Budget 2024: 1 फरवरी 2024 को केंद्रीय बजट 2024 पेश किया जाएगा. चुनावी साल होने की वजह से इस बार अंतरिम बजट पेश किया जाएगा, जिसे लेखानुदान कहा जाता है.
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New Income Tax Regime Vs Old Income Tax Regime: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी 2024 को वित्त साल 2025 के लिए नरेंद्र मोदी सरकार का अंतरिम बजट पेश करेंगी. चुनावी साल के दौरान, सरकार पूर्ण बजट पेश नहीं करती है, इसके बजाय, यह एक अंतरिम बजट तैयार करती है, जिसे लेखानुदान भी कहा जाता है.
1 फरवरी को पेश किए जाने वाले केंद्रीय बजट में आम आदमी को टैक्स में राहत की उम्मीदें रहती हैं. इसके पूर्व 1 फरवरी 2023 को बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने टैक्स स्लैब दरों में बदलाव किया था.
अब साल 2023 समाप्ति के करीब है, तो आइए यहां पर नए बनाम पुराने इनकम टैक्स स्लैब दरों के बारे में एक बार फिर से चर्चा करते हैं.
न्यू टैक्स रीजीम बनाम ओल्ड इनकम टैक्स रीजीम
यदि आपको अभी भी नई और ओल्ड टैक्स रीजीम व्यवस्था को समझने का मौका नहीं मिला है, तो अब यह देखने का अच्छा समय है कि कौन सी व्यवस्था आपके लिए बेहतर है.
केंद्रीय बजट 2023 में प्रस्तावित बदलावों के अनुसार, नई टैक्स रीजीम के तहत 7 लाख रुपये तक की सालाना इनकम वाले लोगों पर कोई टैक्स नहीं लगाया जाएगा. अगर आपकी इनकम 7 लाख रुपये तक है तो नई टैक्स व्यवस्था बेहतर है, क्योंकि 7 लाख रुपये तक कोई टैक्स नहीं है और इसके अलावा नई टैक्स व्यवस्था में 50,000 रुपये की मानक कटौती भी है.
नया टैक्स स्लैब
3 लाख रुपये तक की इनकम पर कोई टैक्स नहीं लगेगा
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3-6 लाख रुपये के बीच की इनकम पर 5 फीसदी टैक्स लगेगा
6-9 लाख रुपये के बीच की इनकम पर 10 फीसदी टैक्स लगेगा
9-12 लाख के बीच इनकम पर 15 प्रतिशत
12-15 लाख के बीच इनकम पर 20 प्रतिशत
15 लाख और उससे अधिक की इनकम पर 30 फीसदी टैक्स लगेगा.
पुराना टैक्स स्लैब
पुरानी कर व्यवस्था के तहत 2.5 लाख तक की इनकम को टैक्सेशन से छूट प्राप्त है.
पुरानी कर व्यवस्था के तहत 2.5 से 5 लाख तक की इनकम पर 5 प्रतिशत की दर से टैक्स लगता है.
पुरानी व्यवस्था के तहत 5 लाख से 7.5 लाख तक की पर्सनल इनकम पर 15 प्रतिशत की दर से टैक्स लगता है.
पुरानी व्यवस्था में 7.5 लाख से 10 लाख तक की इनकम पर 20 प्रतिशत की दर से टैक्स लगता है.
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पुरानी व्यवस्था के तहत 10 लाख रुपये से अधिक की पर्सनल इनकम पर 30 प्रतिशत की दर से टैक्स लगता है.
गौरतलब है कि पुरानी टैक्स व्यवस्था कुछ इन्वेस्टमेंट और खर्चों पर छूट दी जाती है. पर्सनल फाइनेंस जानकारों का मानना है कि यह उन टैक्सपेयर्स के लिए आकर्षक बनी रहेगी जो घर का किराया चुकाते हैं या जो होम लोन चुकाते हैं.