Jaane Bhi Do Yaaro: आज से 40 साल पहले रिलीज हुई ‘जाने भी दो यारो’ कल्ट क्लासिक फिल्म साबित हुई थी. इस फिल्म में बड़े स्टार्स ने नहीं बल्कि स्ट्रलिंग सितारों ने काम किया था. नसीरुद्दीन शाह और रवि बासवानी ने इसमें लीड भूमिका निभाई थी. छोटे बजट में बनी इस फिल्म ने बड़ा धमाका किया था और लोगों के दिलों में एक खास जगह बना ली थी.
नई दिल्ली. हिंदी सिनेमा में शुरुआत से ही कॉमेडी फिल्मों को लेकर लोगों के बीच जबरदस्त क्रेज रहा है. सलमान खान, शाहरुख खान, अजय देवगन और अक्षय कुमार जैसे बड़े सितारे अपनी कॉमेडी से फैंस को एंटरटेन करते रहते हैं, लेकिन आज से 40 साल पहले एक कॉमेडी फिल्म रिलीज हुई थी, जिसका बजट तो बहुत ही कम था, लेकिन बड़ा धमाका हुआ था. हम बात कर रहे हैं कुंदन शाह की फिल्म जाने भी दो यारो की. इस फिल्म ने लोगों को हंसा-हंसाकर लोटपोट कर दिया था. ‘जाने भी दो यारो’ उस जमाने में बनी एक कल्ट क्लासिक फिल्म मानी जाती है.
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सरकारी संस्था ने फिल्म में लगाए पैसे
जाने भी यारो फिल्म में नसीरुद्दीन शाह, रवि बासवानी, सतीश शाह, ओम पुरी, सतीश कौशिक और पंकज कपूर जैसे मंझे हुए सितारों ने काम किया था. हालांकि, उस वक्त ये सभी सितारे अपना नाम बनाने में लगे हुए थे और स्ट्रगल कर रहे थे. आपको जानकर हैरानी होगी कि इस फिल्म को बनाने में एक सरकारी संस्था ने पैसे लगाए थे, जबकि ये फिल्म सरकारी भ्रष्टाचार पर हल्की-फुल्की कॉमेडी से बड़ी चोट करती है.
7 लाख के बजट में बनी थी ये फिल्म
नेशनल फिल्म डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन ने जाने भी दो यारो फिल्म को बनाने के लिए पैसे दिए थे. उस वक्त फिल्म के निर्माण ने 6 लाख 84 हजार रुपये खर्च हुए थे. फिल्म की स्टारकास्ट में सबसे ज्यादा फीस नसीरुद्दीन शाह को 15 हजार रुपये मिली थी. बाकी सभी स्टार्स को 3-3 हजार रुपये दिए गए थे. भ्रष्टाचार और लाल फीताशाही पर व्यंग्य कसती इस फिल्म को थिएटर डायरेक्टर रंजीत कपूर और सतीश कौशिक ने मिलकर लिखा था.
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क्या है फिल्म की कहानी?
‘जाने भी दो यारो’ रवि बासवानी (सुधीर) और नसीरुद्दीन शाह (विनोद) की कहानी है. पेशे से दोनों फोटोग्राफर होते हैं. उन्हें सरकारी ऑफिसर, बिल्डिंग माफिया (पंकज कपूर और ओम पुरी) और मीडिया के बीच भ्रष्टाचारी सांठगांठ के बारे में पता चल जाता है. इसमें अहम सबूत है कमिश्नर डिमेलो (सतीश शाह), जिसकी मौत हो चुकी है और अब सभी उसकी लाश की तलाश में जुट गए हैं. फिल्म में यहीं से कॉमेडी का सिलसिला शुरू होता है, जो आखिर तक जारी रहता है. कमाल की बात ये है कि फिल्म में सतीश शाह ज्यादातर सीन में लाश बने हैं. अमूमन सामान्य फिल्मों में ऐसा होता नहीं है, लेकिन ‘जाने भी दो यारो’ में लाश के किरदार से भी जबरदस्त कॉमेडी करवाई गई थी.