संसदीय नियम के मुताबिक किसी भी कानून को राष्ट्रपति की सहमति के छह महीने के भीतर उसे तैयार किए जाना चाहिए या फिर लोकसभा और राज्यसभा में अधीनस्थ विधान समितियों से विस्तार की मांग की जानी चाहिए. 2019 में बना सिटीजन एक्ट अब तक लागू नहीं हो पाया है.
नई दिल्ली. लोकसभा चुनाव 2024 से पहले केंद्र सरकार नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 (CAA) को अधिसूचित करने जा रही है. मनी कंट्रोल वेबसाइट ने सरकारी सूत्रों के हवाले से लिखा कि सरकार ने इसके लिए पूरा मन बना लिया है. साल 2019 में संसद द्वारा पास किए गए इस कानून के बाद देश भर में विरोध प्रदर्शन हुए थे. पीएम नरेंद्र मोदी की सरकार द्वारा लाए गए सीएए कानून के तहत पड़ोसी देश पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से सताए गए ऐसे गैर-मुस्लिम प्रवासियों जैसे हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाइयों को भारतीय राष्ट्रीयता दी जाएगी, जो 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए थे.
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एक पदाधिकारी ने कहा, “सरकार जल्द ही सीएए के लिए नियम जारी करने जा रही है. एक बार नियम जारी होने के बाद, कानून लागू किया जा सकता है और योग्य लोगों को भारतीय नागरिकता दी जा सकती है.” यह पूछे जाने पर कि क्या अप्रैल-मई में होने वाले अगले लोकसभा चुनावों की घोषणा से पहले नियमों को अधिसूचित किया जाएगा, पदाधिकारी ने कहा, “हां, उससे काफी पहले. नियम तैयार हैं और ऑनलाइन पोर्टल भी तैयार है.” पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होगी. आवेदकों को वह वर्ष बताना होगा जब उन्होंने यात्रा दस्तावेजों के बिना भारत में प्रवेश किया था. आवेदकों से कोई दस्तावेज नहीं मांगा जाएगा’.
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अब तक क्यों हुई कानून लागू करने में देरी?
संसदीय प्रक्रियाओं की नियमावली के अनुसार, किसी भी कानून के नियम राष्ट्रपति की सहमति के छह महीने के भीतर तैयार किए जाने चाहिए या लोकसभा और राज्यसभा में अधीनस्थ विधान समितियों से विस्तार की मांग की जानी चाहिए. 2020 से गृह मंत्रालय नियम बनाने के लिए संसदीय समितियों से नियमित अंतराल पर एक्सटेंशन लेता रहा है. संसद द्वारा कानून पारित किए जाने के बाद विरोध प्रदर्शन या पुलिस कार्रवाई के दौरान सौ से अधिक लोगों की जान चली गई.
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गृह मंत्री अमित शाह ने दिए थे संकेत
27 दिसंबर को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि सीएए के कार्यान्वयन को कोई नहीं रोक सकता क्योंकि यह देश का कानून है. उन्होंने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर इस मुद्दे पर लोगों को गुमराह करने का आरोप लगाया था. कोलकाता में पार्टी की एक बैठक को संबोधित करते हुए शाह ने कहा था कि सीएए को लागू करना भाजपा की प्रतिबद्धता है. ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली टीएमसी सीएए का विरोध कर रही है. विवादास्पद सीएए को लागू करने का वादा पश्चिम बंगाल में पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनावों में भाजपा का एक प्रमुख चुनावी मुद्दा था.