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फर्जी लोन ऐप के जरिए चीनी कंपनियां लगाती थीं करोड़ों की चपत; जानिए क्या था पूरा खेल, ने कैसे किईडी या भंडाफोड़

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Chinese Loan Apps मनी लॉन्ड्रिंग और फर्जी लोन ऐप मामले में चीनी कंपनियों और उनका साथ देने वाली भारतीय कंपनियों पर शिकंजा कसते हुए ईडी ने बड़ी कामयाबी हासिल की है। यह पूरा मामला क्या था और इसके क्या-क्या पहलू थे इन सभी चीजों की पड़ताल करती हुई यह रिपोर्ट।

मुंबई, फैजान खान। भारतीय नागरिकों को नुकसान पहुंचाने वाले चीनी लोन ऐप (Chinese loan apps) के साथ सीधा संबंध रखने वाली क्रिप्टोकरेंसी के खिलाफ अपनी कार्रवाई को तेज करते हुए  प्रवर्तन निदेशालय ने मुंबई सहित 9 शहरों और 16 अलग-अलग स्थानों पर तलाशी ली है। इनमें बैंकों से जुड़े और अवैध ऋण ऐप घोटाले में शामिल विभिन्न संस्थाओं के पेमेंट गेटवे भी शामिल हैं। छापेमारी के दौरान एजेंसी ने विभिन्न वर्चुअल खातों में जमा 46.67 करोड़ रुपये जब्त किए हैं।

प्रवर्तन निदेशालय के अनुसार, एजेंसी ने साइबर अपराध पुलिस स्टेशन, कोहिमा, नागालैंड द्वारा आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज प्राथमिकी के आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू की। ईडी ने अपने बयान में कहा कि दिल्ली, गाजियाबाद, मुंबई, लखनऊ, गया, गुड़गांव, मुंबई, पुणे, चेन्नई, हैदराबाद, जयपुर, जोधपुर और बेंगलुरु में बैंकों/पेमेंट गेटवे शाखाओं/कार्यालयों के 16 परिसरों में जांच के संबंध में छापे मारे गए। यह जांच एचपीजेड और संबंधित संस्थाओं नामक ऐप-आधारित टोकन से संबंधित है।

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कैसे चलता था पूरा खेल

एजेंसी के अनुसार, एचपीजेड टोकन एक ऐप-आधारित टोकन था जिसने उपयोगकर्ताओं को बिटकॉइन और अन्य क्रिप्टोकरेंसी के लिए माइनिंग में निवेश से अच्छे-खासे फायदे का वादा किया था। जालसाज सबसे पहले पीड़ितों को कंपनी में निवेश करने के लिए एचपीजेड टोकन एप के जरिए अपने निवेश को दोगुना करने का लालच देते थे। यूपीआई के अलावा अन्य पेमेंट गेटवे, नोडल खातों और व्यक्तियों के माध्यम से उपयोगकर्ताओं से पैसा लिया गया था। निवेशकों को कुछ राशि वापस कर दी गई और शेष राशि को विभिन्न भुगतान गेटवे/बैंकों के माध्यम से अलग व्यक्तियों और कंपनियों के खातों में ट्रांसफर कर दिया गया, जहां से इसका कुछ हिस्सा डिजिटल/वर्चुअल मुद्राओं में निकाल लिया गया था।

ऐसे होती थी धन की उगाही

ईडी ने बताया कि उसके बाद जालसाजों ने भुगतान रोक दिया और वेबसाइट एक्सेस होनी बंद हो गई। जांच के दौरान एजेंसी ने पाया कि एचपीजेड टोकन चीनी लोगों द्वारा नियंत्रित कंपनियों मेसर्स लिलियन टेक्नोकैब प्राइवेट लिमिटेड और मेसर्स शिगू टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड द्वारा संचालित किया गया था। जांच में आगे पता चला कि मेसर्स शिगू टेक्नोलॉजी के चीनियों द्वारा संचालित कई अन्य कंपनियों से संबंध हैं। अधिकारियों ने बताया कि कई और कंपनियां भी विभिन्न ऋण ऐप, वेबसाइटों और गेमिंग ऐप के संचालन के बहाने जनता से धन की उगाही में शामिल थीं।

भारतीय कंपनियां भी थीं शामिल

जैसे ही एजेंसी ने चीनी कंपनियों की मदद करने वाली भारतीय कंपनियों की संलिप्तता का पता लगाने के लिए गहरी छान-बीन शुरू की, एजेंसी को गुरुग्राम की कंपनी मैसर्स जिलियन कंसल्टेंट्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड पर संदेह हुआ। एक और कंपनी मैसर्स मैड-एलीफेंट नेटवर्क टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड, X10 फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड के साथ मिलकर यो-यो कैश, तूफान रुपीज, कोको कैश आदि जैसे विभिन्न ऋण ऐप संचालित कर रही थी। इसी तरह, सु हुई टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड ने मेसर्स निमिषा फाइनेंस इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के साथ समझौते में लोन ऐप संचालित किया था।

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किसके पास कितना पैसा…

अधिकारियों ने बताया कि तलाशी के दौरान विभिन्न आपत्तिजनक दस्तावेज बरामद किए गए और जब्त किए गए।एजेंसी ने कहा कि ईजबज प्राइवेट लिमिटेड, पुणे के पास 33.36 करोड़ रुपये मिले। 8.21 करोड़ रेजरपे सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड, बैंगलोर के साथ, कैशफ्री पेमेंट्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, बैंगलोर के पास 1.28 करोड़ और 1.11 करोड़ पेटीएम पेमेंट्स सर्विसेज लिमिटेड, नई दिल्ली के पास मिले। विभिन्न बैंक खातों और आभासी खातों में कुल 46.67 करोड़ रुपये का पता लगाया गया और उन्हें फ्रीज कर दिया गया।

ईडी लोन ऐप घोटाले में कथित संलिप्तता के लिए मनी लॉन्ड्रिंग के तहत विभिन्न क्रिप्टो एक्सचेंजों की जांच कर रहा है। Coin DCX, Coin switch Kuber, WazirX जैसे क्रिप्टो एक्सचेंज ईडी की जांच के दायरे में हैं।

4 सितंबर को ईडी ने चीनी ऋण ऐप के साथ लिंक वाले विभिन्न भुगतान गेटवे से 17 करोड़ रुपये जब्त किए। अगस्त में ईडी ने वजीरएक्स क्रिप्टो करेंसी एक्सचेंज से संबंधित 64.67 करोड़ रुपये जब्त कर लिए हैं। अप्रैल में फिनटेक कंपनियों और उनके सहयोगियों के अलग-अलग खातों में पड़े 6.2 करोड़ रुपये जब्त किए गए थे। मई में एजेंसी ने ऋण ऐप घोटाले के सिलसिले में विभिन्न बैंक खातों और पेमेंट गेटवे में पड़े 76.67 करोड़ रुपये जब्त किए।

एनबीएफसी के दामन पर भी दाग

अधिकारियों ने पाया कि ये खाते 7 कंपनियों के हैं, जिनमें से तीन फिनटेक कंपनियां हैं। मैड एलीफेंट नेटवर्क टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड, बैरियोनिक्स टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड और क्लाउड एटलस फ्यूचर टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड चीनी नागरिकों द्वारा संचालित हैं। तीन आरबीआई के साथ पंजीकृत तीन एनबीएफसी (गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी) द्वारा नियंत्रित हैं- एक्स 10 फाइनेंशियल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड, ट्रैक फिन -एड प्राइवेट लिमिटेड और जमनादास मोरारजी फाइनेंस प्राइवेट लिमिटेड।

अगस्त 2021 में एजेंसी ने विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) का उल्लंघन करने के लिए चीनी एनबीएफसी की 107 करोड़ राशि को भी जब्त कर लिया है। एनबीएफसी अवैध ऋण ऐप घोटाले में लिप्त थीं। ईडी की जांच से यह भी पता चला है कि आरबीआई के साथ पंजीकृत कई एनबीएफसी जानबूझकर इन फिनटेक कंपनियों को डिजिटल ऋण देने की सुविधा के लिए अपने नाम का उपयोग करने की अनुमति देती हैं।

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