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Second Home for Retirement: इस फॉर्मूले से खरीदें दूसरा घर… रिटायरमेंट की नो-टेंशन, जेब में पड़े होंगे 3-4 करोड़ रुपये!

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मिश्राजी को शेयर बाजार से डर लगता है, वो म्यूचुअल फंड से भी दूरी बनाए हुए हैं. उनका सीधा कहना है कि म्यूचुअल फंड और शेयर बाजार में जोखिम बहुत है, और निवेश पर रिटर्न की भी कोई गारंटी नहीं है. हां, वो फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) को निवेश का सबसे बेहतर विकल्प मानते हैं…

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दरअसल, ये केवल मिश्राजी की सोच नहीं है, हमारे देश में अभी भी अधिकतर लोग सुरक्षित निवेश को पहली प्राथमिकता देते हैं. भले ही उन्हें ब्याज कम मिले, लेकिन मूलधन के साथ कतई रिस्क नहीं लेना चाहते. 

हालांकि मिश्राजी को रिटायरमेंट की भी चिंता है. वो चाहते हैं कि उम्र 60 साल होते ही उनके पास इतनी रकम हो, जिससे बुढ़ापा आसानी से कट जाए. उनके पास फिलहाल निवेश के तौर पर FD एकमात्र विकल्प है. क्योंकि म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) और शेयर बाजार (Share Market) में वो पैसा लगाना नहीं चाहते, फिर क्या विकल्प बचता है, जिसमें रिस्क कम और रिटर्न मनमुताबिक मिल जाए, ताकि समुचित रिटायरमेंट फंड का इंतजाम हो जाए.

रियल एस्टेट ने दिया है जोरदार रिटर्न

ऐसे लोगों के लिए रियल एस्टेट (Real Estate) एक शानदार विकल्प साबित हो सकता है. वैसे भी भारत में जमीन में निवेश आज भी पैसा बनाने का सबसे बेहतरीन जरिया है. पिछले 4 दशक के आंकड़े बताते हैं कि बैंक एफडी (Bank FD), या दूसरे सेविंग स्कीम्स (Saving Schemes) के मुकाबले रियल एस्टेट में बढ़िया पैसा बना है. अब मुद्दे पर लौटते हैं, आखिर अब मिश्राजी को क्या करना चाहिए? 

मान लीजिए फिलहाल मिश्राजी की उम्र 40 साल है, और उनके पास पहले से ही एक घर मौजूद है, जिसकी EMI चल रही है. लेकिन 20 साल के बाद यानी 60 की उम्र में उन्हें रिटायरमेंट फंड के तौर पर करीब 2 करोड़ रुपये चाहिए. अब आइए बताते हैं, कैसे दूसरा घर मिश्राजी की रिटायरमेंट की टेंशन को पेंशन में बदल देगा. अगर अभी मिश्राजी जमापूंजी लगाकर दूसरा घर या जमीन खरीद लेते हैं, तो उन्हें 60 साल के बाद रिटायरमेंट फंड को लेकर बिल्कुल नहीं सोचना पड़ेगा. दूसरे घर की कीमत 20 साल के बाद इतनी हो जाएगी कि वो उसे बेचकर बुढ़ापे में आर्थिक तौर पर आत्मनिर्भर हो जाएंगे.

यानी ऐसे लोगों के लिए दूसरा घर एक बेहतर रिटायरमेंट विकल्प हो सकता है, जो अपनी गाढ़ी कमाई शेयर बाजार या फिर म्यूचुअल फंड में बिल्कुल नहीं लगाना चाहते हैं. आइए जानते हैं कि इस फॉर्मूले से कैसे 20 साल के बाद मिश्राजी 2 करोड़ रुपये जुटा सकते हैं और इसके लिए अभी उन्हें क्या-क्या करना होगा.

जमीन या फ्लैट… क्या खरीदें?

पहली बात अगर मिश्राजी अभी घर या जमीन खरीदते हैं, वो फिजिकल असेट्स के तौर पर होगा, यानी वो उसे कभी भी कैश कर सकते हैं. लेकिन अब सवाल उठता है कि अभी दूसरा घर खरीदने के लिए पैसा कहां से आएगा? मंथली EMI कैसे भरी जाएगी? क्योंकि उनकी पहले से ही एक होम लोन की EMI चल रही है.

फिलहाल, फैसला लेना थोड़ा मुश्किल होगा, लेकिन 20 साल के बाद उन्हें पछताना नहीं पड़ेगा. मिश्राजी ही नहीं, हर नौकरी-पेशा को सबसे पहले ये तय करना होगा कि उन्हें 60 की उम्र में कितनी राशि की जरूरत होगी. उस हिसाब से आपको गोल निर्धारित करना होगा. 

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दूसरा घर खरीदने से पहले ध्यान ये रखें कि वो पुराना न हो, फ्लैट के मुकाबले जमीन खरीदना ज्यादा फायदे का सौदा साबित हो सकता है. लेकिन जमीन उन एरिया में खरीदें जहां आने वाले वक्त में विस्तार की संभावना हो. यानी शहर से थोड़ा हटकर खरीदें… लेकिन ये पता हो आने वाले वर्षों में वो इलाका भी विकसित होगा, जिससे उसकी कीमतों में तेजी आने की संभावना बनी रहेगी.

कैसे खरीदें दूसरा घर?

दूसरा घर खरीदने का फैसला तब लें, जब सारा खर्च निकालकर सैलरी का 20 फीसदी हिस्सा बचा पा रहे हैं. उदाहरण के तौर पर अगर आपकी सैलरी एक लाख रुपये है, 20 हजार रुपये अगर हर महीने बच रहे हों, तभी घर खरीदने की सोचें. इसके अलावा अगर आपके पास पहले से बचत की हुई राशि जमा है, तो उसे आप डाउन पेमेंट में इस्तेमाल कर सकते हैं. 

अगर कहीं FD है, तो उसका इस्तेमाल घर खरीदने में कर सकते हैं. कोशिश ये करें कि घर की अधिकतम कीमत को शुरू में पेमेंट कर दें. लोन जितना कम लेंगे, उतना बढ़िया रहेगा. अगर जमीन मिल जा रही है, तो वो सबसे बेहतर रिटायरमेंट के लिए निवेश हो सकता है. लेकिन जमीन खरीदने के लिए एकमुश्त राशि की जरूरत होगी. जिसके लिए आप FD समेत दूसरे सेविंग का इस्तेमाल कर सकते हैं. क्योंकि फ्लैट की मुकाबले जमीन की कीमत ज्यादा तेजी से बढ़ती है.

यही नहीं, जमीन का टुकड़ा आप 10 से 30 लाख तक में खरीद सकते हैं. लेकिन फ्लैट खरीदने के लिए कम से कम 50 लाख रुपये की जरूरत होगी, क्योंकि इससे कम कीमत में अच्छी जगह में फ्लैट मिलने की कम संभावना होती है. भले ही छोटे शहरों में 20 से 30 लाख रुपये में फ्लैट मिल जाएंगे. लेकिन अगर निवेश के नजरिये से खरीद रहे हैं तो कोशिश ये होनी चाहिए कि फ्लैट उस इलाके में जहां आसानी से वो किराये पर लग जाए, या फिर जब चाहें, बेच सकें. साथ ही उस इलाके में प्रॉपर्टी की कीमत कम से कम 5 से 7 साल में दोगुनी हो जाए.

हां, दूसरा घर खरीदने का फैसला तभी लें, जब आप EMI भरने के लिए सक्षम हों. अगर दूसरा घर खरीद लेते हैं, तो फिर रिटायरमेंट के लिए दूसरी जगह बिल्कुल निवेश न करें, क्योंकि उससे आपका बजट बिगड़ सकता है.

अब एक फॉर्मूले से समझते हैं कि कितनी कीमत का घर या जमीन खरीद सकते हैं…

अगर आपका मेट्रो शहरों में 50 लाख रुपये का घर खरीदते हैं. जिसपर 8.75 फीसदी ब्याज के हिसाब से 20 साल के लिए होम लोन की EMI करीब 38 हजार रुपये मंथली बनेगी. 50 लाख रुपये के होम लोन के लिए करीब 7.50 लाख रुपये का डाउन पेमेंट करना होगा. डाउन पेमेंट के लिए सेविंग का इस्तेमाल कर सकते हैं. अब सवाल उठता है कि हर महीने 38 हजार की EMI कैसे भरेंगे. सबसे पहले उस घर को किराये पर लगा देंगे,  15 से 20 हजार रुपये महीने किराये मिल जाएंगे. जिसे EMI भरने में इस्तेमाल कर सकते हैं. बाकी 20-25 हजार रुपये हर महीने EMI जेब से भरनी होगी. इसके लिए हमने आपको ऊपर में बताया है कि अगर 1 लाख सैलरी है, और उसमें 20 फीसदी बचा पा रहे हैं, तभी दूसरा घर का विकल्प चुनें.

यानी 1 लाख की सैलरी वाले अगर सब खर्चे काटकर 20 हजार महीने बचा रहे हैं तो बेफ्रिक होकर दूसरा घर खरीदें. घर की EMI अगले 20 साल तक वही रहेगी, लेकिन उसकी कीमत साल-दर-साल बढ़ती जाएगी और हर महीने मिलने वाले किराये में भी साल-दर-साल इजाफा होता जाएगा, यानी साल दर साल EMI की बोझ कम हो जाएगी. साथ ही हर साल सैलरी में भी इजाफा होगा, जिससे आप आसानी से दूसरे घर की EMI चुका देंगे.

अब बात करते हैं अगर अभी 50 लाख में घर खरीदते हैं तो 20 साल के बाद उसकी कितनी कीमत होगी. 10 फीसदी CAGR के हिसाब से 20 साल के बाद उस घर की कीमत 3 करोड़ रुपये से ज्यादा होगी. कम से कम 8 फीसदी CAGR के हिसाब से भी 20 साल के बाद उस प्रॉपर्टी की कीमत ढाई करोड़ रुपये होगी.

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11 फीसदी CAGR से 4 करोड़ कीमत बैठती है, यानी आप सोच सकते हैं कि 20 साल बाद उस घर को बेचने पर आपके हाथ में  कितनी बड़ी राशि आएगी. अगर आज से 20 साल के बाद 3 से 4 करोड़ रुपये की जरूरत होगी तो बेफ्रिक होकर अभी 50 लाख तक के घर या जमीन खरीद लें, आसानी से लक्ष्य हासिल हो जाएगा.

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