बीकानेर से शुरू हुई हल्दीराम की कहानी आज 100 देशों में पहुंच चुकी है. शुरुआत भुजिया से हुई थी लेकिन अब इनके पोर्टफोलियो में 500 प्रोडक्ट्स हैं.
नई दिल्ली. जब बीकानेर की एक छोटी सी दुकान से गंगा बिशेन अग्रवाल ने भुजिया नमकीन बेचना शुरू किया होगा तो शायद ही उन्होंने यह सोचा होगा कि उनकी ये दुकान एक दिन अरबों के कारोबार बन जाएगी. आज पूरी दुनिया इस दुकान से पनपे कारोबार को हल्दीराम के नाम से जानती है. गंगा बिशेन अग्रवाल को ही प्यार से उनके परिवार के लोग हल्दीराम कहते थे. उन्होंने इसी नाम को अपनी दुकान का नाम रख दिया. हल्दीराम अभी चर्चा में है. इसकी वजह है कि कई विदेशी कंपनियां इसमें बड़ी हिस्सेदारी खरीदने के लिए लाइन लगाए खड़ी हैं.
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ऐसा पहली बार नहीं है जब कोई कंपनी हल्दीराम को खरीदना चाह रही हो. इससे पहले खबर आई थी कि टाटा ग्रुप भी हल्दीराम में 51 फीसदी हिस्सेदारी खरीदना चाह रहा है. ऐसा कहा जाता है कि हल्दीराम उस समय अपना वैल्युएशन 10 अरब डॉलर लगा रहा था जो टाटा को सही नहीं लगा इसलिए डील पूरी नहीं हो पाई. हालांकि, टाटा ने इस खबर का खंडन किया था. उन्होंने कहा था कि उनकी हल्दीराम के साथ ऐसी कोई बातचीत नहीं हुई है.
अब कौन है कतार में?
हल्दीराम को अब तीन कंपनियां मिलकर खरीदना चाह रही हैं. वे हल्दीराम में 70 फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी चाहती हैं. इसमें दुनिया के सबसे बड़ी फंड मैनेजमेंट कंपनी में से एक ब्लैकस्टोन शामिल है. इसके अलावा अबू धाबी इन्वेस्टमेंट अथॉरिटी और सिंगापुर की जीआईसी भी ब्लैकस्टोन की अगुआई वाले इस ग्रुप में शामिल हैं. उन्होंने 74-76 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने का ऑफर दिया है. हल्दीराम की वैल्यू 8.5 अरब डॉलर हो सकती है जो भारतीय करेंसी में 70,500 करोड़ रुपये के आसपास होगा.
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2 पैसे की भुजिया से शुरुआत
हल्दीराम की शुरुआत बीकानेर में 1937 में हुई. तब गंगा बिशेन अग्रवाल 2 पैसे की 1 किलो भुजिया बेचा करते थे. लोगों को उनकी भुजिया इतनी पसंद आई कि वह हफ्ते में 200 किलो भुजिया बेचने लगे. इसके बाद भुजिया का रेट कुछ ही समय में बढ़कर 25 पैसे हो गया. धीरे-धीरे कारोबार का विस्तार होता गया. हल्दीराम बीकानेर से निकलकर दिल्ली, पुणे और कोलकाता पहुंच गया. दिल्ली में अब इनका हल्दीराम स्नैक्स एंड एथनिक फूड्स का बिजनेस है. नागपुर में हल्दीराम फूड्स इंटरनेशनल और कोलकाता में हल्दीराम भुजियावाला. इनमें से सबसे बड़ा बिजनेस दिल्ली का है. अब इनके प्रोडक्ट्स के दाम भी काफी बढ़ चुके हैं. इनका बिजनेस 100 से अधिक देशों में फैल चुका है.
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वित्तीय स्थिति
कंपनी के फाइनेंस की बात करें तो वित्त वर्ष 2024 में इसका रेवेन्यू 14500 करोड़ रुपये रहने की उम्मीद है. वहीं, इसका प्रॉफिट आफ्टर टैक्स 2300 से 2500 करोड़ रुपये रह सकता है. पिछले 5 साल से इनका बिजनेस लगातार 18 फीसदी की दर से बढ़ रहा है. कंपनी हर प्रोडक्ट पर 14-15 परसेंट का प्रॉफिट बनाती है. हालांकि, पिछले साल इनपुट कॉस्ट कम रही इसलिए यह प्रॉफिट 18 परसेंट तक चला गया.