आईपीओ बाजार की गहमागहमी के बीच सेबी से एक ऐसा अपडेट सामने आया है, जो आने वाले दिनों में आईपीओ समेत अन्य पब्लिक इश्यू लाने की तैयारी में जुटी कंपनियों को खुश कर सकता है. सेबी के एक पैनल ने पब्लिक इश्यू लाने के खर्च को कम करने वाला एक सुझाव दिया है.
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कारोबार को सुगम बनाना उद्देश्य
सेबी ने पब्लिक इश्यू से जुड़े नियमों में बदलावों का सुझाव देने के लिए कुछ समय पहले एक एक्सपर्ट कमिटी बनाई थी. कमिटी को ऐसे सुझाव देने का काम दिया गया था, जो कंपनियों के लिए कारोबार को सुगम बनाएं. सेबी के पैनल ने अब जाकर अपने सुझाव बाजार नियामक को सौंप दिए हैं.
अभी ऐसा है डिपॉजिट का नियम
तमाम सुझावों में एक अहम सुझाव ये है कि पब्लिक इश्यू लाने में अनिवार्य सिक्योरिटी डिपॉजिट के नियम को समाप्त कर दिया जाए. अभी बाजार में नियम है कि पब्लिक इश्यू लाने वाली कंपनियों को एक तय रकम सिक्योरिटी डिपॉजिट के रूप में एक्सचेंज के पास जमा कराना पड़ता है. चाहे आईपीओ हो या एफपीओ अथवा राइट्स इश्यू, सिक्योरिटी डिपॉजिट का प्रावधान सभी पब्लिक इश्यू पर लागू होता है.
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सुझाव से हो सकता है ये बदलाव
इस नियम के तहत कंपनियों को इश्यू के टोटल साइज के एक फीसदी के बराबर रकम को जमा कराना पड़ता है. मान लीजिए कि कोई कंपनी 1000 करोड़ रुपये का आईपीओ लाने की तैयारी कर रही है तो उसे 1 फीसदी के बराबर यानी 10 करोड़ रुपये सिक्योरिटी डिपॉजिट के रूप में एक्सचेंज के पास जमा कराने होंगे. यह रकम रिफंडेबल होती है, जो इश्यू के कंपलीट होने के बाद कंपनी को वापस मिल जाती है. पैनल का सुझाव इस व्यवस्था को समाप्त करने का है. अगर पैनल के सुझाव को स्वीकार कर लिया जाता है तो उससे आईपीओ समेत तमाम पब्लिक इश्यू लाने वाली कंपनियों के लिए इश्यू की लागत कम हो जाएगी.
इस कारण समाप्त करने का तर्क
पैनल का तर्क है कि यह व्यवस्था पुराने समय के हिसाब से ठीक थी. इश्यू के बाद निवेशकों को रिफंड मिलने या शेयर इश्यू होने में कई बार दिक्कतें हो जाती थीं. निवेशक उसके कारण शिकायतें लेकर आते थे.
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अब कई बदलाव हो चुके हैं. एएसबीए, यूपीआई पेमेंट, डीमैट अकाउंट में शेयरों का क्रेडिट समेत तमाम सुधारों ने रिफंड या शेयर इश्यू से जुड़ी समस्याओं को समाप्त कर दिया है. ऐसे में में सिक्योरिटी डिपॉजिट का औचित्य नहीं रह गया है.