नई दिल्ली, सुरेंद्र प्रसाद सिंह। पेट्रोलियम आयात पर नियंत्रण और प्रदूषण की गंभीर समस्या से निजात पाने के लिए सरकार एथनाल मिश्रित पेट्रोल के उपयोग को प्रोत्साहित कर रही है। वर्ष 2025 तक पेट्रोल में 20 प्रतिशत तक एथनाल मिश्रित करने का लक्ष्य है। लेकिन एथनाल उत्पादन की राह में घरेलू तेल कंपनियां ही रोड़ा बनने लगी है। एथनाल उत्पादन में अहम भूमिका निभा रहे चीनी उद्योग ने पेट्रोलियम कंपनियों के इस रुख से परेशान होकर सरकार से मौजूदा व्यवस्था को तर्कसंगत बनाने की गुहार लगाई है।
एथनाल उत्पादन में 75 प्रतिशत से अधिक की हिस्सेदारी उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक की है। इसके बावजूद एथनाल उत्पादन क्षमता बढ़ाने के मामले में कंपनियों ने इन तीनों प्रमुख राज्यों को मात्र चार प्रतिशत का आवंटन किया गया है। दरअसल, तेल कंपनियां गन्ना व शीरा से एथनाल उत्पादन को हतोत्साहित कर रही हैं।
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इसे लेकर इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) ने उपभोक्ता मामले व खाद्य सचिव को पत्र लिखकर अपनी चिंताओं से अवगत कराया है। एथनाल उत्पादक कंपनियों को तेल कंपनियों की ओर से खरीद की गारंटी में अनदेखी का भी सामना करना पड़ रहा है। इस्मा ने अपने पत्र में कहा है कि तेल कंपनियों ने कुल 684.5 करोड़ लीटर अतिरिक्त एथनाल उत्पादन का लक्ष्य दिया है, जिसमें प्रमुख गन्ना उत्पादक राज्यों को मात्र चार प्रतिशत का आवंटन है।
चीनी उद्योग ने इस बात पर भी चिंता जताई है कि गन्ना व शीरा से बनने वाले एथनाल के नए संयंत्रों के आवेदन को हतोत्साहित किया जा रहा है।वर्ष 2025 का लक्ष्य हासिल करने के लिए 1500 करोड़ लीटर एथनाल उत्पादन क्षमता स्थापित करनी होगी। इससे पेट्रोल में 20 प्रतिशत एथनाल मिश्रण के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है।
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चीनी उद्योग का दावा है कि इतनी मात्रा में एथनाल उत्पादन करने के लिए गन्ना व शीरा की हिस्सेदारी 760 करोड़ लीटर पर पहुंचानी होगी। इसके बावजूद गन्ना उत्पादक प्रमुख राज्यों को तेल कंपनियों की ओर से नजरअंदाज करना एथनाल मिश्रित पेट्रोल की योजना की रफ्तार को रोक सकता है।