आप प्राइवेट जॉब (Private Job) में हैं, या फिर सरकारी नौकरी कर रहे हैं, पता है… आपको हर महीने कितना पैसा बचाना चाहिए? सेविंग के लिए सैलरी कितनी होनी चाहिए? सैलरी और सेविंग के बीच क्या रिश्ता है? अधिकतर लोगों को इस बारे में जानकारी नहीं है.
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दरअसल, अगर आप सैलरी और सेविंग (Saving) के बीच तालमेल नहीं बिठा पा रहे हैं तो मुमकिन है कि आप वित्तीय लक्ष्य को हासिल करने में चूक जाएं. हमारे देश में अधिकतर लोग सेविंग को लेकर जागरूक नहीं हैं. उनसे जब भी सेविंग की बात करें, तो उनके पास एक आसान बहाना होता है कि अभी सैलरी कम है, जब थोड़ी बढ़ जाएगी तब निवेश करेंगे. लेकिन ऐसे लोगों की सैलरी बढ़ने के साथ ही खर्चे भी बढ़ जाते हैं, और फिर कुछ भी नहीं बचा पाते.
20 हजार रुपये सैलरी वालों के लिए ये फॉर्मूला
अब सवाल उठता है कि फिर उपाय क्या है? इसका सीधा जवाब है कि अगर आप चाहें तो जितनी सैलरी है, उसी में से बचत कर सकते हैं. इसके लिए केवल इच्छाशक्ति और बेहतर प्लान की जरूरत होती है. अगर आपकी सैलरी 20,000 रुपये महीने भी है, तो भी आप बचत कर सकते हैं. फॉर्मूला ये है कि सबसे पहले सैलरी आते ही सेविंग (Saving) के लिए निर्धारित राशि को दूसरे अकाउंट में ट्रांसफर कर दें, अगर दूसरा अकाउंट नहीं है तो फिर तय कर लें कि बचत के लिए जो राशि निर्धारित है, उसे हरगिज हाथ नहीं लगाएंगे. उस राशि को महीने के पहले हफ्ते में ही निवेश कर दें.
अगर आप बचत को लेकर गंभीर नहीं हैं, तो शुरुआत केवल सैलरी के 10 फीसदी हिस्से से करें, शुरुआती 6 महीने तक 2000 रुपये महीने बचाएं.
लेकिन आज के दौर में अधिकतर लोगों की सैलरी 50,000 रुपये के आसपास होती है. अगर आपकी भी सैलरी 50 हजार रुपये के आसपास है तो जान लीजिए आपको हर माह कितना पैसा बचाना चाहिए, और उसे कहां निवेश करें, ताकि भविष्य में वो बड़ा फंड बन सके और मुसीबत में काम आए.
अगर आप शादी-शुदा हैं, और दो बच्चे हैं. तो भी आप 50000 रुपये सैलरी में से बचत कर सकते हैं. सामान्यतौर पर प्राइवेट जॉब करने वालों को मंथली सैलरी में से करीब 30 फीसदी राशि बचानी चाहिए. नियम कहता है कि 15 हजार रुपये हर महीने बचना चाहिए. अगर आपकी सैलरी 50 हजार रुपये महीने है और आप हर महीने उसमें से 15 हजार रुपये नहीं बचा रहे हैं तो फिर निवेश के लक्ष्य तक नहीं पहुंच पाएंगे, इस बारे में आपको तुरंत सोचने की जरूरत है.
वहीं अगर एक लाख रुपये सैलरी है तो फिर हर महीने कम से कम 20 फीसदी राशि बचाएं. वैसे अगर 30 फीसदी राशि बचाते हैं तो फिर बेहतर तरीके से वित्तीय गोल को हासिल कर पाएंगे.
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शुरुआत में 10 फीसदी राशि बचाएं
अगर आप नए वित्त वर्ष से बचत की शुरुआत कर रहे हैं तो 10% से आगाज करें, लेकिन हर 6 महीने में उसे बढ़ाते रहें, जब तक 30 फीसदी मंथली बचत तक नहीं पहुंच जाएं. शुरुआत में काफी दिक्कतें होंगी, खर्चे पूरे नहीं होंगे, क्योंकि पहले से पूरी सैलरी खर्च करने की आदत पड़ी है. लेकिन 6 महीने में आप खुद अपनी आदत बदल सकते हैं. सबसे पहले खर्चों की लिस्ट बनाएं. उसमें जो जरूरी है, उसे पहले जगह दें, उसके बाद उन खर्चों पर विचार करें, जिनपर कैंची चला सकते हैं. यानी कटौती कर सकते हैं.
अगर महीने में 4 बार बाहर खाने की आदत है, तो उसे महीने में 2 बार कर दें. इसके अलावा फालतू खर्चों की एक लिस्ट बनाएं, जिसे आप हर महीने बेवजह खर्च करते हैं, यकीन मानिए हर आदमी अपनी सैलरी का करीब 10 फीसदी हिस्सा फिजूल में खर्च कर देता है.
इसके अलावा ऑनलाइन (Online) के इस दौर में अगर क्रेडिट कार्ड (Credit Card) रखते हैं, उसके इस्तेमाल पर लगाम लगाएं. अगर बहुत सारा क्रेडिट कार्ड बनवा रखे हैं तो कुछ को तुरंत बंद करवा दें. इसके अलावा ऑनलाइन शॉपिंग (Online Shopping) से बचें. जब भी बाहर खरीदारी के लिए जाएं तो घर से लिस्ट बनाकर जरूर निकलें. एक बात और याद रखें, सैलरी मिलते ही उन चीजों को ऑफर के चक्कर में या बेवजह न खरीदें जो आपके इस्तेमाल का न हो. इस तरीके से आप हर महीने अपनी सैलरी का 30 फीसद हिस्सा बचा सकते हैं.
सही जगह पर बचत राशि को निवेश की जरूरत
बता दें, इस फॉर्मूले से 1 लाख रुपये तनख्वाह वाले सालाना 3.60 लाख रुपये बचा सकता है. जब हर महीने 30 हजार रुपये बचाएं, तो उसमें से 10 हजार रुपये इमरजेंसी फंड (Emergency Fund) के तौर पर रखें. 10 रुपये हर महीने म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) में SIP कर सकते हैं. इसके अलावा बाकी बचे 10 हजार रुपये रेकरिंग डिपॉजिट या फिर गोल्ड बॉन्ड (Gold Bond) में लगा सकते हैं.
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जब-जब सैलरी बढ़े तो निवेश की राशि को भी उसी हिसाब से बढ़ाते रहें. अगर आप इस फॉर्मूले से 10 साल तक बचत और निवेश (Investment) करते रहें तो फिर आपको भविष्य में आर्थिक संकट से जूझना नहीं पड़ेगा.मुसीबत में भी यह फंड बड़ा सहारा होगा.