर्थिक स्थिति को सुधार लेने की गारंटी है? कुछ यूजर्स ने लिखा है कि 70 घंटे का काम शोषण ही नहीं बल्कि अत्याचार है।
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बात इस पर होनी चाहिए कि मेहनत के मुताबिक़ पैसा मिल रहा है या नहीं। एक यूजर ने लिखा कि अगर हम भारत की बात करें तो जितनी आबादी हो चली है, अगर उन्हें रोज़गार मिल जाए तो आर्थिक विकास को पंख लग सकते हैं।