Florona: इजरायल से मिली रिपोर्ट के मुताबिक अस्पताल में भर्ती गर्भवती महिला में कोविड-19 और इन्फ्लूएंजा का मामला देखने को मिला है. ओमिक्रॉन मामलों के बढ़ने और डेल्टा वेरियंट के फैलना जारी रहने के बीच में, इस तरह के दोहरे संक्रमण को लेकर घबराहट फैलना स्वाभाविक है. रिपोर्ट बताती हैं कि बीते कुछ हफ्तों में डॉक्टरों को इजरायल में इन्फ्लूएंजा के मामलों में बढ़ोतरी देखने को मिली है.
नई दिल्ली. कोरोना ने पिछले दो सालों से दुनिया को चिंता में डाल रखा है. रोज सुबह एक नई घबराहट होती है कि आज क्या नया होने वाला है. कभी अल्फा (Alpha), कभी डेल्टा (Delta) तो कभी ओमिक्रॉन (Omicron). कोरोना दुनियाभर के वैज्ञानिकों को सुस्ताने का मौका ही नहीं दे रहा है. ऐसे में अब इज़रायल में सुर्खिया बटोर रहे फ्लोरोना ने फिर से हड़कंप मचा दिया है. फ्लोरोना के बारे में अभी तक मिली जानकारी के मुताबिक यह कोरोना वायरस का नया वेरियंट नहीं है, बल्कि यह दोहरे संक्रमण के तौर पर देखा जा रहा है, जहां कोरोना के साथ इन्फ्लूएंजा वायरस का एक साथ संक्रमण हुआ है. यह कितना घातक हो सकता है और इसके क्या लक्षण हो सकते हैं आइए जानते हैं.
फ्लोरोना है क्या
इजरायल से मिली रिपोर्ट के मुताबिक अस्पताल में भर्ती गर्भवती महिला में कोविड-19 और इन्फ्लूएंजा का मामला देखने को मिला है. ओमिक्रॉन मामलों के बढ़ने और डेल्टा वेरियंट के फैलना जारी रहने के बीच में, इस तरह के दोहरे संक्रमण को लेकर घबराहट फैलना स्वाभाविक है. रिपोर्ट बताती हैं कि बीते कुछ हफ्तों में डॉक्टरों को इजरायल में इन्फ्लूएंजा के मामलों में बढ़ोतरी देखने को मिली है. दोनों संक्रमण के एक साथ होने को इम्यूनिटी कम होने से जोड़ कर देखा जा रहा है. हालांकि जिस गर्भवती महिला का मामला सामने आया है उसे किसी तरह का कोई टीका नहीं लगा था.
यूएस सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेन्शन (सीडीसी) का कहना है कि बीमारी के लक्षण सामने आने में एक या दो दिन लग सकते हैं. हालांकि कोविड-19 के मामले में लक्षणों के उभरने में ज्यादा वक्त लग सकता है अगर व्यक्ति को फ्लू भी रहा हो. फ्लू में व्यक्ति में 1 से 4 दिनों के भीतर लक्षण दिख सकते हैं. वहीं कोविड के मामले में लक्षण उभरने में 5 दिन लग जाते हैं. वैसे लक्षण संक्रमण के 2 से 14 बाद भी दिख सकते हैं.
सीडीसी का कहना है कि दोनों ही संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे में लक्षण नजर आने से पहले भी पहुंच सकते हैं. ऐसे लोग भी होते हैं जिनमें लक्षण बहुत हल्के होते हैं या वह एसिम्पटोमैटिक रहते हैं. दोनों ही संक्रमण, संक्रमित व्यक्ति के करीब रहने और उसकी छींक, खांसी या बलगम से उड़ने वाले छोटे कणों के जरिए फैलते हैं. संक्रमण, संक्रमित जगह को छूने और फिर उससे नाक, आंख या मुंह पर लगाने से भी फैलता है.
क्यों बढ़ रहे हैं मामले
फ्लोरोना के कोविड के दौर में आने को लेकर विशेषज्ञों के माथे पर अतिरिक्त शिकन आ गई है. उनका मानना है कि वायरस का साथ में संक्रमण प्रकृति प्रदत्त होता है. कोविड की शुरुआत के वक्त से ही विशेषज्ञ ट्विन्डेमिक यानी दो वायरस के साथ में संक्रमण को लेकर चिंतित थे. लेकिन शारीरिक दूरी और दूसरे उपायों की वजह से ऐसा कुछ हुआ नहीं. ऐसे में जैसे ही पाबंदियों में ढील बरती गई लोगों ने लापरवाही दिखाई और उसका नतीजा है कि दूसरे रोगाणुओं को फैलने का मौका मिल गया.
अमेरिका में ही 2020-21 में फ्लू के मामले सामान्य से कहीं कम थे, क्योंकि लोग मास्क लगा रहे थे और शारीरिक दूरी का ध्यान रख रहे थे.
को-इन्फेक्शन यानी सह-संक्रमण के क्या लक्षण हैं
विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि दोनों बीमारियों का साथ में होना संभव है और दोनों ही वायरस के लक्षण एक जैसे ही होते हैं जिसमें, बलगम, नाक बहना, गला दुखना, बुखार, सिरदर्द और कमजोरी है. हालांकि लक्षण लोगों के हिसाब से बदल भी सकते हैं. कुछ में कोई भी लक्षण नहीं पाया जाता है, वहीं कुछ में हल्के लक्षण होते हैं तो कुछ गंभीर रूप से बीमार हो जाते. इससे यह जाहिर होता है कि कोविड के साथ इन्फ्लूएंजा घातक भी हो सकता है. नेचर में प्रकाशित रिपोर्ट बताती है कि दोनों ही वायरस हवा के जरिए फैलते हैं और श्वास नली, नसिका, ब्रोंकाइल और फेफड़ों की कोशिका पर हमला करते हैं. इस तरह दोनों वायरस का संगम एक बड़ी आबादी को संक्रमण के खतरे में डाल सकता है.
चिंता की क्या बात है
नेचर में प्रकाशित रिपोर्ट बताती है कि चूहों पर किए गए प्रयोगों से पता चला है कि इन्फ्लूएंजा का संक्रमण सार्स-कोवि-2 की संक्रामकता को बढ़ाता है. इससे कोविड का वायरल लोड बढ़ जाता है जिससे फेफड़ों को गंभीर रूप से नुकसान पहुंच सकता है. शोधकर्ताओं का कहना है कि अध्ययन से पता चलता है कि इन्फ्लूएंजा में कोविड के संक्रमण को बढ़ाने की अनूठी काबिलियत होती है, ऐसे में कोविड पर काबू के लिए इन्फ्लूएंजा पर काबू पाना बेहद ज़रूरी है. स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि मौसमी बीमारियां का हर साल देश में आती हैं, पिछले दो साल से कोविड के प्रकोप के साथ अब इनकी संगत बीमारी को और घातक बना सकती है. खास बात यह है कि कोविड के मामले में इनका सह अस्तित्व प्रदर्शित नहीं होता है ऐसे में उपचार में भी परेशानी हो सकती है.
दोहरे संक्रमण का पता कैसे चलेगा
स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि कोविड-19 और मौसमी इन्फ्लूएंजा, गंभीर एक्यूट श्वासनली संक्रमण (एसएआरआई) या इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारी (आईएलआई) की तरह दिख सकता है. जिस क्षेत्र में ऐसे मामलों की रिपोर्ट आई है वहां दोनों ही रोगों की जांच की जानी चाहिए. चूंकि सर्दी का मौसम है ऐसे में मौसमी इन्फ्लूएंजा ज्यादा दिखाई पड़ सकता है. किसी में दोनों के लक्षण भी हो सकते हैं. हालांकि दोनों के लक्षण एक जैसे होने की वजह से प्रयोगशाला में की गई जांच से भी बहुत ज्यादा मदद नहीं मिल सकती है.
इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित खबर के मुताबिक अलग अलग पीसीआर टेस्ट करके ही दोनों संक्रमण के बारे में जानकारी मिल सकती है. हालांकि सीडीसी ने बताया है कि एक जांच है जिसके जरिये मौसमी फ्लू टाइप ए और बी और सार्स कोवि 2 के बारे में पता किया जा सकता है. इसका इस्तेमाल अमेरिका जनस्वास्थ्य प्रयोगशाला में एहतियात के तौर पर किया जा रहा है.
उपचार और वैक्सीन
विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि सभी उम्र समूह इस सह संक्रमण के घेरे में आ सकते हैं और बुजुर्ग, गर्भवती महिला, जिन्हें कोई बीमारी हो, कमजोर इम्यूनिटी वालों, स्वास्थ्यकर्मी और जिन्होंने हाल ही में बच्चे को जन्म दिया है ऐसे लोगों को ज्यादा खतरा है. जहां तक उपचार की बात है तो कोविड का जो इलाज दुनिया भर में किया जा रहा है, जिसमें ऑक्सीजन, वेंटीलेटर, कॉर्टिकोस्टेराइड शामिल है, वहीं इन्फ्लूएंजा के मामले में एंटीवायरल दवा देकर बीमारी की गंभीरता और मौत के खतरे को कम किया जा सकता है. हालांकि जिनके लक्षण हल्के हैं वह घर पर खुद ब खुद ठीक हो सकते हैं. जरूरत अभी सिर्फ टीका लगवाने पर जोर देने की है.