वॉशिंगटन: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वागत में अमेरिका ने पलक-पांवड़े बिछाए हुए हैं। चंद घंटे पहले ही पीएम मोदी का व्हाइट हाउस में जबरदस्त स्वागत किया गया है। इस दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने पीएम मोदी की शान में कसीदे पढ़े। लेकिन, ठीक इसी मौके पर कुछ ऐसी ताकतें भी सक्रिय थीं, जिनके पास पीएम मोदी के खिलाफ दुष्प्रचार का जिम्मा था। इस कड़ी में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक हुसैन ओबामा भी शामिल हो चुके हैं। उन्होंने पीएम मोदी के व्हाइट हाउस में आधिकारिक स्वागत के वक्त एक इंटरव्यू देकर जमकर जहर उगला। खुद को लोकतंत्र और मानवाधिकारों का चैंपियन बताते हुए ओबामा ने भारत में अल्पसंख्यकों के अधिकारों का मुद्दा उठाया।
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ओबामा ने लोकतंत्र पर दिया ज्ञान
बराक हुसैन ओबामा ने सीएनएन को दिए इंटरव्यू में कहा कि अमेरिका और दुनिया भर में लोकतांत्रिक संस्थाएं अजीब हो गई हैं, और यह अमेरिकी नेताओं पर निर्भर है कि वे भविष्य में उन्हें बनाए रखने के तरीके खोजें। उन्होंने वैश्विक लोकतांत्रिक और राजनीतिक मुद्दों पर भारत और चीन के खिलाफ जमकर जहर उगला। ओबामा ने कहा कि तानाशाहों या अन्य अलोकतांत्रिक नेताओं से मिलना अमेरिकी राष्ट्रपति पद के जटिल पहलुओं में से एक है। मुझे ओवल ऑफिस में अपने कार्यकाल के दौरान कई ऐसे लोगों से निपटना पड़ा, जिनसे मैं सहमत नहीं था।
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अमेरिकी राष्ट्रपति के तौर पर मजबूरियां गिनाई
ओबामा ने कहा कि देखिए यह जटिल है। अमेरिका के राष्ट्रपति के पास बहुत सारी मजबूरियां भी होती हैं। जब मैं राष्ट्रपति था, मैं कुछ मामलों में ऐसे लोगों से मिलता था, जो सहयोगी थे। आप जानते हैं, अगर आप मुझ पर निजी तौर पर दबाव डालते हैं कि क्या वे अपनी सरकारें और अपने राजनीतिक दल उस तरीके से चलाते हैं, जिनके बारे में मैं कहूंगा कि वे आदर्श रूप से लोकतांत्रित हैं, तो मुझे ना कहना होगा। ओबामा का यह बयान पीएम मोदी की अमेरिका की आधिकारिक यात्रा के दौरान आया है। ऐसे में इस बयान की टाइमिंग को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं।
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शी जिनपिंग के साथ पीएम मोदी की तुलना की
ओबामा ने जलवायु परिवर्तन पर चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ अपने काम का हवाला देते हुए खराब मानवाधिकार रिकॉर्ड वाले नेताओं के साथ भी साझा हितों को खोजने का एक उदाहरण बताया। इस हफ्ते राष्ट्रपति बाइडेन ने कैलिफोर्निया में एक कार्यक्रम के दौरान शी जिनपिंग की तुलना एक तानाशाह से की थी। ओबामा ने कहा कि आपको उनके साथ व्यापार करना होगा, क्योंकि वे राष्ट्रीय सुरक्षा कारणों से महत्वपूर्ण हैं। आप जानते हैं, आर्थिक हितों की एक श्रृंखला है। उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि यह अमेरिकी राष्ट्रपति के लिए जरूरी है कि वह उन सिद्धांतों को बनाए रखे और चैलेंज करे- चाहें वह सार्वजनिक रूप से हो या बंद दरवाजों के पीछे। इसलिए मैं विशिष्ट प्रथाओं की तुलना में कम चिंतित हूं।
पीएम मोदी को धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर दिया ज्ञान
ओबामा ने कहा कि उन्होंने जलवायु परिवर्तन और अन्य क्षेत्रों पर पीएम मोदी के साथ काम किया है। लेकिन, उन्होंने कहा कि भारतीय लोकतंत्र के बारे में चिंता व्यक्त करना भी कूटनीतिक बातचीत में शामिल होना चाहिए। उन्होंने कहा कि हिन्दू बहुसंख्यक भारत में मुस्लिम अल्पसंख्यकों की सुरक्षा ध्यान देने योग्य है। ओबामा ने कहा कि अगर मेरी पीएम मोदी से बातचीत होती, जिन्हें मैं अच्छी तरह से जानता हूं, तो मेरे तर्क का एक हिस्सा यह होगा कि यदि आप भारत में जातीय अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा नहीं करते हैं, तो इस बात की प्रबल संभावना है कि भारत किसी बिंदु पर अलग होना शुरू कर देगा। और हमने देखा है कि जब इस प्रकार के बड़े आंतरिक संघर्ष होने लगते हैं तो क्या होता है।