नई दिल्ली: होम लोन लेने वालों को अब लोन में ज्यादा रकम मिलने के आसार बन रहे हैं। इकनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक ऐसा इसलिए मुमकिन है कि बैंक प्रोजेक्ट कॉस्ट में अब स्टाम्प ड्यूटी और दूसरे रजिस्ट्रेशन चार्जों को शामिल कराना चाहते हैं। इसके लिए वे रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) से इसकी मंजूरी लेने की तैयारी कर रहे हैं।
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इस मामले से अवगत लोगों का कहना है कि पिछले महीने हुई एक बैठक में आंतरिक विचार-विमर्श के बाद बैंकों ने RBI से संपर्क साधा है। एक बैंकर ने पहचान जाहिर नहीं करने की शर्त पर कहा, ‘हम उम्मीद कर रहे हैं कि RBI इस मामले में उचित फैसला लेगा और इससे होम लोन मांगने वालों के लिए लोन की रकम में इजाफा होगा। चूंकि इस तरह के लोन में लोन के बदले गिरवी रखना होता है लिहाजा इसमें ज्यादा रिस्क नहीं है।
यदि रिजर्व बैंक से प्रस्ताव को मंजूरी मिल जाती है तो ₹20 लाख के स्टांप शुल्क और रजिस्ट्रेशन चार्ज सहित ₹एक करोड़ की लागत वाली प्रोजेक्ट के लिए उधारकर्ता मौजूदा लोन के तहत ₹60 लाख रुपये के मुकाबले ₹75 लाख रुपये के लोन के लिए पात्र होगा। यह रकम लोन टु वैल्यू (LTV) रेश्यो से तय होती है।
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मौजूदा दिशा-निर्देशों के मुताबिक, होम लोन LTV रेश्यो प्रॉपर्टी की वैल्यू का 75-90% है। यदि लोन की रकम ₹75 लाख रुपये से अधिक है, तो LTV रेश्यो 75% से अधिक नहीं हो सकता है। लगभग एक दशक पहले, रिजर्व बैंक ने बैंकों को घर के कुल वैल्यू में स्टांप शुल्क या रजिस्ट्रेशन चार्ज शामिल नहीं करने का निर्देश दिया था। इसका मकसद लोन-टु-वैल्यू नियमों के असर को बरकरार रखना था।
आरबीआई का सर्कुलर
फरवरी 2012 के RBI सर्कुलर में कहा गया है कि इस तरह के चार्ज जोड़ने से प्रॉपर्टी की वसूली योग्य रकम बढ़ी हुई नजर आती है जबकि स्टांप शुल्क, रजिस्ट्रेशन और दूसरे डॉक्यूमेंटेशन चार्ज को वसूल नहीं किया जा सकता है। इसके कारण से तय मार्जिन कम हो जाता है।
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एक दूसरे बैंकर ने कहा, ‘अंतिम फैसला लेना रिजर्व बैंक का काम है। यदि वह उचित समझे, तो इसकी एक लिमिट भी तय कर सकता है। जैसे स्टांप ड्यूटी और दूसरे एडमिनिस्ट्रेशन चार्ज प्रोजेक्ट कॉस्ट के 10% से अधिक नहीं होने चाहिए।’