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प्याज और टमाटर की कीमतें बढ़ने से खाने की थाली हुई महंगी: क्रिसिल

घरेलू रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने एक रिपोर्ट जारी करते हुए कहा है कि नवंबर माह में टमाटर और प्याज की कीमतों में बढ़ोतरी होने से वेज-नॉन वेज थाली के दाम काफी बढ़ गए.

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घरेलू रेटिंग एजेंसी क्रिसिल (Crisil)  ने बुधवार को एक रिपोर्ट जारी करते हुए बताया कि प्याज और टमाटर की कीमतों बढ़ोतरी होने से नवंबर में सामान्य शाकाहारी और मांसाहारी थाली की कीमत में मासिक आधार पर वृद्धि दर्ज की गई.

क्रिसिल एमआईएंडए रिसर्च ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि प्याज और टमाटर की कीमतों में मासिक आधार पर 58 प्रतिशत तथा 35 प्रतिशत की बढ़ोतरी के कारण दाम बढ़े हैं.

फेस्टिव सीजन डिमांड और बेमौसमी बारिश के कारण खरीफ के मौसम में उत्पादन में कमी आने से प्याज और टमाटर की कीमतों में वृद्धि हुई.

रिपोर्ट के अनुसार, नवंबर में घर में बनी शाकाहारी और मांसाहारी थालियों की कीमत में मासिक आधार पर क्रमश: 10 प्रतिशत और पांच प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई. मासिक आधार पर मुर्गियों की कीमतों में मामूली एक से तीन प्रतिशत की गिरावट आई. मांसाहारी थाली की कीमत में मुर्गियों की कीमत का 50 प्रतिशत योगदान है.

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प्याज और टमाटर की कीमतों में क्रमशः 93 प्रतिशत और 15 प्रतिशत की वृद्धि के कारण शाकाहारी थाली की कीमत सालाना आधार पर नौ प्रतिशत बढ़ गई. दालों की कीमतें सालाना आधार पर 21 प्रतिशत बढ़ी. इनका शाकाहारी थाली की कीमत में नौ प्रतिशत योगदान है.

घर पर बनी भोजन की थाली की औसत लागत की गणना उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम भारत में प्रचलित कच्चे माले की कीमतों के आधार पर की जाती है.

इसके अलावा ऐसी चीजों के दामों में बेतहाशा बढ़ोतरी दर्ज की गई जिनका इस्तेमाल बहुत अधिक मात्रा में तो नहीं होता है, लेकिन उसके बिना खाने की थाली का स्वाद उनता बेहतरीन नहीं होता है जितना स्वादिष्ट होना चाहिए.

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इसमें लहसुन, अदरख और हरी मटर के दाम बहुत ऊंचाई पर पहुंच गए. लहसुन के रीटेल भाव अभी भी लगभग 250-300 रुपये प्रति किलो पर पहुंच गए हैं. वहीं अदरख के दाम भी 130-150 रुपये प्रति किलो के आसपास बने हुए हैं. साथ ही, सब्जियों के दूसरे इनग्रेडिएंट्स भी महंगे बने हुए हैं.

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