टाटा क्लिक ने दावा किया कि उपभोक्ता द्वारा भेजा गया प्रोडक्ट वो नहीं है जो उसे दिया गया था. इसलिए रिप्लेस नहीं किया गया. एप्पल इंडिया ने भी यही कहा.
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डैमेज iPhone बेचने के लिए ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म टाटा क्लिक और एप्पल पर जुर्माना लगाया गया है. हरियाणा के सोनीपत में जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने टाटा क्लिक और एप्पल को खरीदार को iPhone की राशि रिफंड करने के अलावा 45 हजार का भुगतान करने का आदेश दिया है. यानी कुल 1,11,356 रुपये वापस करना होगा.शिकायतकर्ता को मानसिक उत्पीड़न के लिए 5,500 रुपये के अलावा मुकदमेबाजी लागत के लिए 10,000 रुपये की राशि का भुगतान करने का भी आदेश दिया गया. फोन की कीमत पर चार साल में ब्याज 30,000 रुपये से अधिक बनता है.
क्या है पूरा मामला?
रुचि ने 2019 में iPhone XS मंगाया था. वो भी ऑनलाइन. डैमेज फोन भेजा गया. आरोप है कि टाटा क्लिक ने मोबाइल उसके पास से ले लिया. लेकिन रिफंड नहीं किया और न ही रिपेयर करने फोन वापस दिया.
अध्यक्ष विजय सिंह और सदस्यों श्याम लाल और दीपा जैन के एक समूह ने कहा कि प्रतिवादी कंपनियों ने शिकायतकर्ता को ‘अपूर्ण’ सेवा प्रदान की है.
आगे कहा कि शिकायतकर्ता को विपक्षी पार्टियों (क्लिक और एप्पल) द्वारा बेचा गया फोन डैमेज पाया गया और विपक्षी पार्टियों ने उसे बदलने के लिए ले लिया. इस प्रकार, यह स्पष्ट है कि शिकायतकर्ता विपरीत पार्टी का उपभोक्ता है और उसने दोष को ठीक करने के लिए उनकी सेवाओं का लाभ उठाया लेकिन उसे पूरा नहीं किया गया.
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आयोग ने ये भी कहा,
” कंपनियों का ये आचरण कदाचार के समान है. उत्पाद के अनुरोध (बदलने या मरम्मत करने) को पूरा न करना विरोधी पक्षों की ओर से सेवा में कमी और कदाचार है, जिससे शिकायतकर्ता को मानसिक पीड़ा, अपमान और वित्तीय नुकसान होता है, जिसके लिए वह मुआवजे का हकदार है.”
इसलिए, आयोग ने कंपनियों को आईफोन खरीदने के लिए उपभोक्ता द्वारा भुगतान की गई राशि वापस करने का आदेश दिया.
शिकायत में दावा किया गया कि उन्होंने टाटा क्लिक से आईफोन एक्सएस खरीदा था, जिसके लिए उन्होंने 1,11,356 रुपये का भुगतान किया था. हालाँकि, जब उत्पाद वितरित किया गया, तो शिकायतकर्ता ने क्षतिग्रस्त उत्पाद खोजने के लिए पैकेजिंग को अनबॉक्स किया. उन्होंने तुरंत इस मुद्दे को उठाया और पैसे रिफंड करने को कहा. हालांकि टाटा क्लिक ने प्रोडक्ट तो ले लिया लेकिन पैसे रिफंड नहीं किए.
टाटा क्लिक ने क्या कहा?
टाटा क्लिक ने दावा किया कि उपभोक्ता द्वारा भेजा गया प्रोडक्ट वो नहीं है जो उसे दिया गया था. इसलिए रिप्लेस नहीं किया गया. एप्पल इंडिया ने भी यही कहा.
टाटा क्लिक ने यह भी स्पष्ट किया कि यह सिर्फ एक मध्यस्थ है क्योंकि वास्तविक बिक्री उपभोक्ता और एप्पल इंडिया के बीच होती है.
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आयोग ने पाया कि दोनों प्रतिवादी कंपनियां ये साबित करने में विफल रहीं कि शिकायतकर्ता ने रिप्लेस करने के लिए अलग प्रोडक्ट भेजा था.चूंकि दोनों ने अपने मामले के समर्थन में कोई सामग्री उपलब्ध नहीं कराई, इसलिए आयोग ने उपभोक्ता की याचिका को स्वीकार कर लिया.