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एक दो नहीं, बल्कि 5 तरह की होती हैं SIP, आइए जानते हैं ये कैसे करती हैं काम

जब कभी बात निवेश (Investment) की आती है तो आपने अक्सर लोगों को ये सुझाव देते सुना होगा कि एसआईपी (SIP) शुरू कर लो.

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एसआईपी यानी सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान. इसके तहत आप हर महीने एक तय रकम किसी म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) में निवेश करते हैं. हालांकि, ये बात कम ही लोग जानते हैं कि एसआईपी भी कई तरह की होती है. आइए जानते हैं कितनी तरह की होती है एसआईपी और कैसे करती है काम.

1- रेगुलर एसआईपी

सबसे पहली है रेगुलर एसआईपी, जिसके तहत आप हर महीने एक तय रकम निवेश करते हैं. यह आप हर महीने, तिमाही या छमाही आधार पर कर सकते हैं. आपके पास ये विकल्प होता है कि आप तारीख खुद से चुन सकते हैं.

2- स्टेप-अप एसआईपी

इस एसआईपी के तहत आपको एक तय अवधि में एसआईपी को बढ़ाने की सुविधा मिलती है. जैसे सालाना आधार पर आप एसआईपी की रकम को बढ़ा सकते हैं. मान लीजिए कि आप हर महीने 10 हजार रुपये की एसआईपी करते हैं, तो इसके तहत आप उसे हर साल 10 फीसदी या 5 फीसदी जो भी आप चाहे उस दर से बढ़ा सकते हैं. इसके तहत आपका निवेश ऑटोमेटिक तरीके से बढ़ता चला जाता है.

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3- फ्लेक्सिबल एसआईपी

इसके बाद नंबर आता है फ्लेक्सिबल एसआईपी का, जिसके तहत आप अपनी एसआईपी में कुछ बदलाव कर सकते हैं. उदाहरण के लिए आप एसआईपी की रकम बढ़ा सकते हैं या घटा सकते हैं. हालांकि, अगर आप ऐसा कुछ करना चाहते हैं तो इसके लिए आपको अपने फंड हाउस को एसआईपी कटने की तारीख से करीब हफ्ते भर पहले बताना होगा.

4- ट्रिगर एसआईपी

यह सबसे दिलचस्प एसआईपी है. इसमें आप पैसे, समय और वैल्युएशन के आधार पर तय कर सकते हैं कि कब एसआईपी ट्रिगर होगी. आप इसके लिए पहले से ही कंडीशन लगा सकते हैं. जैसे अगर कीमत के आधार पर बात करें तो आप कंडीशन लगा सकते हैं कि जब एनएवी 1000 रुपये से अधिक हो जाए तो ट्रिगर एसआईपी शुरू हो जाए. वहीं आप ये भी तय कर सकते हैं कि अगर एनएवी 1000 रुपये से कम हो जाए तो आपके कुछ अतिरिक्त पैसे एसआईपी में लगने लगें. इसी तरह से समय और वैल्युएशन के आधार पर भी ट्रिगर एसआईपी को प्लान किया जा सकता है.

5- इंश्योरेंस के साथ एसआईपी

ये वह एसआईपी होती है, जिस पर आपको टर्म इंश्योरेंस कवर भी मिलता है. अलग-अलग फंड हाउस में यह अलग-अलग तरीके से हो सकती है.

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कुछ इसके तहत पहली एसआईपी के अमाउंट का 10 गुना तक इंश्योरेंस कवर देते हैं, जो बाद में बढ़ता जाता है. यह फीचर सिर्फ इक्विटी म्यूचुअल फंड्स में मिलता है और इस पर एक कैपिंग होती है, जैसे 50 लाख रुपये.

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