ग्वालियर, नईदुनिया प्रतिनिधि। नुकसान के लिए रिटर्न दाखिल करना करदाताओं के लिए फायदेमंद होगा। करदाताओं को घाटे को आगे बढ़ाने के लिए नकारात्मक आय या घाटे के लिए आईटीआर दाखिल करना चाहिए।
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आईटीआर दाखिल करते समय आपके पास अपने द्वारा हुए नुकसान का विवरण भरने का विकल्प होता है।
यदि आप अपने नुकसान के लिए आयकर रिटर्न दाखिल करते हैं, तो आप उन्हें भविष्य के वर्षों के लिए आगे बढ़ा सकते हैं, जिसमें इन नुकसानों को भविष्य में होने वाले मुनाफे के विरुद्ध समायोजित किया जा सकता है।
हालांकि यदि आप नियत तारीख तक अपना रिटर्न दाखिल नहीं करते हैं, तो आप अपने घाटे को अगले वित्तीय वर्ष में आगे नहीं बढ़ा पाएंगे। यह बदले में आपके घाटे को बढ़ाएगा या जटिल करेगा, क्योंकि जब आप अपने घाटे को आगे बढ़ाते हैं तो आप अपनी भविष्य की कर देनदारियों को कम कर देते हैं।
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उदाहरण के लिए मान लीजिए कि आपको वित्तीय वर्ष 2023-24 में व्यापार में छह लाख रुपये की हानि हुई है और आप अपना आयकर रिटर्न नियत तिथि तक दाखिल कर देते हैं तो आप इनको अन्य वर्षों में ले जाकर होने वाले लाभों से समायोजित कर सकेंगे। अब अगर अगले वर्ष आपको पांच लाख का लाभ हुआ तो भी आपको उस वर्ष कोई टैक्स नहीं देना होगा।
उस दशा में भी आपका एक लाख का नुकसान बकाया रहेगा, जिसे पुनः अगले वर्षों में समायोजन के लिए आयकर के प्रावधानों के अनुरूप ले जाया जा सकेगा। अगर आप अपना आईटीआर दाखिल नहीं करते हैं तो आप इस नुकसान को आने वाले वर्षों में आगे नहीं बढ़ा पाएंगे। यदि हानि वाले वर्ष में आपकी कोई आय है, तो आपके घाटे को उस आय से समायोजित किया जा सकता है। इससे आपकी कर योग्य आय में भारी अंतर से कमी आएगी।
यदि आपकी कोई आय नहीं है या आपका घाटा आय से अधिक है, तो आप घाटे को आगे ले जा सकते हैं और उन्हें अपने भविष्य के कर रिटर्न में समायोजित कर सकते हैं।
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हालांकि एक बात जो आपको याद रखनी चाहिए, वह यह है कि जहां अल्पकालिक पूंजीगत हानि को अल्पकालिक लाभ या दीर्घकालिक लाभ के विरुद्ध समायोजित किया जा सकता है, वहीं दीर्घकालिक पूंजीगत हानि को केवल दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ के विरुद्ध समायोजित किया जा सकता है।नितीश गुप्ता, चार्टर्ड एकाउंटेंट।