Trump Gets Lifeline: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को एक बड़ी राहत मिली है. न्यूयॉर्क सिविल फ्रॉड मामले में ट्रंप की संपत्ति जाते-जाते बची है. ट्रंप को अब 45 करोड़ डॉलर जमा नहीं करने होंगे. इसके बदले में उन्हें 17.5 करोड़ डॉलर जमा करने होंगे.
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न्यूयॉर्क. अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को न्यूयॉर्क की एक अदालत से लाइफलाइन मिल गया है. बिजनेस में फर्जीवाड़े के एक मामले में डोनाल्ड ट्रंप को 45.4 करोड़ डॉलर करीब आधा अरब डॉलर जमा करने को कहा गया था. अगर वे ऐसा नहीं करते तो उनकी संपत्ति जब्त हो जाती. लेकिन ट्रंप ने अदालत से इस रकम पर तत्काल रोक लगाने की अपील की थी जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया और इस रकम को कम करते हुए कहा कि यदि वह 10 दिनों के अंदर 17.5 करोड़ डॉलर जमा कर देते हैं तो उनकी संपत्ति जब्त होने से बच जाएगी. यह मामला 2016 राष्ट्रपति चुनाव से संबंधित है जिसमें ट्रंप पर आरोप है कि उन्होंने एक महिला को उनकी अंतरंग बातें छुपाने के एबज में भारी-भरकम रकम दी थी.
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संपत्ति से हाथ धोने की नौबत
ट्रंप इस बार भी अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव लड़ने की तैयारी में सबसे आगे चल रहे हैं लेकिन उनकी संपत्ति दिनों-दिन कम होती जा रही है. इस स्थिति में उनपर संपत्ति को हाथ से धोने की तलवार लटक रही थी. ऐसे में कोर्ट का यह फैसला राहत भरा है. न्यूयॉर्क की एक अपीलीय अदालत फर्जीवाड़ा के एक मामले में सोमवार को पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के 10 दिनों के अंदर 17.5 करोड़ अमेरिकी डॉलर जमा करने की स्थिति में उन्हें राहत देने पर सहमत हो गई है. यदि वह ऐसा करते हैं तो अदालत उनके अपील करने तक उनकी संपत्ति जब्त करने से सरकार को रोकेगी. ट्रंप की कंपनी को पैसे की इस कदर दिक्कत हो गई है कि वह डिस्काउंट में अपनी संपत्ति बेचना चाहते हैं.
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45 करोड़ डॉलर जमा करने को कहा गया था
यह घटनाक्रम न्यूयॉर्क के अटॉर्नी जनरल लेटिटिया जेम्स द्वारा निर्णय की जानकारी एकत्र करने के प्रयास शुरू करने से ठीक पहले हुआ. इस सप्ताह की शुरुआत में, ट्रंप के वकीलों ने उनके 45.4 करोड़ अमेरिकी डॉलर एकत्र करने से जुड़े मामले में एक प्रांतीय अपीलीय अदालत से इस पर रोक लगाने का अनुरोध किया. इस सिलसिले में एक फैसला राज्य की मध्यवर्ती अपीलीय अदालत, राज्य की निचली अदालत के अपीलीय डिवीजन द्वारा जारी किया गया था, जहां ट्रंप एक न्यायाधीश के 16 फरवरी के फैसले को पलटने की लड़ाई लड़ रहे हैं. उक्त फैसले में पाया गया था कि उन्होंने अपनी संपत्ति के बारे में झूठ बोला था और रियल एस्टेट साम्राज्य को बढ़ाया था जिसने उन्हें राष्ट्रपति पद तक पहुंचाने में मदद मिली.