म्यूचुअल फंड का केवायसी अगर आपने अब तक नहीं किया है तो इसे जल्द कर देना ठीक रहेगा। अगर आपका केवायसी पहले से वेरिफायड है तो भी आपको एड्रेस प्रूफ के रूप में आधार देना जरूरी है। दूसरे एड्रेस प्रूफ भी वैलिड हैं, लेकिन आधार आधारित केवायसी सबसे फायदेमंद है, क्योंकि इससे आपको सभी फंड हाउसेज की स्कीम में निवेश करने की सुविधा मिल जाती है।
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म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री की 5 केवायसी रजिस्ट्रेशन एजेंसियों (केआरए) ने 24 अप्रैल को बताया कि करीब 73 फीसदी केवायसी रिकॉर्ड्स ‘केवायसी वैलिडेटेड’ हैं। 15 फीसदी केवायसी ‘केवायसी रजिस्टर्ड’ हैं और बाकी 12 फीसदी ‘केवायसी ऑन-होल्ड’ हैं।
73 फीसदी का यह डाटा अच्छा दिखता है, लेकिन इनवेस्टर्स, म्यूचुअल फंड डिस्ट्रिब्यूटर्स और इनवेस्टमेंट एडवाइजर्स को केवायसी वैलिडेशन (KYC Validation) में काफी मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है। पिछले कुछ हफ्तों में मनीकंट्रोल ने केवायसी से जुड़ी कई खबरें दी हैं। हमने केवायसी के इस पूरे मसले को समझने के लिए पिछले कुछ दिनों में कई डिस्ट्रिब्यूटर्स, एडवायजर्स और फंड हाउस के अधिकारियों से बातचीत की है। मनीकंट्रोल ने यह भी जानने की कोशिश की है कि केवायसी वैलिडेशन में क्या मुश्किल आ रही है और इनवेस्टर्स के लिए वैलिडेशन का सबसे अच्छी तरीका क्या है।
KYC की कुल चार कैटेगरी
जिन निवेशकों का केवायसी ‘केवायसी रजिस्टर्ड’ कैटेगरी में है उन्हें इसे अपडेट कराना होगा, जिससे यह ‘केवायसी वैलिडेटेड’ में आ जाए। इससे इनवेस्टर्स उन फंड हाउस की स्कीमों में भी निवेश कर सकते हैं, जिनमें अब तक निवेश नहीं किया है।
पहले आपके लिए यह जान लेना जरूरी है कि केवायसी की चार कैटेगरी हैं। पहला, ‘केवायसी वैलिडेटेड’ है। इसमें केवायसी आधार के जरिए होता है। साथ ही आपका ईमेल और मोबाइल वैलिडेटेड होता है। इसका फायदा यह है कि आप किसी फंड हाउस की स्कीम में इनवेस्ट कर सकते हैं।
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दूसरा, ‘केवायसी रजिस्टर्ड’ है। इसमें वैलिडेशन के लिए आधार का इस्तेमाल नहीं होता है। लेकिन, आपका मोबाइल नंबर और ईमेल वैलिडेटेड होता है। ऐसे इनवेस्टर्स सिर्फ उन फंड हाउस की स्कीमों में निवेश कर सकते हैं, जिनकी स्कीमों में उन्होंने पहले निवेश किया है।
तीसरा, ‘केवायसी ऑन-होल्ड’ है। इसमें पैन को आधार से लिंक्ड नहीं किया गया है। साथ ही ईमेल और मोबाइल नंबर भी सही नहीं हैं। इस कैटेगरी के इनवेस्टर्स किसी फंड हाउस की स्कीम में निवेश नहीं कर सकते।
चौथा, ‘केवायसी रिजेक्टेड’ है। अगर किसी इनवेस्टर का केवायसी स्टेट्स 10-15 दिन तक ‘केवायसी ऑन-होल्ड’ रहता है तो फिर वह चौथी कैटेगरी में आ जाता है। इसका मतलब है कि आप म्यूचुअल फंड से जुड़ा कोई ट्रांजेक्शन नहीं कर सकते।
आधार आधारित केवायसी क्यों बेस्ट है?
केवायसी के लिए कई डॉक्युमेंट्स का इस्तेमाल किया जा सकता है। लेकिन, आधार का इस्तेमाल केवायसी के लिए करने पर आपको सिर्फ एक बार केवायसी करने की जरूरत पड़ती है। इसके बाद आप सभी फंड हाउस की स्कीमों में निवेश कर सकते हैं।
आपके केवायसी को वैलिडेट करने के लिए म्यूचुअल फंड को पांच चीजों की जांच करनी पड़ती है। एमएफ फोलियो में आपका नाम आपके पैन के अनुसार होना चाहिए। आपका एड्रेस वैलिडेटेड होना चाहिए। आधार पैन से लिंक्ड होना चाहिए। इसके अलावा आपका मोबाइल नंबर और ईमेल वेरिफायड होना चाहिए। आपका ईमेल और मोबाइल नंबर तभी वेरिफाय होगा, जब आपका फंड हाउस आपको OTP भेजेगा। पैन में दिया गया नाम इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की वेबसाइट से वेरिफाय होगा। दिक्कत तब आती है जब फंड हाउस आपका एड्रेस वेरिफाय करना चाहता है।
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एक फंड हाउस के इनवेस्टर सर्विसेज के हेड ने कहा, “एड्रेस प्रूफ के रूप में सिर्फ आधार के डेटा को वेरिफाय किया जा सकता है। फंड हाउस दूसरे एड्रेस प्रूफ को वेरिफाय नहीं कर सकते।” अगर आपका केवायसी ‘केवायसी रजिस्टर्ड’ कैटेगरी में आता है तो आपको किसी नए फंड हाउस की स्कीम में हर बार निवेश करने पर फिर से केवासी की जरूरत पड़ेगी। इसलिए इनवेस्टर्स के लिए सबसे अच्छा है कि वे केवायसी के लिए आधार का इस्तेमाल करें।