आज के समय में तमाम लोग ऐसे हैं जो निवेश के मामले में किसी भी तरह का रिस्क नहीं लेना चाहते और गारंटीड रिटर्न में यकीन रखते हैं, ऐसे लोग ज्यादातर FD को निवेश का बेहतर जरिया मानते हैं. लेकिन FD कराने वालों को अक्सर ये कन्फ्यूजन रहता है कि उनका पैसा टैक्स फ्री है. लेकिन ऐसा नहीं होता क्योंकि ब्याज से हुई कमाई पूरी तरह से टैक्सेबल होती है. एफडी के ब्याज से आप जो कुछ भी कमाते हैं, उसे इनकम फ्रॉम अदर सोर्सेज में काउंट किया जाता है. इस इनकम को आपकी एनुअल इनकम में जोड़ा जाता है और कुल इनकम के आधार पर आपका टैक्स स्लैब तय होता है. लिहाजा इस पर बैंक या पोस्ट ऑफिस TDS काटेंगे. ये TDS ब्याज को आपके खाते में जोड़ते वक्त ही काट लिया जाता है.
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लेकिन अगर आप निवेश के किसी ऐसे विकल्प की तलाश में हैं, जिसमें आपका टैक्स भी बच जाए और आपको गारंटीड रिटर्न भी मिल जाए, तो एसबीआई की टैक्स सेविंग फिक्स्ड डिपॉजिट स्कीम (SBI Tax Saving FD) आपके लिए काम की हो सकती है. इस स्कीम में आपको इनकम टैक्स की धारा 80सी के तहत टैक्स छूट मिलती है. यहां जानिए इसके बारे में.
निवेश के नियम
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SBI की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक इस स्कीम में आपको कम से कम 5 सालों के लिए निवेश करना होता है और अधिक से अधिक 10 सालों तक के लिए निवेश किया जा सकता है. आप इसमें कम से कम 1000 रुपए से निवेश कर सकते हैं और इसके बाद 100 रुपए के मल्टीपल में निवेश कर सकते हैं. वरिष्ठ नागरिक के लिए न्यूनतम जमा राशि 10000 रुपए है. हालांकि 80सी का लाभ लेने के लिए एक वित्तीय वर्ष में अधिकतम जमा राशि 1,50,000/- रुपए से अधिक नहीं होनी चाहिए.
5 साल का लॉक इन पीरियड
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इस एफडी का लॉक इन पीरियड 5 साल का है यानी 5 साल के बीच में आप रकम की निकासी नहीं कर सकते. अगर अकाउंटहोल्डर की मृत्यु की स्थिति में ही स्कीम को 5 साल से पहले एनकैश किया जा सकता है. जॉइंट अकाउंट में पहले अकाउंटहोल्डर की मृत्यु की स्थिति में, दूसरा अकाउंट होल्डर मैच्योरिटी से पहले जमा राशि को निकालने का हकदार होता है. एसबीआई की ये स्कीम सभी शाखाओं में मौजूद है. इस स्कीम में नॉमिनेशन की भी सुविधा है. आप चाहें तो इस स्कीम के अकाउंट के दूसरे ब्रांच में ट्रांसफर करा सकते हैं.
SBI FD के मुताबिक ब्याज दर लागू
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इन पांच सालों की लॉक इन अवधि के दौरान आपको इस स्कीम पर ऋण सुविधा उपलब्ध नहीं कराई जाती है. टैक्स सेविंग फिक्स्ड डिपॉजिट में एसबीआई की फिक्स्ड डिपॉजिट के मुताबिक ही ब्याज दिया जाता है. इसमें भी सामान्य लोगों की अपेक्षा सीनियर सिटीजंस को थोड़ा ज्यादा ब्याज मिलता है. इस स्कीम में टीडीएस की करेंट रेट लागू है. इनकम टैक्स नियमों के मुताबिक, टैक्स कटौती से छूट पाने के लिए जमाकर्ता फॉर्म 15G/15H को भरकर जमा कर सकते हैं.