Sri Lanka News: श्रीलंका में साल 2021 में लोगों ने अपनी ही सरकार के खिलाफ विद्रोह कर दिया था. देश के पास बुनियादी चीजें खरीदने के लिए भी विदेशी मुद्रा भंडार नहीं बचा था. यही वजह है कि अब सरकार ने एक जुगाड़ निकाला है, जिसकी मदद से वो बिना डॉलर खर्च किए ही कर्ज का भुगतान कर रही है.
नई दिल्ली. भारत के पड़ोसी देश श्रीलंका की आर्थिक स्थिति किसी से छिपी नहीं है. दो साल पहले कर्ज में डूबे इस देश में लोग सरकार के खिलाफ विद्रोह करते हुए सड़क पर उतर आए थे. देश के आर्थिक हालात अब भी सुधरे नहीं हैं. इसी बीच सरकार ने कर्ज चुकाने का ऐसा जुगाड़ निकाल लिया है, जिससे देश को एक रुपया अपने खाते से देना भी नहीं पड़ा और काम भी हो गया. जी हां, आज से करीब 100 साल पहले इस्तेमाल होने वाले बाटर सिस्टम की मदद से श्रीलंका इन दिनों अपना काम चला रहा है.
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एएफपी की रिपोर्ट के अनुसार श्रीलंका की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया कि उसने अपने 251 मिलियन डॉलर के तेल ऋण को आंशिक रूप से चुकाने के लिए ईरान को 20 मिलियन डॉलर की चाय का निर्यात किया. कोलंबो ने कहा कि तेहरान के दौरे पर आए विदेश मंत्री ने सौदे पर “संतुष्टि” व्यक्त की थी. श्रीलंका के प्रधानमंत्री दिनेश गनवार्डन के कार्यालय ने ईरानी विदेश मंत्री होसैन अमीर-अब्दुल्लाहियन के साथ बातचीत के बाद एक बयान में कहा, “अब तक वस्तु विनिमय व्यापार समझौते के तहत ईरान को 20 मिलियन डॉलर की चाय का निर्यात किया गया है.”
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अधर में अटक गया था समझौता
दिसंबर 2021 में चाय के बदले तेल सौदे पर सहमति बनी थी, लेकिन कोलंबो के आर्थिक संकट के कारण निर्यात में देरी हुई, जिसके कारण तत्कालीन राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे को जुलाई 2022 में पद छोड़ना पड़ा. ईरान पर पहले ही अमेरिका ने काफी प्रतिबंध लगाए हुए हैं. ऐसे में वस्तु विनिमय समझौता प्रतिबंधों से प्रभावित ईरान को लोकप्रिय चाय के आयात के भुगतान के लिए दुर्लभ मुद्रा का उपयोग करने से बचने की अनुमति देता है.
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ईरान में फेमस है श्रीलंका की चाय
श्रीलंका अप्रैल 2022 में अपने 46 बिलियन डॉलर के विदेशी ऋण भुगतान में चूक गया था. पिछले साल की शुरुआत में उसने 2.9 बिलियन डॉलर की आईएमएफ बेलआउट हासिल किया था. श्रीलंका की सीलोन चाय ईरान में काफी मशहूर है. बताया जाता है कि 2016 में यह ईरान की खपत का लगभग आधा हिस्सा थी. हालांकि, हाल के वर्षों में अनुपात में गिरावट आई है.