NPS vs Mutual Fund: बीते कुछ सालों में म्यूचुअल फंड निवेशकों की संख्या काफी बढ़ी है। खास कर जब से ‘म्यूचुअल फंड सही है’ अभियान शुरू किया गया, तब से म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री की ग्रोथ में तेजी आई है।
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निवेशकों की कम जोखिम के साथ अच्छे रिटर्न की तलाश ने भी म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री की ग्रोथ में अहम भूमिका निभाई। दरअसल प्रोफेशनल फंड मैनेजर म्यूचुअल फंड स्कीमों को मैनेज करते हैं, जिससे जोखिम कम हो जाता है। मगर नेशनल पेंशन स्कीम (NPS) फंडों ने म्यूचुअल फंड स्कीमों से ज्यादा फायदा कराया है। पिछले 10 सालों में लार्जकैप म्यूचुअल फंड कैटेगरी और डेट फंड्स के मुकाबले NPS इक्विटी फंडों ने निवेशकों की ज्यादा कमाई कराई है। इसका एक बड़ा कारण है फंड मैनेजमेंट चार्ज। फंड मैनेजमेंट चार्ज के बारे में आगे जानिए।
क्या है फंड मैनेजमेंट चार्ज
म्यूचुअल फंड स्कीमों में फंड मैनेजमेंट चार्ज सालाना 2 फीसदी तक होता है। लॉन्ग टर्म में ये 2 फीसदी चार्ज एक बड़ी रकम बन जाएगा।
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जैसे कि मान लीजिए कोई किसी म्यूचुअल फंड में हर महीने 5,000 रु की SIP करता है और वो फंड सालाना 2% फंड मैनेजमेंट चार्ज वसूलता है।
25 सालों में ये 2 फीसदी चार्ज निवेशक की जेब पर लगभग 19 लाख रुपये का बोझ डालेगा। वहीं एनपीएस में 5,000 रु की SIP पर सिर्फ 0.09% फंड मैनेजमेंट चार्ज लगेगा। यानी 25 सालों केवल 1 लाख रु। ये चार्ज ही लॉन्ग टर्म में एक बड़ा अंतर पैदा करेगा। ये कैलकुलेशन अनुमानित 9% सालाना रिटर्न पर की गई है।
मिलेगा टैक्स बेनेफिट भी
एनपीएस टियर 2 में कोई टैक्स बेनिफिट नहीं है। मगर टियर I में कई टैक्स बेनेफिट हैं। पहला कि आपको 80 सी के तहत 1.5 लाख रुपये के निवेश पर टैक्स छूट मिलेगी।
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80सीसीडी (1बी) के तहत एनपीएस में निवेश पर 50,000 रुपये की एडिशनल डिडक्शन का लाभ मिलेगा
80सीसीडी (2) के तहत NPS में जमा की गई 10% तक बेसिक सैलरी टैक्स फ्री रहेगी